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26 दिन बाद सरकार ने दी अनुमति, अब ग्लैंडर्स पीड़ित घोड़ों को मारी जाएगी गोली

शहर के घोड़ों में ग्लैंडर्स बीमारी के लक्षण मिलने के मामले में अब सरकार की तरफ से इस बीमारी से पीड़ित पशुओं को मारने व अभियान चलाने की अनुमति दे दी है। ग्लैंडर्स पीड़ित पशुओं को गोली मार दी जाती है। क्योंकि इसका इलाज नहीं है और यह रोग घोड़ों से इंसान में भी फैल सकता है।

By JagranEdited By: Updated: Sat, 24 Mar 2018 02:59 PM (IST)
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26 दिन बाद सरकार ने दी अनुमति, अब ग्लैंडर्स पीड़ित घोड़ों को मारी जाएगी गोली
जागरण संवाददाता, हिसार

शहर के घोड़ों में ग्लैंडर्स बीमारी के लक्षण मिलने के मामले में अब सरकार की तरफ से इस बीमारी से पीड़ित पशुओं को मारने व अभियान चलाने की अनुमति दे दी है। ग्लैंडर्स पीड़ित पशुओं को गोली मार दी जाती है। क्योंकि इसका इलाज नहीं है और यह रोग घोड़ों से इंसान में भी फैल सकता है।

शनिवार को पशुपालन विभाग की आपातकालीन बैठक बुलाई है। इस बैठक के बाद पीड़ित पशुओं को मारने के साथ जांच अभियान चलाया जाएगा। हालांकि अब इस बीमारी से पीड़ित पशुओं की संख्या तीन से बढ़कर पांच हो गई है।

बता दें कि प्रशासन की बिना अनुमति के फरवरी में धान्सू रोड पर घोड़ों का मेला लगाया गया था। इस मेले के कुछ समय बाद ही राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र के विज्ञानियों और पशुपालन विभाग ने महाबीर कॉलोनी स्थित एक पशुबाड़े के तीन घोड़ों व घोड़ियों में ग्लैंडर्स की पुष्टि की थी और पशुपालन विभाग ने सरकार से आगामी कार्रवाई की अनुमति मांगी थी। 26 दिन बीत जाने के बाद शुक्रवार को पशुपालन विभाग के अधिकारियों को ग्लैंडर्स पीड़ित पशुओं को मारने व अभियान चलाने की अनुमति मिली।

फरवरी में धान्सू रोड पर घोड़ों का मेला लगाया गया था। पशुपालन विभाग और जिला प्रशासन अधिकारियों की बिना अनुमति के यह मेला लगा था। जिसमें पांच सौं से अधिक घोड़े व घोड़ियां आए थें। इस मेले के कुछ समय बाद ही राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों और पशुपालन विभाग ने महाबीर कॉलोनी स्थित एक पशुबाड़े के तीन घोड़ों व घोड़ियों में ग्लैंडर्स की पुष्टि की थी और पशुपालन विभाग ने सरकार से आगामी कार्रवाई की अनुमति मांगी थी। 26 दिन बीत जाने के बाद शुक्रवार को पशुपालन विभाग के अधिकारियों को ग्लैंडर्स पीड़ित पशुओं को मारने व अभियान चलाने की अनुमति दे दी है।

बीमार घोड़ों की संख्या बढ़कर हुई पांच

आलम यह है कि जब तक पशुपालन विभाग को अनुमति मिली है, ग्लैंडर्स पॉजीटिव केसों की संख्या तीन से बढ़कर पांच हो गई है। रोहतक में शनिवार से शुरू होने वाली एग्रो सीमिट में ड्यूटियां होने के बावजूद अधिकारियों ने आपातकालीन बैठक बुलाई है। इसमें जिला प्रशासन , पुलिस प्रशासन सहित अन्य अधिकारियों को सूचना दे दी गई है।

पांच किलोमीटर दायरे में जल्द ही जांच होगी शुरू

अधिकारियों ने सभी ग्लैंडर्स पॉजीटिव व संभावित पशुओं को अपनी देखरेख में ले लिया है। इसके अलावा उस बाड़े में रखे गए अन्य घोड़े और घोड़ियों पर भी नजर बनाए हुए है। सरकार से नोटिफिकेशन जारी होने के साथ ही अब शहर के पांच किलोमीटर दायर के आने वाले सभी घोड़ों, खच्चरों और घोड़ियों के सैंपल लेकर जांच की जाएगी, ताकि ग्लैंसर्ड से ग्रस्त सभी पशुओं को लेकर आगामी कार्रवाई की जा सके। इसके पश्चात जिले भर के सभी घोड़ों, खच्चरों और घोड़ियों के सैंपल जांच की जाएगी। यह पूर्ण होने के बाद हिसार, सिरसा, फतेहाबाद, हांसी आदि जिलों में सैंपल जांच की जाएगी।

लुवास की लैब में मरे थे दो घोड़े, जिसके बाद लिए थे सैंपल

पशुपालन विभाग के डिप्टी डारेक्टर मोती लाल ने बताया कि 15 - 16 फरवरी के आस पास लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के पास दो घोड़े गंभीर रूप से बीमार होकर आए थे, जिनकी मौत हो गई थी। लुवास प्रशासन ने इसकी सूचना पशुपालन विभाग को दी। इसके बाद राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने महाबीर कॉलोनी स्थित एक बग्गी वाले के बने पशुबाड़े से 11 घोड़े व घोड़ियों के सैंपल लिए गए थे। इसके बाद 15 मार्च को तीन घोड़े व घोड़ियों पॉजीटिव पाए गए थे। इसके बाद दो केस भी पॉजीटिव आए।

ध्यान दें कि कहीं आपकी शादी की घोड़ी ग्लैंडर्स से पीड़ित तो नहीं

हिसार के अंदर शादी समारोह के समय ही घोड़े व घोड़ियों का प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा खच्चर भी पाए जाते हैं। अधिकारियों के अनुसार शहर के अंदर एक हजार से ज्यादा घोड़े, घोड़ियों व खच्चर हैं। खच्चरों का प्रयोग ईंट भट्ठों पर बड़ी संख्या में किया जाता है। इसलिए जैसे ही सरकार से नोटिफिकेशन जारी होता है शहर के विभिन्न इलाकों और ईंट भट्ठों पर पशुओं के सैंपल लिए जाएंगे।

सरकार से 25 हजार मिलता है मुआवजा

घोड़े, घोड़ियों और खच्चरों के ग्लैंडर्स से ग्रस्त पाए जाने पर उन्हें मार दिया जाता है। ऐसे में पशु मालिकों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है। पूर्व में दिल्ली के अंदर एक पशुपालक के 19 पशुओं को मारना पड़ा था। पशुपालकों के इन खर्च को कम करने के लिए सरकार द्वारा मुआवजा राशि के तौर पर 25 हजार रुपये प्रति पशु दिए जाते है।

महाबीर कॉलोनी के एक पशुबाड़े के पांच घोड़े व घोड़ियों में ग्लैंडर्स की पुष्टि हुई है। महाबीर कॉलोनी से फरवरी माह में 11 लिए गए थे। ग्लैंडर्स प्रभावित घोड़ों व घोड़ियों को मारने व आगामी प्रक्रिया शुरू करने के लिए सरकार से अनुमति मांगी गई थी। शुक्रवार को अनुमति मिल गई है और संबंधित विभागों को पत्र भेज दिए गएहै। इस मामले में शनिवार को बैठक की जाएगी। इस बैठक के बाद घोड़ों व घोड़ियों को मारने की कार्रवाई की जाएगी।

- डा. मोतीलाल, उप निदेशक, पशुपालन विभाग हिसार

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गुजरात में ग्लैंडर्स फैला चुका है दहशत

हरियाणा से पूर्व गुजरात में ग्लैंडर्स दहशत फैला चुका है। वहां बीमारी बड़ी तेजी से फैली। अब हिसार में पांच घोड़े बीमार मिले हैं। आशंका जताई जा रही है कि जिले से बाहर भी यह बीमारी फैल चुकी है।

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