हरियाणा के शहरों में सिमटते घरों का बेहतर विकल्प बना हैंगिंग गार्डन ट्रेंड, जानें क्या है फायदा
शहर तो बढ़ते गए मगर घर सिमटते गए। ऐसे में जो प्रकृति प्रेमी हैं वो अपना शौक कैसे पूरा करें यह चुनाैती बन गया। मगर कहते हैं न कि आवश्यकता अविष्कार की जननी है। यही हुआ और इन प्रकृति प्रेमियों के लिए हैंगिंग गार्डन एक बड़ा विकल्प बनकर आया।
By Manoj KumarEdited By: Updated: Sun, 12 Jun 2022 06:00 PM (IST)
मनोज कौशिक, हिसार। तरक्की के सपने बुनते ही कदम गांव से शहरों की ओर बढ़ने लगे। शहर तो बढ़ते गए मगर घर सिमटते गए। ऐसे में जो प्रकृति प्रेमी हैं वो अपना शौक कैसे पूरा करें यह चुनाैती बन गया। मगर कहते हैं न कि आवश्यकता अविष्कार की जननी है। यही हुआ और इन प्रकृति प्रेमियों के लिए हैंगिंग गार्डन एक बड़ा विकल्प बनकर आया। आज घर भले ही छोटे हों मगर दीवारों, स्टैंड, रस्सी या तारों पर लटके गमले और इन में लहरा रहे पौधे मन को सुकून देने का काम कर रहे हैं। बीते कुछ ही सालों में हैंगिंग गार्डन का ट्रेंड लोगों के सिर चढ़कर बोलने लगा है। भविष्य में तो इसकी और ज्यादा जरूरत महसूस होने वाली है।
क्या है हैंगिंग गार्डन ट्रेंडशहरों में घर छोटे होने के चलते आजकल लोगों को पार्क बनाने या आंगन में पौधे रखने के लिए जगह नहीं मिल पाती है। ऐसे में प्लास्टिक के ऐसे गमले तैयार किए जाते हैं जिनमें हुक होता है और वह दीवार पर लगी कील या स्टैंड में आसानी से अटक जाते हैं। कुछ गमले रस्सी या प्लास्टिक तार पर भी लटका दिए जाते हैं। इनमें पौधे लगाए जा सकते हैं। बेल या लता लगाने के लिए तो यह और भी अच्छा माध्यम है। इसी फारमेट को हैंगिंग गार्डन के नाम से जाना जाता है। हैंगिंग गार्डन से घर में शुद्ध आक्सीजन भी मिल रही है।
पक्षियों के दाना-पानी का हो भी रहा जुगाड़हैंगिंग गार्डन में पौधे तो लग ही रहे हैं साथ इन दिनों मिलने वाले कृत्रिम घोंसले भी इनके पास ही लगा दिए जाते हैं। पानी के सकोरों को भी यहीं पर लटका दिया जाता है। जिससे पौधों की हरियाली ही देखने के लिए नहीं बल्कि घरों में पक्षियों की चहचाहट भी सुनने को मिल जाती है। 50 से 70 रुपये की कीमत में मिलने वाले हैंगिंग गमले हर नर्सरी पर सुलभता से मिल जाते हैं। दीवार में लगे गमलों से घर की जगह भी इस्तेमाल नहीं करनी पड़ती तो साथ ही गंदगी भी नहीं फैलती।
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