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Hanuman Jayanti 2022: हिसार के काजला धाम में सवा दो रुपए की लगती है अरदास, जानें पौराणिक महत्व

काजला धाम के मंदिर के महंत अंजनी भाई जोशी ने बताया कि मंदिर में आने वाले भक्तों के रहने ठहरने व खाने-पीने का पूरा प्रबंध श्रीकाजला धाम सेवा समिति द्वारा पूरे वर्ष निशुल्क होता है। यहां भंडारा पिछले 35 वर्षों से निरंतर जारी है।

By Naveen DalalEdited By: Updated: Sat, 16 Apr 2022 10:51 AM (IST)
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काजला धाम में दूर-दराज से पहुंचते हैं हजारों श्रद्धालु।
अग्रोहा (हिसार), सुनील सेन। हिसार से करीब 18 किलोमीटर दूर स्थित गांव काजला का हनुमान मंदिर अपनी धार्मिक तथा ऐतिहासिक विशिष्टताओं के चलते क्षेत्र ही नहीं बल्कि पूरे देश में अपना एक अहम स्थान रखता है। मान्यता है कि इस मंदिर में आने वाले प्रत्येक भक्त की मनोकामना पूरी होती है।

काजला धाम जहां दूर-दराज से हजारों श्रद्धालु आते हैं अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए

शनिवार आषाढ़ सुदी 31 संवत 2041 (जुलाई 1984) को ब्रह्मलीन पुजारी गोपीराम जोशी एवं देवकीनंदन जोशी ने यहां मंदिर निर्माण की शुरुआत के रूप में ध्वजा फहराई थी। धीरे-धीरे जन सहयोग से मंदिर का निर्माण कार्य चलता रहा। मंदिर में श्रीझंडे वाले बाबा दरबार की प्राण प्रतिष्ठा 31 जनवरी 1990 को हुई। इनके अलावा मंदिर में श्रीराम दरबार, श्रीगणेश दरबार, विष्णु-लक्ष्मी दरबार, दुर्गा माता दरबार, शिव परिवार, राधा-कृष्ण दरबार, पंचमुखी हनुमान व अंजनी माता के दरबारों की मूर्ति स्थापना एवं प्राण प्रतिष्ठा 11 अप्रैल 1998 को हुई। मंदिर के महंत अंजनी भाई जोशी ने बताया कि मंदिर में आने वाले भक्तों के रहने, ठहरने व खाने-पीने का पूरा प्रबंध श्रीकाजला धाम सेवा समिति द्वारा पूरे वर्ष नि:शुल्क होता है। यहां भंडारा पिछले 35 वर्षों से निरंतर जारी है। पूरे साल में यहां पांच विशाल मेलों का आयोजन किया जाता है।

चैत्र पूर्णिमा पर विशेष मेला

जिनमें अप्रैल में चैत्र पूर्णिमा पर हनुमान जयंती, जुलाई में आषाढ़ पूर्णिमा पर श्रीगुरु पूर्णिमा महोत्सव, अक्टूबर में आसोज पूर्णिमा पर शरद पूर्णिमा मेला, जनवरी-फरवरी में बसंत पंचमी पर मंदिर निर्माण दिवस तथा मार्च में फाल्गुन सुदी पूर्णिमा पर होली मेला आयोजित किया जाता है। प्रत्येक मेले वाले दिन रात को भजन-कीर्तन होते है। मेले के अगले दिन शक्ति प्रसन्नता हवन व उससे अगले दिन संकटमोचन हवन का आयोजन होता है। मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के भोजन-प्रसाद के लिए मां अन्नपूर्णा भवन बना है जो करीब 12 हजार वर्ग फीट में फैला है। इस भवन का शुभारंभ ब्रह्मलीन पुजारी रमेश जोशी के सान्निध्य में 3 अप्रैल 2007 को हुआ।

श्रद्धालुओं के लिए विशेष प्रबंध

बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के ठहरने लिए आधुनिक सुविधाओं से युक्त धर्मशाला का निर्माण कार्य चल रहा है। मंदिर प्रवक्ता ने बताया कि श्रद्धालुओं की मन्नत पूरी होने के कारण देश कोने-कोने के अलावा विदेशों से भी श्रद्धालु यहां आते है तथा बाबा का आशीर्वाद लेकर जाते है। श्रद्धालु आर्थिक, मानसिक, पारिवारिक तथा शारीरिक परेशानियों के लिए यहां प्रचलित परंपरा के अनुसार सवा दो रुपये की अनाज की अरदास लगाते है। यहां दर्शन को आने वाले भक्तों पर श्री बालाजी महाराज की विशेष कृपा बनी रहती है।

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