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Happy Hariyali Teej 2021: सुबह होते ही डल गए झूले, हरियाली तीज पर सजी-धजी नजर आईं महिलाएं

Happy Hariyali Teej 2021 आज हरियाली तीज है और हरियाणा में हर जगह अलग ही माहाैल है। महिलाएं हाथों पर मेहंदी लगाए हुए हैं तो बाजारों में भी अलग अलग तरह के पकवान बिक रहे हैं। बाजारों में रौनक है तो घेवर की महक हर जगह है। जानें क्‍या महत्‍व

By Manoj KumarEdited By: Updated: Wed, 11 Aug 2021 01:49 PM (IST)
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हरियाणा में हरियाली तीज पर महिलाओं और बच्‍चों ने खूब मनोरजंन किया और झूला झूलते हुए नजर आए

जागरण संवाददाता, हिसार। Happy Hariyali Teej 2021 सावन के महीने में हरियाली तीज का सभी को बेसब्री से इंतजार रहता है। हरियाली तीज के दिन सब जगह एक अलग ही रौनक होती है। आज हरियाली तीज है और हरियाणा में हर जगह अलग ही माहाैल है। महिलाएं हाथों पर मेहंदी लगाए हुए हैं तो बाजारों में भी अलग अलग तरह के पकवान बिक रहे हैं। बाजारों में  रौनक है तो घेवर की महक हर जगह है। हरियाली तीज पर झूला झूलने का रिवाज सदियों से चला आ रहा है। इस महीने हर जगह हरा भरा माहौल होता है और हरियाली चरम पर होती है। हिसार रोहतक और अन्‍य कई जिलों में शहरों में भी हरियाली तीज पर कई कार्यक्रमों का आयोजन भी किया गया है। मिस तीज और अन्‍य तरह की स्‍पर्धाओं में महिलाएं अपनी प्रतिभा दिखा रही हैं।

सुबह होते ही शुरू हो गए झूले

हरियाली तीज पर कोरोना काल होने के चलते इस बार बाकी सालों की तुलना में तो रौनक कम है मगर फिर भी त्‍योहार का माहौल जरूर नजर आया है। सुबह होते ही गांव शहरों में झूलों पर झूलते बच्‍चे और महिलाएं नजर आईं। झूला झूलने को लेकर बच्‍चों में खासा उत्‍साह देखने को मिला। गांवों में तालाब किनारे पेड़ों पर झूले डले हुए नजर आए। मस्‍ती का आलम देखते ही बन रहा था।

बहन के घर मिठाई देने और शगुन भेजने का रिवाज

सावन के महीने में भाई अपनी बहन के यहां मिठाई और घेवर लेकर जाता है। यह परंपरा सालों से चली आ रही है। इसी महीने में रक्षाबंधन भी आता है। इसलिए इस महीने को भाई बहन के रिश्‍ते को मजबूत करने वाला माना जाता है। हरियाणा में इस त्‍योहार की और भी महत्‍ता है। भाई अपनी बहन के यहां घेवर, फिरनी, बिस्‍कुट, मठरी, मटर,पेठा और अन्‍य तरह के पकवान लेकर जाता है।

हर गली से आती है गुलगुले सुहाली बनने की सौंधी खुशबू

हरियाली तीज के दिन महिलाएं नए कपड़े पहन श्रृंगार करती हैं और बच्‍चे भी नए रंग में नजर आते हैं। शाम के वक्‍त गुलगुले और सुहाली को सरसों के तेल में बनाया जाता है। शहर में तो यह प्रचलन कम हो रहा है मगर गांवों में अभी भी इस रिवाज को निभाया जा रहा है।

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