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Haryana News: कई MLAs के कटेंगे टिकट, पिछला चुनाव हारे उम्मीदवारों की कुंडली पढ़ रही BJP; अबकी बार जिताऊ चेहरों की तलाश

Haryana News बीजेपी इस बार अलग रणनीति पर काम कर रही है। अबकी बार जिताऊ उम्मीदवार को ही बीजेपी टिकट देगी। भाजपा में उम्मीदवारों की तलाश के लिए सर्वे एजेंसियां तो फील्ड से जानकारी जुटा ही रही हैं पार्टी के प्रमुख नेता अपने-अपने स्रोत के माध्यम से भी दावेदारों की पूरी कुंडली बांच रहे हैं। 2019 चुनाव में भाजपा ने 75 पार सीटों का नारा दिया था।

By Jagran News Edited By: Sushil Kumar Updated: Thu, 01 Aug 2024 03:45 PM (IST)
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Haryana News: हरियाणा विधानसभा चुनाव में जिताऊ उम्मीदवार को टिकट देगी बीजेपी।
अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। हरियाणा में तीसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने के लिए भाजपा के रणनीतिकार पूरे जी-जान से रणनीति बनाने में जुटे हैं। एक के बाद एक हो रही बैठकों में जहां कांग्रेस के हमलों का जवाब देने की तैयारी की जा रही है, वहीं संघ के साथ तालमेल बढ़ाकर जिताऊ चेहरों की तलाश हो रही है।

एंटी इन्कमबेंसी (सत्ता विरोधी लहर) का असर खत्म करने को पार्टी मौजूदा विधायकों की भूमिका बदल सकते हैं। भाजपा किसी कोटे का ध्यान रखने की बजाय जातीय समीकरण और पार्टी की जीत की कसौटी पर खरा उतरने वाले उम्मीदवारों पर विधानसभा चुनाव में दाव खेलेगी।

बांच रहे दावेदारों की पूरी कुंडली

भाजपा में उम्मीदवारों की तलाश के लिए सर्वे एजेंसियां तो फील्ड से जानकारी जुटा ही रही हैं, पार्टी के प्रमुख नेता अपने-अपने स्रोत के माध्यम से भी दावेदारों की पूरी कुंडली बांच रहे हैं। साल 2019 में हुए चुनाव के दौरान भाजपा ने 75 पार सीटों का नारा दिया था, लेकिन भाजपा को सिर्फ 40 विधानसभा सीटों पर संतोष करना पड़ा था।

उस समय कांग्रेस ने यह सोचते हुए कि भाजपा की सरकार आना तय है, गंभीरता के साथ विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा था। इस बार लोकसभा चुनाव में नतीजे भाजपा की उम्मीद के अनुरूप नहीं आए हैं। राज्य की 10 लोकसभा सीटों में से पांच पर कांग्रेस की जीत हुई है, जबकि पांच पर भाजपा ने चुनाव जीता है।

कुछ टिकटों के आवंटन को लेकर दोनों दलों में तरह-तरह की बात चल रही है।

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भाजपा इस बार रिस्क लेने के मूड में बिल्कुल नहीं

भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि यदि सिरसा, हिसार और सोनीपत लोकसभा सीटों पर टिकटों का आवंटन पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाओं के अनुरूप हो जाता तो जीत का आंकड़ा आठ लोकसभा सीटों तक पहुंच सकता था। कांग्रेस के रणनीतिकारों का भी यही मानना है।

उनकी सोच है कि यदि कांग्रेस कुरुक्षेत्र सीट आम आदमी पार्टी को देने की बजाय स्वयं लड़ती तो जीत सकती थी, जबकि करनाल में कोई मजबूत चेहरा चुनावी रण में उतारा जाता। लोकसभा चुनाव की रणनीति में रह गई खामियों से सबक लेते हुए भाजपा इस बार विधानसभा चुनाव में किसी तरह का रिस्क लेने के मूड में बिल्कुल भी नहीं है।

लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने जिन विधानसभा सीटों पर अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है, वहां संघ की खास निगाह है।

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