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Haryana Election 2024: फसलों पर MSP बढ़िया लेकिन किसान मांग रहे गारंटी, चुनाव के बीच फिर उठने लगा किसानों का मुद्दा

हरियाणा विधानभा चुनावों (Haryana Assembly Election 2024) की घोषणा हो चुकी है। कुछ समय पहले नायब सरकार ने किसानों को सभी फसलों पर एमएसपी की गारंटी दी थी। ऐसे में अब किसानों की मांग है कि इस पर कानून बनाया जाए। वहीं कानून बनाने की मांग को लेकर आंदोलनरत किसान संगठनों को अन्य राजनीतिक दल हवा भी दे रहे हैं।

By Jagran News Edited By: Prince Sharma Updated: Thu, 22 Aug 2024 02:02 PM (IST)
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Haryana News: फरवरी से जारी है किसानों का आंदोलन (जागरण न्यूज)

सुधीर तंवर, हिसार। हरियाणा के विधानसभा चुनाव में फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी का मुद्दा एक बार फिर गरम है। लोकसभा चुनाव में इस मुद्दे ने राजनीतिक दलों के समीकरण बनाने और बिगाड़ने में अहम भूमिका निभाई है।

एमएसपी का कानून बनाने की मांग को लेकर आंदोलनरत किसान संगठनों को कांग्रेस, इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) और आम आदमी पार्टी (आप) हवा दे रही है तो सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और साढ़े चार साल सरकार में भागीदार रही जननायक जनता पार्टी (जजपा) किसानों के लिए किए काम गिना रही हैं।

एमएसपी की गारंटी में छिपी वोटों की चांदी तलाश रहे राजनीतिक दलों से परे किसान संगठनों का अपना अलग गणित है।

वे फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) देने के सत्तारूढ़ भाजपा के फैसले का स्वागत तो कर रहे हैं, लेकिन साथ ही एमएसपी की गारंटी भी चाहते हैं। यह अलग बात है कि हरियाणा देश में एकमात्र ऐसा राज्य है, जो अब सभी 24 फसलों की एमएसपी पर खरीद कर रहा है।

इन फसलों पर दी गई है एमएसपी गारंटी

राज्य में 14 फसलें कई साल पहले से एमएसपी पर खरीदी जा रही थी और 10 फसलें एमएसपी पर खरीदने की घोषणा सीएम नायब सैनी ने हाल फिलहाल की है। हरियाणा में सरकारी खरीद एजेंसियों द्वारा जिन 14 फसलों की खरीद एमएसपी पर हो रही है, उनमें गेहूं, चावल, सरसों, जौ, चना, धान, मक्का, बाजरा, कपास, सूरजमुखी, मूंग, मूंगफली, अरहर और उड़द शामिल हैं।

पांच अगस्त को हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में सरकार ने 10 और फसलों रागी, सोयाबीन, काला तिल (नाइजर सीड), कुसुम, जौ, मक्का, ज्वार, जूट, खोपरा और मूंग (समर) की एमएसपी पर खरीदने के प्रस्ताव को हरी झंडी दी है।

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इस संबंध में राज्यपाल की ओर से अध्यादेश जारी कराया जा चुका है, जिसके बाद कुल 24 फसलों की खरीद एमएसपी पर होगी। हालांकि, किसान संगठनों का जोर फसलों की एमएसपी पर खरीद का कानून बनाने पर है ताकि खुले बाजार में भी फसलों का न्यूनतम दाम मिलना सुनिश्चित हो सके।

इसके साथ ही स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट भी किसान संगठन लागू कराना चाहते हैं। लोकसभा चुनाव में कई जिलों में किसान आंदोलन का असर देखने को मिला था। नतीजन भाजपा पांच सीटें ही जीत सकी और पांच सीटें कांग्रेस के खाते में चली गईं।

अंदरूनी सर्वे के साथ ही खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट बताती है कि उत्तर व मध्य हरियाणा में किसान आंदोलन का असर बाकी है, जिससे विधानसभा चुनाव के समीकरण प्रभावित होने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता।

जहां विपक्षी दलों की सरकार वहां क्या किया

मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि पिछले दस वर्षों में भाजपा सरकार ने किसानों के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं। हरियाणा अकेला ऐसा प्रदेश हैं जहां 14 फसलों की खरीद हमने एमएसपी पर शुरू की और आगे 24 फसलों की खरीद एमएसपी पर की जाएगी।

जहां तक आंदोलनरत किसानों की बात है, उनका एक विशिष्ट वर्ग है, जिनकी अपनी विचारधारा है। मामले में राजनीति कर रहे विपक्षी दल बताएं कि जिन राज्यों में उनकी सरकार है, वहां किसानों को क्या सुविधाएं दे रहे हैं।

'भाजपा के राज में खून के आंसू रो रहे किसान'

हुड्डा पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस ने सत्ता में रहते किसानों को कर्ज माफी, बिजली बिल माफी और एमएसपी दी।

तत्कालीन प्रधानमंत्री सरदार मनमोहन सिंह की सरकार में मुख्यमंत्रियों की समिति के अध्यक्ष के रूप में मैंने 15 दिसंबर 2010 को केंद्र सरकार को सौंपी रिपोर्ट में कृषि कानूनों में सुधार की जरूरत बताते हुए उन्हें तत्काल लागू करने की बात कही थी। स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट आज तक लागू नहीं हुई।

'शंभू बॉर्डर पर छह महीने से डटे किसान'

एमएसपी पर गारंटी व अन्य मांगों को लेकर पंजाब के किसान 13 फरवरी से शंभू बॉर्डर पर डटे हुए हैं। अब सुप्रीम कोर्ट शंभू बॉर्डर आंशिक रूप से खाोलने का आदेश दे चुका है। समाधान के लिए कमेटी बनाने को लेकर हरियाणा-पंजाब सरकार अपनी तरफ से विशेषज्ञों के नाम कोर्ट को सौंप चुके हैं।

16.50 लाख किसान कर रहे खेती प्रदेश में करीब साढ़े 16 लाख किसानों के पास 36. 46 लाख हेक्टेयर खेती योग्य भूमि है। कुल कृषि योग्य भूमि में से 67.58 प्रतिशत सीमांत और छोटे किसानों की है। जिन किसानों के पास ढाई एकड़ तक जमीन है, उन्हें सीमांत किसान के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

ढाई एकड़ से पांच एकड़ जमीन के मालिकों को छोटे किसान कहा जाता है। प्र7.78 लाख (48.11 प्रतिशत) सीमांत किसानों के पास 3.60 लाख हेक्टेयर खेती योग्य भूमि है और 3.15 लाख (19.47%) छोटे किसानों के पास 4.63 लाख हेक्टेयर है।

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