आबादी के हिसाब से हरियाणा (Haryana Lok Sabha Elections) देश का बहुत ही छोटा सा राज्य है। लेकिन राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi News) से सटा होने के कारण प्रदेश की 10 लोकसभा सीटों (Lok Sabha Seat) पर इसका हमेशा सीधा असर देखने को मिला। हरियाणा मूल के कई नेताओं ने प्रदेश की राजनीति में तो नाम कमाया ही, देश की सबसी बड़ी पंचायत लोकसभा में दूसरे राज्यों का भी प्रतिनिधित्व कर यह दिखा दिया कि राजनीति की कोई सीमा नहीं होती।
पूर्व उप प्रधानमंत्री ताऊ देवीलाल (Tau Devilal), पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज ( Sushma Swaraj) मनीराम बागड़ी ((Maniram Bagri), जनरल वीके सिंह (General VK Singh), बाबा बालकनाथ (Baba Balaknath) सुखबीर सिंह जौनापुरिया (Sukhbir Singh Jaunapuriya) और अवतार सिंह भड़ाना (Avtar Singh Bhadana) ने हरियाणा से बाहर के राज्यों में राजनीति की, लोकसभा के चुनाव लड़े, जीते और बड़े मुकाम हासिल किए। हम इन सभी के उस राजनीतिक सफर की चर्चा करेंगे, जो उन्होंने दूसरे राज्यों में तय किया और जिसे पार करते हुए लोकसभा तक पहुंचे।
दिल्ली और विदिशा से सांसद रही सुषमा ने चमकाया देश का नाम
1977 में अंबाला कैंट (Ambala News) से विधायक बनीं सुषमा स्वराज हरियाणा सरकार में सबसे कम उम्र की मंत्री रह चुकी हैं। 1984 में करनाल लोकसभा सीट से चुनाव हार गईं थी। 1989 में करनाल लोकसभा सीट से फिर हार गईं। 1996 में राज्यसभा चली गई।
इसी अवधि में दक्षिण दिल्ली से लोकसभा चुनाव जीती। वाजपेयी सरकार के दोनों कार्यकाल में सुषमा सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहीं। 1998 में दो माह के लिए दिल्ली की सीएम रही सुषमा स्वराज ने बेल्लारी में सोनिया गांधी को टक्कर दी। सुषमा मध्यप्रदेश के विदिशा से सांसद रही हैं।
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भिवानी के जनरल वीके सिंह गाजियाबाद से दो बार रहे सांसद
भारतीय थल सेना के प्रमुख रह चुके जनरल वीके सिंह भिवानी (Bhiwani News) जिले के बापोडा गांव के रहने वाले हैं, के गाजियाबाद से दो बार सांसद रहे तथा केंद्र में मंत्री रह चुके हैं। वीके सिंह 31 मई 2012 को थल-सेनाध्यक्ष के पद से सेवानिवृत हुे थे।
एक मार्च 2014 को बीजेपी का दामन थामा था। 2014 के लोकसभा चुनाव में राजनीतिक पारी की शुरूआत करते हुए अभिनेता से राजनेता बने कांग्रेस प्रत्य़ाशी राज बब्बर को करारी शिकस्त दी थी। 2019 में यहीं से जीते।
मनीराम के लिए जब इंदिरा गांधी ने रुकवा लिया था काफिला
मनीराम बागड़ी देश के ऐसे पहले सांसद रहे, जिन्हें लोकसभा से एक सप्ताह के लिए निलंबित कर दिया गया था। 24 मई 1962 को वह हिसार से चुनकर लोकसभा पहुंचे थे। उन्होंने संसद में बिना एजेंडे के किसी मुद्दे पर बोलना शुरू कर दिया था। तत्कालीन स्पीकर हुकम सिंह ने उन्हें रोका, मगर बागड़ी रुके नहीं।
नाराज स्पीकर ने उनको एक सप्ताह के लिए लोकसभा से सस्पेंड कर दिया था। मनीराम के विषय में यह भी किस्सा मशहूर है कि वह अपने बेटे सुभाष बागड़ी के साथ दिल्ली के सरकारी आवास तीन मूर्ति लेन से पैदल ही दूध लेने जा रहे थे। सामने से तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) का काफिला आ रहा था। इंदिरा गांधी ने काफिले को रुकवाया और गाड़ी का शीशा नीचे किया। इंदिरा गांधी ने मुस्कुरा कर हाथ जोड़े और मनीराम बागड़ी को नमस्ते की।
हिसार के मनीराम जो जीत के बाद कभी मथुरा नहीं गए
सबसे पहले हिसार के रहने वाले मनीराम बागड़ी का जिक्र करते हैं। 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक 21 महीने की अवधि में भारत में आपातकाल घोषित था। इस इमरजेंसी के बाद लोकसभा चुनाव हुए। कांग्रेस के खिलाफ लोगों में आक्रोश था। भारतीय लोकदल ने मनीराम बागड़ी को मथुरा लोकसभा सीट पर उतारा।उन्हाेंने 2 लाख 96 हजार 518 वोट पाकर रामहेत सिंह को 2 लाख 15 हजार 265 वोटों से हरा दिया था। मनीराम के विषय में यह किस्सा मशहूर है कि वह जीत के बाद कभी मथुरा नहीं आए। एक बार मथुरा के लोग मिलने दिल्ली गए तो मनीराम बोले कि मथुरा कहां पर है। यह बात सुनते ही मथुरा के लोग वापस लौट आए थे।
सीकर से बलराम जाखड़ को हराकर उप प्रधानमंत्री बने थे देवीलाल
पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल की पीढ़ी दर पीढ़ी चुनाव लड़ रही है। देवीलाल राजस्थान की सीकर सीट से चुनाव जीतकर लोकसभा में पहुंचे थे। उसी साल रोहतक से भी चुनाव जीते थे, मगर वहां से इस्तीफा दे दिया था। सीकर से चुनाव जीतने के बाद उप प्रधानमंत्री बने थे।
देवीलाल वर्ष 1989 में सीकर लोकसभा क्षेत्र से जनता दल से चुनाव लड़े थे। उस समय के कांग्रेस के दिग्गज नेता और तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष बलराम जाखड़ को पराजित किया था। देवीलाल वर्ष 1989 से वर्ष 1991 तक वीपी सिंह व चंद्रशेखर के प्रधानमंत्री के कार्यकाल में उप प्रधानमंत्री रहे। उस समय फाजिल्कां ऐसा इलाका था, जहां पर राजस्थान से आकर बसने वाले लोग ज्यादा थे।
राजस्थान की राजनीति में बाबा बालकनाथ ने कमाया बड़ा नाम
रोहतक में बाबा बालकनाथ का बहुत बड़ा मठ है। उन्होंने राजस्थान के अलवर में जाकर लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ और महंत बालकनाथ दोनों हिंदुत्ववादी नेता हैं। इस वजह से दोनों में करीबियां हैं।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गुर्जरों में अवतार भड़ाना का दबदबा
फरीदाबाद लोकसभा सीट से 1991, 2004 व 2009 में चुनाव जीत चुके अवतार सिंह भड़ाना दल बदल में माहिर हैं, लेकिन उनकी राजनीतिक पकड़ इतनी जबरदस्त है कि वे हरियाणा से बाहर उत्तर प्रदेश की राजनीति में भी अपना दबदबा कायम करने में कामयाब रहे हैं। अवतार भड़ाना ने उत्तर प्रदेश की बहुचर्चित मेरठ लोकसभा सीट से भी चुनाव जीता है।
राजस्थान में क्रिकेटर अजहरुद्दीन को हरा चुके सुखबीर जौनापुरिया
हरियाणा की राजनीति और बिल्डर लाबी में मशहूर भाजपा नेता सुखबीर सिंह जौनापुरिया ऐसे नेता हैं, जिन्होंने राजस्थान की राजनीति में अपना दबदबा कायम किया है। भाजपा ने उन्हें राजस्थान की टोंक सवाई माधोपुर सीट से तीसरी बार चुनाव मैदान में उतारा है। यहां सुखबीर सिंह जौनापुरिया और हरीश मीणा के बीच मुख्य मुकाबला होगा।हरियाणा निवासी जौनापुरिया 2014 और 2019 के चुनाव में कांग्रेस के अजहरुद्दीन और पूर्व मंत्री नमोनारायण मीणा को एक-एक लाख से अधिक वोटों से चुनाव हरा चुके हैं। वह इस सीट से जीत की हैट्रिक मारने का प्रयास करेंगे। कांग्रेस ने इस सीट से सचिन पायलट के करीबी पूर्व डीजीपी ओर देवली उनियारा के विधायक हरीश चंद्र मीणा को मैदान में उतारा है।
लालू यादव के फाइनेंसर भिवानी के प्रेमचंद गुप्ता बन गए थे केंद्रीय मंत्री
हरियाणा के एक ऐसे नेता का जिक्र करना यहां जरूरी है, जो मूल रूप से राजनेता तो नहीं थे, मगर अपने पैसे के दम पर पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह की सरकार में केंद्रीय मंत्री के पद तक पहुंचे। इनका नाम है भिवानी के प्रेम चंद गुप्ता जिनकी गुरुग्राम में घड़ी की फैक्टरी हुआ करती थी। लालू प्रसाद यादव ने उन्हें बिहार से राज्यसभा में भेजा था।वह लालू प्रसाद यादव की पार्टी को फाइनेंस किया करते थे। उस समय हरियाणा के मुख्यमंत्री ताऊ देवीलाल थे। उनके लालू यादव (Lalu Yadav), चंद्रशेखर और वीपी सिंह (VP Singh) के साथ बढ़िया संबंध थे। राज्यसभा सदस्य बनने के बाद वीपी सिंह ने ताऊ देवीलाल और लालू यादव के कहने पर प्रेम चंद गुप्ता को कारपोरेट मामलों का मंत्री बना दिया था।
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