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Haryana News: महाराजा अग्रसेन काल की सभ्यता से रूबरू होगी दुनिया, केंद्र ने अग्रोहा में फिर खुदाई का दिया आदेश

अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल शरण गर्ग ने बताया कि भारत में ब्रिटिश शासन काल में एक रोबोट्स नाम के वैज्ञानिक हुए जिन्होंने यहां केवल 15 दिन का पुरातत्व सर्वे किया था। उसके बाद सन 1926 में अंग्रेज सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी करते हुए अग्रोहा और उसके आसपास के क्षेत्र को संरक्षित कर घोषित कर दिया था।

By chetan singhEdited By: Shubham SharmaUpdated: Mon, 16 Oct 2023 04:00 AM (IST)
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दुनिया के सामने लाई जाएगी महाराजा अग्रसेन काल की सभ्यता।

सुनील सेन, अग्रोहा। महाराजा अग्रसेन की राजधानी रही अग्रोहा प्राचीनतम सभ्यताएं रही हैं। महाराजा अग्रसेन काल सभ्यता आजतक दबी हुई है, जिसकी खुदाई कर उसे दुनिया के सामने लाया जाएगा। यहां पर रोमन सभ्यता कुषाण काल के समय अवशेष के वैज्ञानिक प्रमाण मिले हैं कि यह अत्यंत पुरानी सभ्यता के निशान है। यहां पर कई सभ्यताएं आई।

फिर से शुरु होगा खुदाई का कार्य

हजारों साल तक यह सिलसिला चलता रहा। जिस समय हिसार का फिरोजशाह किला बना था, उसमें यहीं की सामग्री लगी हुई है। इस किले में एक पिलर है जो 234 बीसी का है। वह भी अग्रोहा से लिया गया है। केंद्र सरकार ने अग्रोहा पुरातात्विक स्थल एवं निकटवर्ती क्षेत्र का समग्र विकास राखीगढ़ी माडल के अनुसार एमओयू के माध्यम से करने की मंजूरी देने के बाद इसके राज खुलेंगे। 44 साल बाद अग्रोहा में एक बार फिर से खुदाई का कार्य किया जाएगा।

इतिहास के बारे में मिल सकती है अहम जानकारी

अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल शरण गर्ग ने बताया कि भारत में ब्रिटिश शासन काल में एक रोबोट्स नाम के वैज्ञानिक हुए, जिन्होंने यहां केवल 15 दिन का पुरातत्व सर्वे किया था। उसके बाद सन 1926 में अंग्रेज सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी करते हुए अग्रोहा और उसके आसपास के क्षेत्र को संरक्षित कर घोषित कर दिया था। उसके बाद सन 1939 और सन 1979 में दो बार खुदाई की और फिर अचानक इसे रोक दिया। 1979 में की गई खोदाई में मिले ऐतिहासिक सभ्यता के अवशेषों को लेकर आस जगी थी कि यहां से प्राचीन इतिहास के बारे में बहुत सी जानकारी मिल सकती है।

पूरे उत्तर में फैला हुआ था अग्रोहा साम्राज्य

प्राचीन ग्रंथों विष्णु पुराण, लक्ष्मी पुराण, अग्रभागवत पुराण में अग्रोहा का वर्णन आया है। जहां प्राचीन समय में अग्रोहा को अग्रोदक के नाम से जाना जाता था। अग्रोदक साम्राज्य जो कि सरस्वती से गंगा नदी के बीच में फैला हुआ था। इसके अंतर्गत 18 गणराज्य आते थे।

खोदाई में मिले प्राचीन सभ्यता के प्रमाण

राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल शरण गर्ग ने बताया कि महाराजा अग्रसेन का शासन 500 वर्गमील तक फैला हुआ था, जहां कहीं खोदाई का कार्य होने पर महाराजा अग्रसेन कालखंड की वस्तुएं सामने आ रही है। राखीगढ़ी में हुई खोदाई में मिली सामग्री में मिले मटके, मनके, माला सिक्कों व अन्य अवशेषों से महाराजा अग्रसेन काल खंड का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। 1979 में अग्रोहा टीले की खोदाई के दौरान महाभारत कालीन सभ्यता के प्रमाण मिल चुके हैं।

पहले भी हो चुकी हैं कई बैठके

गोपाल शरण गर्ग ने बताया कि यूपी के सेवानिवृत मुख्य सचिव दीपक सिंगला के अथक प्रयासों व प्रदेश के डिप्टी स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता, निकाय मंत्री डा. कमल गुप्ता के नेतृत्व में केंद्र व प्रदेश स्तर पर अग्रोहा टीले की खोदाई के लिए कई बैठक हुई। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अग्रोहा में महाराजा अग्रसेन के कालखंड व प्राचीन सभ्यता को विश्व स्तर पर दुनिया के जानने के लिए टीले की खोदाई की अनुमति दिलवाने का कार्य किया है।

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