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Haryana Political Crisis: भाजपा का साथ छोड़ कांग्रेस को समर्थन देने पर क्यों तुले निर्दलीय विधायक, यहां पढ़ें असल वजह

Haryana Political Crisis हरियाणा की राजनीति में एक बार फिर से भूचाल आ गया है। लोकसभा चुनाव के बीच प्रदेश में सीएम नायब सैनी (CM Nayab Saini) की सरकार को समर्थन दे रहे तीन निर्दलीय विधायकों ने मंगलवार को अपना समर्थन वापस लेने की घोषणा कर दी। ऐसा कहा जा रहा है कि वह लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को समर्थन देंगे।

By Jagran News Edited By: Prince Sharma Updated: Wed, 08 May 2024 09:33 AM (IST)
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Haryana Political Crisis: भाजपा का साथ छोड़ कांग्रेस को समर्थन देने पर क्यों तुले निर्दलीय विधायक
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। Haryana Political Crisis: राजनीति में कोई किसी का स्थायी मित्र नहीं होता। पिछले साढ़े चार साल से भाजपा सरकार (BJP Alliance in Haryana) को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायकों में से तीन ने कांग्रेस के पाले में जाकर यह साबित कर दिया है कि राजनीति अवसर का खेल है।

प्रदेश के सात निर्दलीय विधायकों में से सबसे वरिष्ठ रानियां के पूर्व विधायक रणजीत चौटाला (Ranjeet Chautala) को भाजपा सरकार ने कैबिनेट मंत्री बनाया हुआ है, जबकि महम के निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू शुरुआती दिनों से सरकार के साथ नहीं हैं।

बाकी बचे पांच निर्दलीय विधायकों में चार विधायक ऐसे रहे, जिन्होंने पूरे कार्यकाल में भाजपा सरकार (BJP in Haryana) पर स्वयं को मंत्री बनाने का दबाव बनाए रखा।

तीन विधायकों ने बदला पाला

हालांकि इन विधायकों का सरकार ने अपने कार्यकाल में हर लिहाज से पूरा ध्यान रखा, लेकिन विधानसभा चुनाव नजदीक आते देख तीन विधायक अपना पाला बदल गए। उनकी मंत्री बनने की इच्छा भाजपा में पूरी नहीं हुई तो वह कांग्रेस के साथ जाकर खड़े हो गए।

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जिन दो निर्दलीय विधायकों राकेश दौलताबाद (Rakesh Daulatabad) व नयनपाल रावत (Nayanpal Rawat) ने भाजपा सरकार का साथ नहीं छोड़ा, वह आरंभ से ही पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के साथ खड़े हैं।

छह निर्दलीय विधायकों को बनाया गया चैयरमैन

भाजपा सरकार ने इन सभी छह निर्दलीय विधायकों को बोर्ड एवं निगमों का चेयरमैन बनाया। राज्यसभा चुनाव में भी मान-सम्मान किया गया, लेकिन मंत्री पद चीज ही ऐसी है, जिसके नहीं मिलने पर इन निर्दलीय विधायकों ने पाला बदलते हुए देर नहीं लगाई।

इन निर्दलीय विधायकों ने बार-बार सरकार पर दबाव बनाया कि रणजीत चौटाला को हटाकर उनमें से किन्हीं दो या तीन विधायकों को मंत्री बनाया जाए, लेकिन मनोहर लाल और नायब सिंह सैनी कभी उनके दबाव में नहीं आए। बादशाहपुर के विधायक राकेश दौलताबाद ने तो हमेशा अपने हिसाब की राजनीति की है। वह इन निर्दलीय विधायकों के ज्यादा चक्कर में नहीं पड़े।

बार-बार सरकार पर बनाया दबाव

जब भी निर्दलीय विधायकों ने बैठकें बुलाकर सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की, दौलताबाद कभी ऐसी बैठकों में शामिल नहीं हुए। हालांकि उनकी नाराजगी इस बात को लेकर जरूर है कि भाजपा ने उनके विधानसभा क्षेत्र में नए विरोधी तैयार कर दिए हैं।

हुड्डा विधायकों के इस पाला बदल के घटनाक्रम से उत्साहित हैं, लेकिन भाजपा इसे सामान्य प्रक्रिया के रूप में ले रही है। सरकार ने अलग-अलग समय पर रणधीर गोलन को पर्यटन विकास निगम, सोमबीर सांगवान को पशुधन विकास बोर्ड तथा धर्मपाल गोंदर को वन विकास निगम का चेयरमैन नियुक्त किया था।

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