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Haryana Result 2024: 15 साल का सूखा खत्म, सावित्री जिंदल ने तोड़ा भ्रम, बना दिया ये बड़ा रिकॉर्ड

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में सावित्री जिंदल ने इतिहास रच दिया है। वह राज्य की चौथी निर्दलीय महिला विधायक बनी हैं। हिसार से भाजपा और कांग्रेस का टिकट नहीं मिलने के बाद उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इससे पहले 1982 में बल्लभगढ़ से शारदा रानी 1987 में झज्जर से कुमारी मेधवी और 2005 में रेवाड़ी के बावल हलके से शकुंतला भगवाड़िया निर्दलीय महिला विधायक बनी थीं।

By Jagran News Edited By: Sushil Kumar Updated: Sat, 12 Oct 2024 11:13 PM (IST)
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Haryana Result 2024: 15 साल का सूखा खत्म, सावित्री जिंदल ने तोड़ा भ्रम।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। देश की सबसे अमीर महिला और तीसरी सबसे अमीर उद्योगपति सावित्री जिंदल ने पिछले तीन विधानसभा चुनाव से किसी महिला प्रत्याशी के निर्दलीय नहीं चुने जाने का सिलसिला तोड़ दिया। हिसार से भाजपा और कांग्रेस का टिकट नहीं मिलने के बाद कुरुक्षेत्र के भाजपा सांसद नवीन जिंदल की माता सावित्री जिंदल अपने दम पर जीत हासिल कर विधानसभा पहुंची हैं।

पूर्व मंत्री सावित्री जिंदल हरियाणा विधानसभा के इतिहास में चौथी निर्दलीय महिला विधायक हैं। उनसे पहले वर्ष 1982 में बल्लभगढ़ से शारदा रानी, वर्ष 1987 में झज्जर से कुमारी मेधवी और वर्ष 2005 में रेवाड़ी के बावल हलके से शकुंतला भगवाड़िया निर्दलीय महिला विधायक बनी थी। विशेष बात यह कि इस बार केवल तीन निर्दलीय विधायक बने हैं, जो हरियाणा के 58 साल के इतिहास में सबसे कम है।

अब तक सिर्फ तीन महिलाएं निर्दलीय जीतीं चुनाव

सावित्री जिंदल के साथ ही सोनीपत के गन्नौर से देवेंद्र कादियान और झज्जर के बहादुरगढ़ हलके से राजेश जून निर्दलीय विधायक बने हैं। वर्ष 1967 और 1982 में हुए चुनावों में सर्वाधिक 16-16 निर्दलीय विधायक बने थे। वर्ष 1968 में केवल छह निर्दलीय विधायक जीत कर विधानसभा पहुंचे थे।

वर्ष 1972 और 2000 के विधानसभा के चुनावों में 11-11 निर्दलीय विधायक चुने गए, जबकि वर्ष 1977, 1987, 2009 और 2019 के विधानसभा चुनावों में सात-सात निर्दलीय विधायक निर्वाचित हुए थे। वर्ष 1991 और 2014 के चुनावों में पांच-पांच निर्दलीय विधायक सदन में पहुंचे।

हालांकि वर्ष 1996 और 2005 के विधानसभा चुनावों में 10-10 निर्दलीय विधायक बने। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार एवं राजनीतिक विश्लेषक हेमंत कुमार ने बताया कि वर्ष 1982, 2009 और 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश 50में नई सरकार के गठन में निर्दलीय विधायकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर लगाई मुहर

निर्दलीय विधायक सरकार को बाहर से समर्थन दे सकता है, परंतु अगर वह औपचारिक रूप से किसी राजनीतिक पार्टी में शामिल हो जाता है तो दल बदल विरोधी कानून के तहत उसकी निर्दलीय विधायक की विधानसभा सदस्यता समाप्त हो सकती है।

जून 2004 में ऐसा ही हुआ था, जब चार निर्दलीय विधायकों भीम सेन मेहता, जय प्रकाश गुप्ता, राजिंदर बिसला और देव राज दीवान को कांग्रेस में शामिल होने के कारण तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष सतबीर कादियान ने विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर मुहर लगा दी।

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