Haryana Weather: राज्य में बारिश और ओलावृष्टि से बदले मौसम के मिजाज, तीन फरवरी से पश्चिमी विक्षोभ होगा एक्टिव; जानें पूरा अपडेट
Haryana Weather हरियाणा में बारिश और ओलावृष्टि होने से मौसम के मिजाज बदल गए हैं। साथ ही अब तीन फरवरी से नया पश्चिमी विक्षोभ एक्टिव होगा जो तीन दिन तक वर्षा कर सकता है। यह भूमध्य सागर से एक्टिव होकर अफगानिस्तान और पाकिस्तान से होता हुआ नार्थ इंडिया को प्रभावित करेगा। इससे पहाड़ों में बर्फबारी के साथ ही मैदानी इलाकों में वर्षा होने की संभावना है।
जागरण संवाददाता, हिसार। Haryana Weather Today: प्रदेश में बुधवार को हुई ओलावृष्टि और वर्षा से मौसम बदल गया है। तापमान में उछाल हुआ। साथ ही अब तीन फरवरी से नया पश्चिमी विक्षोभ एक्टिव होगा जो तीन दिन तक वर्षा कर सकता है। यह भूमध्य सागर से एक्टिव होकर अफगानिस्तान और पाकिस्तान से होता हुआ नार्थ इंडिया को प्रभावित करेगा। इससे पहाड़ों में बर्फबारी के साथ ही मैदानी इलाकों में वर्षा होने की संभावना है।
लो क्लाउड के चलते ओलावृष्टि हुई
वहीं मौसम विज्ञानियों का कहना है कि बुधवार को पश्चिमी विक्षोभ में लो क्लाउड के चलते ओलावृष्टि हुई है। प्रदेश के झज्जर में 25 एमएम तो करनाल में 12.1, यमुनानगर में 12, हिसार में 10.3, रोहतक में 20 एमएम, जींद में 9 एमएम, भिवानी में 6.2, अंबाला में 6 एमएम, गुरुग्राम में 0.5 एमएम वर्षा हुई। मौसम में तेजी से बदलाव हो रहा है। मौसम विज्ञानियों की तरफ से 31 जनवरी के बाद वर्षा होने की संभावना व्यक्त की गई थी।
न्यूनतम और अधिकतम तापमान में गैप हुआ कम
पश्चिमी विक्षोभ एक्टिव होने से प्रदेश में ओलावृष्टि और वर्षा हुई। इसके साथ ही न्यूनतम और अधिकतम तापमान में गैप कम हुआ है। वर्षा के चलते न्यूनतम तापमान में उछाल हुआ है। गुरुग्राम का न्यूनतम तापमान 13.3 डिग्री तक पहुंच गया।यह भी पढ़ें: Haryana Weather Today: मौसम ने ली करवट, बूंदों से भीगी सर्दी, हरियाणा के इन जिलों में जमकर बरसे बादल; जानें आज का मौसम
इसी प्रकार अंबाला में दोनों तापमान में गैप कम हुआ। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डा. मदन खीचड़ ने बताया कि तीन से पांच फरवरी तक एक्टिव होगा। यह विक्षोभ हलका होगा। इससे तीन दिन तक हल्की वर्षा होने की संभावना है।
वर्षा का रेतीले इलाकों को ज्यादा फायदा
विज्ञानियों के अनुसार प्रदेश में जो वर्षा हुई है वह फसलों के लिए काफी फायदेमंद रहेगी। विशेषकर रेतीले इलाकों में जहां पानी की ज्यादा जरूरत होती है। अभी किसानों को फसल में पानी लगाना था। फसल को वर्षा से पानी मिलने से उनको फायदा हुआ है।
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