कैंसर व एड्स से लड़ेगा हरियाणा कृषि विवि का उगाया खास शिटाके मशरुम
एचएयू के विशेषज्ञों ने कैंसर और एड्स जैैसे भयानक रोगों से लड़ने वाली खास शिटाके मशरूम की तैयार की है। राज्य में सस्ते शिटाके मशरूम की खेती शुरू हो गई है।
हिसार, [चेतन सिंह]। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) के विशेषज्ञों ने मशरूम की प्रजाति उगाई है जाे कैंसर और एड्स जैैसे भयानक रोगों से लड़ेगा। एचएयू के विशेषज्ञों के साथ मिलकर हरियाणा के किसानों ने इस शिटाके मशरूम का सस्ता उत्पादन शुरू किया है। यह मशरूम कैंसर की दवा लैंटाइनन का मुख्य स्रोत है। शिटाके रिच एंटीऑक्सीडेंट का स्रोत होने के कारण शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, जिससे एड्स व कैंसर जैसी बीमारियों को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
कैंसर की दवा लैंटाइनन का मुख्य स्रोत है शिटाके मशरूम, विशेषज्ञों की देखरेख में खेती कर रहे किसान
एचएयू के विज्ञानियों ने इस मशरूम के उत्पादन की सस्ती और आसान तकनीक ईजाद की है ताकि कम आय वाले किसान भी इसका उत्पादन कर न सिर्फ अच्छी कमाई कर सकें और स्वस्थ भारत मुहिम में भी हिस्सेदार बनें। एचएयू के प्रमुख विज्ञानी डॉ. सुरजीत सिंह ने बताया कि आम तौर पर छह से नौ माह में तैयार होने वाले इस शिटाके मशरूम को एचएयू के विज्ञानियों ने महज 90 दिनों में इसके उत्पादन का तरीका ईजाद किया है।
बता दें कि दिल्ली व अन्य बड़े शहरों में इस रोग प्रतिरोधक मशरूम की काफी डिमांड है। फिलहाल शिटाके मशरूम की मांग को कुछ हद तक हिमाचल प्रदेश पूरा कर रहा है। हिमाचल के किसान करीब दो हजार रुपये किलो के दाम में इसे बेचते हैं और इससे यह मध्य वर्ग की पहुंच से दूर हो जाता है।
शिटाके मशरूम की खेती करता एक किसान।
इस प्रकार उगा सकते हैं यह खास मशरूम
- इस मशरूम को एक झोपड़ी में भी उगाया जा सकता है। जिस स्थान पर यह मशरूम लगाना है उस कमरे की नमी 90 फीसद होनी चाहिए। इसके लिए कमरे में पानी का छिड़काव किया जा सकता है।
- सबसे पहले लकड़ी के बुरादे को एक लिफाफे में एकत्रित करना है। उसके बाद आटो क्लेव मशीन से 121 डिग्री तापमान देकर इस बुरादे को रोगाणु रहित किया जाता है। एक घंटे तक इस बुरादे को गर्मी दी जाती है।
- इसके बाद इस बुरादे को ठंडा करके इसमें शिटाके मशरूम का बीज लगाया जाता है। बीज लगाने के बाद नमी का विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए। 70 से 90 दिन में यह मशरूम तैयार हो जाती है। शिटाके मशरूम का बीज एचएयू में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। विशेषज्ञों की मानें तो एक किलो मशरूम का उत्पादन लागत करीब 150 रुपये आएगी।
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मार्केट में आसानी से उपलब्ध है ऑटो क्लेव मशीन- ऑटो क्लेव मशीन मार्केट में आसानी से मिल जाती है। इसकी छोटी मशीन की कीमत डेढ़ लाख से शुरू है। इसी मशीन के जरिये लकड़ी के बुरादे को रोगाणु रहित किया जाता है। यह प्रेशर कुकर की तरह काम करती है।
डॉ. सुरजीत सिंह ने बताया कि आमतौर पर यह मशरूम ठंडे इलाकों में पैदा होती है। हरियाणा के किसान सर्दियों में इसे लगा सकते हैं। दिसंबर में इसकी खेती शुरू करें तो मार्च तक यह तैयार हो जाती है। अभी बाजार में मशरूम की जो प्रजातियां मौजूद हैं उनकी लागत इस मशरूम से अधिक है।