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1.75 करोड़ खर्च कर जंगली पौधों की जड़ों पर सब्जियां उगाएगी एचएयू

ऐसे जंगली पौधे जो विपरीत परिस्थितियों में भी उगकर अपने-आप बड़े हो जाते हैं, उनकी जड़ों का इस्तेमाल अब सब्जियां उगाने के लिए किया जाएगा।

By JagranEdited By: Updated: Thu, 30 Aug 2018 08:07 PM (IST)
1.75 करोड़ खर्च कर जंगली पौधों की जड़ों पर सब्जियां उगाएगी एचएयू

जेएनएन, हिसार : ऐसे जंगली पौधे जो विपरीत परिस्थितियों में भी उगकर अपने-आप बड़े हो जाते हैं, उनकी जड़ों का इस्तेमाल अब सब्जियां उगाने के लिए किया जाएगा। जंगली पौधे और सब्जी के पौधे को उनके गुणों और उत्पादन के आधार पर एक साथ जोड़कर एक नया पौधा तैयार होगा, जिससे बिना किसी बीमारी के सब्जियों का अधिक उत्पादन लिया जा सकेगा। ग्रा¨फ्टग की इस तकनीक में अलग-अलग क्षेत्र के लिए अलग-अलग जंगली जड़ों का प्रयोग किया जाएगा। इस तकनीक द्वारा पौधे तैयार करने और उन्हें किसानों तक पहुंचाने के लिए राष्ट्रीय कृषि विस्तार योजना रफ्तार के तहत चौधरी चरण ¨सह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय को 1 करोड़ 75 लाख रुपये का प्रोजेक्ट मिला है। वेजिटेबल ग्रा¨फ्टग फॉर मिटिगेशन ऑफ बॉयोटिक एंड एबायोटिक स्ट्रेसिस इन ग्रीन हाउस वेजिटेबल सिस्टम नामक इस प्रोजेक्ट के तहत टमाटर, मिर्च, शिमला मिर्च और कद्दू वर्गीय सब्जियों की ग्रा¨फ्टग की जाएगी। कई संस्थानों से मंगवाए गए प्रतिरोधी रूट्स

इस प्रोजेक्ट पर एचएयू का सब्जी विज्ञान विभाग शोध कर रहा है। प्रोजेक्ट कोर्डिनेटर डा. इंदू ने बताया कि प्रोजेक्ट के तहत आइआइवीआर बनारस, नवसारी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी गुजरात, हिमाचल प्रदेश एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी पालमपुर व अन्य कई संस्थानों से प्रतिरोधी रूट्स मंगवाए गए हैं। वहीं विभाग के अध्यक्ष डा. वीके बत्रा ने बताया कि ग्रा¨फ्टग तकनीक पर काम पूरा होने के बाद किसानों को भी इसकी ट्रे¨नग दी जाएगी। ताकि वो ग्रा¨फ्टग का काम करके अतिरिक्त आय कमा सकें। इन समस्याओं के समाधान पर फोकस

जड़ में गांठों के कारण सब्जियों के पौधे का विकास रुकना एक बड़ी समस्या है। मिट्टी में फ्यूजेरियम (एक तरह का फंगस) व नीमाटोड जैसी बीमारियों के कारण पौधे सूख जाते हैं। इन बीमारियों की प्रतिरोधी जड़ों पर सब्जियों के पौधों की ग्रा¨फ्टग की जाएगी।

- कई क्षेत्रों में खारे या लवणीय पानी, बहुत अधिक तापमान और बेहद कम बारिश की समस्याएं हैं। इनको देखते हुए जिस क्षेत्र में जैसी समस्या है, वहां उसी समस्या के प्रतिरोधक जड़ को चुनकर कम उर्वरक, पानी, रसायन या अन्य तत्वों के न्यूनतम प्रयोग से भी उच्च गुणवत्ता वाली फसल का अधिक उत्पादन लिया जा सकेगा। उदाहरण के तौर पर जहां बारिश कम होती है, वहां ऐसी जंगली जड़ों पर सब्जियों की पौध विकसित की जाएगी, जिनकी ग्रोथ कम पानी में भी जल्दी हो जाती है।

- जहां मिट्टी की बीमारियां हैं, वहां खुद उगने वाले पौधों की जड़ों पर सब्जियों के पौधों की ग्रा¨फ्टग की जाएगी, जिसमें मिट्टी की बीमारियों का कोई असर नहीं होगा और कई कीटों के प्रकोप से भी सब्जियां बच सकेंगी। इससे किसानों को सब्जियों की फसल पर पेस्टिसाइड नहीं छिड़कना पड़ेगा।

यह है ग्रा¨फ्टग

सब्जी विज्ञान विभाग की वैज्ञानिक डा. इंदु आरोड़ा ने बताया कि ग्रा¨फ्टग प्रक्रिया के तहत दो अलग-अलग पौधों को उनके गुणों और उत्पादन के आधार पर एक साथ जोड़कर एक नया पौधा तैयार किया जाता है। उदाहरण के तौर पर जंगली पौध के तने को बीच से तिरछा काट लिया जाता है। फिर ऐसे ही सब्जियों की पौध को विपरीत दिशा में तिरछा काट कर जंगली पौध वाली तने पर सत्यापित कर क्लिप लगा दी जाती है।

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