1.75 करोड़ खर्च कर जंगली पौधों की जड़ों पर सब्जियां उगाएगी एचएयू
ऐसे जंगली पौधे जो विपरीत परिस्थितियों में भी उगकर अपने-आप बड़े हो जाते हैं, उनकी जड़ों का इस्तेमाल अब सब्जियां उगाने के लिए किया जाएगा।
जेएनएन, हिसार : ऐसे जंगली पौधे जो विपरीत परिस्थितियों में भी उगकर अपने-आप बड़े हो जाते हैं, उनकी जड़ों का इस्तेमाल अब सब्जियां उगाने के लिए किया जाएगा। जंगली पौधे और सब्जी के पौधे को उनके गुणों और उत्पादन के आधार पर एक साथ जोड़कर एक नया पौधा तैयार होगा, जिससे बिना किसी बीमारी के सब्जियों का अधिक उत्पादन लिया जा सकेगा। ग्रा¨फ्टग की इस तकनीक में अलग-अलग क्षेत्र के लिए अलग-अलग जंगली जड़ों का प्रयोग किया जाएगा। इस तकनीक द्वारा पौधे तैयार करने और उन्हें किसानों तक पहुंचाने के लिए राष्ट्रीय कृषि विस्तार योजना रफ्तार के तहत चौधरी चरण ¨सह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय को 1 करोड़ 75 लाख रुपये का प्रोजेक्ट मिला है। वेजिटेबल ग्रा¨फ्टग फॉर मिटिगेशन ऑफ बॉयोटिक एंड एबायोटिक स्ट्रेसिस इन ग्रीन हाउस वेजिटेबल सिस्टम नामक इस प्रोजेक्ट के तहत टमाटर, मिर्च, शिमला मिर्च और कद्दू वर्गीय सब्जियों की ग्रा¨फ्टग की जाएगी। कई संस्थानों से मंगवाए गए प्रतिरोधी रूट्स
इस प्रोजेक्ट पर एचएयू का सब्जी विज्ञान विभाग शोध कर रहा है। प्रोजेक्ट कोर्डिनेटर डा. इंदू ने बताया कि प्रोजेक्ट के तहत आइआइवीआर बनारस, नवसारी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी गुजरात, हिमाचल प्रदेश एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी पालमपुर व अन्य कई संस्थानों से प्रतिरोधी रूट्स मंगवाए गए हैं। वहीं विभाग के अध्यक्ष डा. वीके बत्रा ने बताया कि ग्रा¨फ्टग तकनीक पर काम पूरा होने के बाद किसानों को भी इसकी ट्रे¨नग दी जाएगी। ताकि वो ग्रा¨फ्टग का काम करके अतिरिक्त आय कमा सकें। इन समस्याओं के समाधान पर फोकस