Hisar: गुरमीत की पैरोल के खिलाफ एसजीपीसी की याचिका पर हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर मांगा जवाब
सिरसा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह की पैरोल के खिलाफ ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर पैरोल रद्द करने की गुहार लगाई थी। अब इस मामले में हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को 17 फरवरी के लिए नोटिस जारी कर जवाब तलब किया।
By Jagran NewsEdited By: Jagran News NetworkUpdated: Thu, 09 Feb 2023 02:04 PM (IST)
हिसार, जागरण संवाददाता। डेरा सच्चा सौदा सिरसा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह की पैरोल के खिलाफ शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर पैरोल रद करने की गुहार लगाई थी। अब इस मामले में हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को 17 फरवरी के लिए नोटिस जारी कर जवाब तलब किया।
हालांकि ऐसी याचिका पहले भी लगाई गई थी, लेकिन उसमें तकनीकी खामी के चलते उसे संशोधन के लिए वापस कर दिया गया था।
पिछले सप्ताह की जनहित याचिका दायर
पिछले सप्ताह एसजीपीसी के सदस्य भगवंत सिंह सियालका ने जनहित याचिका दायर की थी। तकनीकी कारणों से सियालका ने याचिका वापस ले ली थी। एसजीपीसी ने एक प्रस्ताव पास कर सियालका के माध्यम से जनहित याचिका दायर कर हरियाणा सरकार के गुरमीत राम रहीम सिंह को पैरोल देने के आदेश को चुनौती दी है।गुरमीत सिंह को 40 दिनों की पैरोल देने के आदेश
एसजीपीसी द्वारा दायर याचिका में मंडल आयुक्त रोहतक द्वारा पैरोल देने में वैधानिक नियमों के उल्लंघन के आरोप लगाए गए हैं। एसजीपीसी ने 20 जनवरी को आयुक्त रोहतक द्वारा गुरमीत सिंह को 40 दिनों की पैरोल देने के आदेश को हरियाणा सदाचार कैदी (अस्थायी रिहाई) अधिनियम 2022 की धारा 11 के प्रविधानों के खिलाफ बताते हुए रद करने की मांग की है।
यह पैरोल भारत की संप्रभुता को खतरे में डालने वाली
पैरोल की अवधि के दौरान गुरमीत सिंह के गैरकानूनी बयानों और गतिविधियों से निकलने वाले खतरनाक परिणामों के बारे में याचिका के माध्यम से कोर्ट को अवगत कराया गया है। एसजीपीसी ने याचिका में कहा कि यह पैरोल भारत की संप्रभुता व अखंडता को खतरे में डालने और देश में सार्वजनिक सद्भाव, शांति और सामाजिक ताने-बाने को बनाए रखने के लिए खतरा है।याचिका के अनुसार हत्या व दुष्कर्म जैसे मामलों में सजा काट रहे गुरमीत सिंह को पैरोल देना हरियाणा सरकार की खुद की नीति के खिलाफ है। हरियाणा सदाचरण बंदी (अस्थायी रिहाई) अधिनियम 2022 की धारा 11 के स्पष्ट प्रविधानों के मद्देनजर उन्हें जेल से रिहा नहीं किया जा सकता था।
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