हिसार मेयर ने जिस अफसर को माना भ्रष्टाचारी, उसे ही सौंपे सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट
भ्रष्टाचार के मामले में इंजीनियर हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत पर हैं। मेयर स्वयं इंजीनियर को दोषी मानते हुए भ्रष्टाचार के मामले में उनके विपक्ष में खड़े थे। पर अब मामला पलट गया।
By Manoj KumarEdited By: Updated: Tue, 04 Aug 2020 08:46 AM (IST)
हिसार, जेएनएन। नगर निगम की नियुक्ति में गोलमाल के मामले में नया मोड़ आया है। शहर में सड़क टेंडर में भ्रष्टाचार मामले में सबसे अधिक सुर्खियां बटोरने वाले केस में भ्रष्टाचार के आरोपित इंजीनियर सुरेश गोयल को निगम ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल के ड्रीम प्रोजेक्ट सौंप रखे हैं। इंजीनियर भ्रष्टाचार के मामले में हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत पर है। मामला अभी न्यायालय में चल रहा है।
वहीं हैरानी की बात यह है कि मेयर गौतम सरदाना स्वयं इंजीनियर को दोषी मानते हुए उनके विपक्ष में खड़े थे। बावजूद इसके शहर के विकास के प्रोजेक्टों से लेकर अन्य महत्वपूर्ण कार्य तक इंजीनियर को सौंपना कहीं न कहीं अंदरखाते भ्रष्टाचार की संभावनाओं को प्रबल कर रहा है। ऐसे में मेयर से लेकर निगम अफसरों की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ गई है। उधर जब इंजीनियर सुरेश गोयल से बात की गई तो उन्होंने रिटायरमेंट के बाद निगम में किस पद पर कार्यरत हैं, बताने से मना कर दिया। उन्होंने केवल यहीं कहा कि यह मामला पुराना है। इसमें हाईकोर्ट से जमानत ली हुई है।
निगम इंजीनियरों की योग्यता पर फिर लगा सवालिया निशान
नगर निगम के इंजीनियरों की योग्यता जग जाहिर होती जा रही है। कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष कुमारी शैलजा के घर के सामने की ड्रेनेज को साफ करवाने में भी इंजीनियर फेल रहे थे। वहीं नगर निगम प्रशासन द्वारा भ्रष्टाचार मामले में आरोप इंजीनियर को विकास के प्रोजेक्ट सौंपने से नियमित इंजीनियरों की योग्यता पर सवाल खड़े कर दिए है। इस फैसले से ऐसा लग रहा है जैसे निगम के रेगुलर इंजीनियर शहर के विकास का बड़ा प्रोजेक्ट बनाने में सक्षम नजर नहीं आ रहे हैं। वहीं नाम न छापने की शर्त पर जनप्रतिनिधि बोले कि वर्तमान इंजीनियर बड़े प्रोजेक्ट सिरे चढ़ाने में योग्य नहीं है। तभी तो दूसरे इंजीनियरों ने आज तक शहर का एक भी बड़ा प्रोजेक्ट सिरे नहीं चढ़ा पाए हैं।
ये था पूर्व का मामला
16 सितंबर 2020 को टेंडर भ्रष्टाचार मामले में न्यायालय में सुनवाई है। शिकायतकर्ता व पूर्व प्रधान अरङ्क्षवद खङ्क्षरटा के अनुसार साल 2005-06 में उन्हें नगर परिषद के प्रधान पद से हटाया गया था। इसके बाद बिहारी लाल राडा प्रधान बने। उसके समय में सड़कों के टेंडर हुए। जिसमें बंदरबांट के आरोप लगे। निर्धारित संख्या से अधिक टेंडर जारी कर दिए गए । टेंडर में बैंक चैकों में भी फर्जीवाड़ा हुआ। भ्रष्टाचार मामले में विजिलेंस जांच हुई। जिसमें जनहित याचिका भी लगी। उस समय मेयर गौतम सरदाना पार्षद थे। पार्षद अनिल जैन व मेयर गौतम सरदाना इस भ्रष्टाचार मामले में होने वाली शिकायत के पक्षधर थे। वकालतनामे पर इनके भी साइन थे। टेंडर भ्रष्टाचार मामले में ही मौजूदा इंजीनियर आरोपी था। जो निगम में करीब दो साल से नौकरी कर रहा है।
आरटीआइ में भी शहरवासियों को नहीं दे रहे जानकारीनगर निगम में भ्रष्टाचार का खेल इस कदर हावी है कि शहर के जनप्रतिनिधियों को जांचों की रिपोर्ट तो दूर सरकार के आदेशों की सभी प्रति पढऩा भी नसीब नहीं हो रहा है। निगम क्लर्क से लेकर अधिकारी तक उन कागजों में फाइलों में ऐसे लगा रहे है जैसे यह जनप्रतिनिधि या आमजन को दिख गए तो कोई भूचाल आ जाएगा। परेशान जनता जब आरटीआइ से इंजीनियर के बारे में जानकारी मांग रही है तो किसी को कुछ नहीं बताया जा रहा तो किसी को यह लिखकर दे रहे हैं कि संबंधित इंजीनियर का हमारे पास कोई रिकार्ड मौजूद नहीं है।
-----सुरेश गोयल को हमने कोई बड़ा प्रोजेक्ट नहीं दे रखा। उनको इंप्रूवमेंट ट्रस्ट में लगाया हुआ है। वह स्कीमों के कागजात की जांच करते हैं। - गौतम सरदाना, मेयर, नगर निगम
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