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निराश्रित बच्चों को गोद लेना चाहते हैं तो हिसार में यहां आइए, पहल से पूर्ण होंगे दो परिवार

अडाप्शन से पहले बच्चों को लेने वाले आवेदकों की पूरी तरह पड़ताल की जाती है। उनकी आर्थिक और सामाजिक स्तर को भी विभाग की ओर से जांचा जाता है। इसके बाद ही प्रकिया के तहत बच्चों को उन्हें सौंपा जाता है।

By Manoj KumarEdited By: Updated: Thu, 30 Dec 2021 10:50 AM (IST)
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बच्चों को अडाप्ट करना चाहते हैं तो सभी औपचारिकताएं पूरी कराने के बाद बच्चों को उन्हें दिया जाता है।
जागरण संवाददाता, हिसार: शहर में मिलने वाले निराश्रित बच्चों का सहारा बन रही शहर के बाल भवन स्थित चाइल्ड अडाप्शन एजेंसी की ओर से निराश्रित मासूमों की देखरेख बेहतर तरीके से की जा रही है। यहां आने वाले बच्चों के स्वास्थ्य से लेकर उनके रहने का बेहतर प्रबंध है। अडाप्शन एजेंसी के मैनेजर और कोआर्डीनेटर कृष्ण कुमार ने बताया कि कहीं से भी को निराश्रित बच्चा केंद्र में आता है तो उसका पूरा ध्यान रखा जाता है। केंद्र में दाखिल करने से पहले उसका मेडिकल करवाया जाता है।

बच्चों की देखभाल करने के लिए बाल कल्याण विभाग की ओर से महिला सहायकों की नियुक्ति की गई है, जो इन बच्चों का हर प्रकार से देखभाल करतीं हैं। जिला बाल कल्याण अधिकारी विनोद कुमार ने बताया कि ऐसे लोग जिन्हें किन्हीं कारणों से संतान नहीं है, यदि वह इन बच्चों को अडाप्ट करना चाहते हैं तो सभी औपचारिकताएं पूरी कराने के बाद बच्चों को उन्हें दिया जाता है। समय समय पर इन बच्चों का फालोअप भी किया जाता है कि गोद लेने वाले अभिभावक बच्‍चों की परिवरिश किस तरह से कर रहे हैं।

आवेदकों की होती है पड़ताल

अडाप्शन से पहले बच्चों को लेने वाले आवेदकों की पूरी तरह पड़ताल की जाती है। उनकी आर्थिक और सामाजिक स्तर को भी विभाग की ओर से जांचा जाता है। इसके बाद ही प्रकिया के तहत बच्चों को उन्हें सौंपा जाता है। बच्चों को आवेदकों को सौंपने के दौरान भी मेडिकल व अन्य प्रक्रिया अपनाई जाती है।

यह है अडाप्शन की प्रक्रिया

यदि कोई निराश्रित बच्चों को अडाप्ट करना चाहता है तो उसे विभाग की वेबसाइट पर आनलाइन आवेदन करना होता है। आवेदन प्रकिया के दौरान एक राशि भी जमा करानी पड़ती है। इसके बाद विभाग की टीम मौके पर जाकर आवेदक की होम स्टडी करती है और रिपोर्ट विभाग को देती है। इसके बाद विभाग की ओर से तय प्रकिया के तहत बच्चों को सौंपा जाता है।

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