हिसार में रणनीति से होता है अवैध कॉलोनियों का निर्माण, नगर निगम की बाउंड्री से जुड़ा खेल
हिसार में कॉलोनाइजर एक विशेष रणनीति के तहत अवैध कॉलोनियों का निर्माण करते हैं। पीडि़त लोगों का फायदा उठाकर भाव दोगुने तक करा लिए जाते हैं।
By Manoj KumarEdited By: Updated: Tue, 04 Aug 2020 12:13 PM (IST)
हिसार, जेएनएन। हिसार में अवैध कॉलोनी अभी भी हैं तो इनका निर्माण भी एक सोची समझी रणनीति के तहत किया जाता है। नगर निगम की नाक तले सब होता रहता है, कॉलोनाइजर मोटा माल कमा जाते हैं तो लोग छले जाते हैं। तोशाम रोड पर बनी कॉलोनियों के मामले में भी ऐसा ही कुछ नजर आ रहा है। अब तोशाम रोड पर टाउन कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट की कार्रवाई के बाद अब लोगों के पास आशियाने बचाने के लिए एक ही विकल्प रह गया था। वह नगर निगम से सीमा में बढ़ोतरी करने की अपील कर सकते हैं। दरअसल इसी समय का कॉलोनाइजर इंतजार करते हैं। यहां तक पहुंचने के लिए अवैध कॉलोनी काटी जाती है। इस परिस्थिति में अगर लोगों को आशियाना बचाने में मदद मिलेगी तो अवैध कॉलोनी काटने वालों का भी मुनाफा होगा।
तोशाम रोड मामले में कुछ ऐसा ही हो रहा है। लोगों ने नगर निगम का दायरा बढ़ाने की मांग की है। अब निगम एक प्रस्ताव बनाकर अर्बन लोकल बॉडी को भेजेगा। इसकी स्वीकृति के बाद ही नगर निगम अपना दायरा बढ़ा सकता है। हालांकि इस प्रक्रिया में समय लगेगा, लेकिन दायरा बढ़ते ही तोशाम रोड पर जमीनों के रेट दोगुने हो सकते हैं।
समझिए... कैसे चलता है कि अवैध कॉलोनी को वैध घोषित कराने का खेल
स्टेप 1-----एग्रीकल्चर भूमि पर अवैध कॉलोनी शहर यानि नगर निगम की सीमा से सटी कृषि भूमि का कॉलोनाइजर सबसे पहले चयन करते हैं। इसके बाद सोसाइटी पंजीकृत कराई जाती है। फिर इसके जरिए कृषि भूमि को प्लॉटों में बांटा जाता है। कॉलोनी में सड़क का जाल बिछाया जाता है और प्लॉटों की मार्केङ्क्षटग शुरू कर दी जाती है। प्लॉटों की बिना तहसील से रजिस्ट्री कराए कार्ड पर बिक्री शुरू हो जाती है। लोग जब रजिस्ट्री की बात करते हैं तो कॉलोनाइजर कहते हैं कि सोसाइटी सरकारी कार्यालय ने भी पंजीकृत की है। हम उनकी मर्जी से ही प्लॉट बेच रहे हैं।
स्टेप 2------पानी और बिजली का कनेक्शन सरकार ने बिना टाइन कंट्री प्लाङ्क्षनग विभाग की एनओसी लिए किसी भी प्लॉट पर पानी और बिजली का कनेक्शन देने की मनाही की है। पर इस आदेश को कोई नहीं मानता। कॉलोनाइजर कनेक्शन लेकर बिजली के खंभे लगवाने के साथ ही पानी की सप्लाई शुरू करा लेते हैं। जब लोग प्लॉट देखने आते हैं तो उन्हें भरोसा दिलाया जाता है कि पानी और बिजली का कनेक्शन है तो कॉलोनी वैध है। इसी झांसे में लोग फंस जाते हैं। जबकि यह पूरी तरह से अवैध होता है।
स्टेप 3------- एक से दूसरे को ट्रांसफर होते रहते हैं प्लॉट जैसे-जैसे समय गुजरता है, अवैध कॉलोनियों में प्लॉट एक से दूसरे, दूसरे से तीसरे को बिकते रहते हैं। हर बार कार्ड पर ही मालिक का नाम बदलता है। तहसील में प्रॉपर्टी ट्रांसफर कराने की कॉलोनाइजर जरूरत ही नहीं समझते। ऐसे में हर बार सरकार को राजस्व की हानि होती है। कृषि भूमि के प्रयोग वाली भूमि का सीएलयू (चेंज ऑफ लैंड यूज) लिया जाना चाहिए था, मगर वह भी नहीं लिया जाता। इस बीच टाउन कंट्री प्लाङ्क्षनग विभाग नोटिस देने की कार्यवाही शुरू करता है, जिसे कॉलोनाइजर छिपा जाते हैं।
स्टेप 4------आबादी बसने के बाद कॉलोनाइजर इंतजार करते हैं कि प्लॉटों पर लोग घर बनाने लगें। जरूरत के अनुसार लोग घर का निर्माण भी शुरू कर देते हैं। जब कुछ घर बन जाते हैं, तब टाउन कंट्री प्लाङ्क्षनग विभाग जेसीबी लेकर उन्हें तोडऩे आ जाता है। परेशान लोग कार्यालयों के चक्कर काटते रहते हैं। उन्हें बताया जाता है कि नगर निगम की सीमा बढ़ जाती है तो आप अपनी कॉलोनी को कुछ शर्तों के साथ नियमित करा सकते हैं। लोगों की परेशानी देखकर प्रशासन निगम की सीमा बढ़ा भी देता है तो सबसे ज्यादा कॉलोनाइजरों का ही होता है। क्योंकि कॉलोनी के आसपास उनकी और जमीन पहले से ही मौजूद रहती है।
सिस्टम में क्या होना चाहिए बदलाव- तहसील और टाउन कंट्री प्लानिंग को मिलकर जमीनों पर नजर रखनी चाहिए, जहां कॉलोनी कटे तहसील के अधिकारी भी दस्तावेज देखें।- सोसाइटी रजिस्ट्रार कार्यालय सोसाइटी गठन करते समय दस्तावेजों में निर्देश दर्ज करे कि इस पर प्लॉट की रजिस्ट्री नहीं हो सकती है।- अवैध कॉलोनी काटने वाले कॉलोनाइजर पर भी कड़ी कार्रवाई हो।
- टाउन कंट्री प्लानिंग से लेकर दूसरे विभाग कार्यप्रणाली में तेजी लाएं ताकि अवैध कॉलोनी में घर बने ही नहीं।
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