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Independence Day 2020: हरियाणा के गांव में आजादी के बाद तीसरी बार फहराया तिरंगा

पहली बार 23 मार्च 2018 को भिवानी के रोहनात में तिरंगा फहराया गया था। 1857 के स्वतंत्रता सेनानियों के बुजुर्ग वंशज 81 वर्षीय आत्माराम तिरंगा फहराया। गांव ने आजादी की लड़ाई लड़ी थी

By Manoj KumarEdited By: Updated: Sun, 16 Aug 2020 10:56 AM (IST)
Independence Day 2020: हरियाणा के गांव में आजादी के बाद तीसरी बार फहराया तिरंगा
बवानीखेड़ा/भिवानी [राजेश कादयान] हरियाणा के भिवानी जिले का गांव रोहनात गर्वित है। कारण? 15 अगस्त को होने वाला ध्वजारोहण। हो भी क्यों न, यह अवसर आजादी के 70 साल के बाद तीसरी बार था। आजादी के लिए संघर्ष करते हुए ग्रामीणों ने सब कुछ खो दिया। चाहे जमीन हो या जनजीवन। इस संघर्ष ने स्वतंत्रता दिवस की अहमियत समझने तक का अवसर उन्हें नहीं दिया। 1857 की क्रांति के शहीद बिरहड़दास बैरागी के वंशज वयोवृद्ध 81 वर्षीय आत्माराम को ध्वजारोहण का अवसर मिला। ऐतिहासिक अवसर मिलने पर वह बहुत खुश दिखे। परिवार के साथ पूरा गांव भी इसलिए गर्वित है कि प्रदेश सरकार ने उनकी अहमियत को समझा। गांव रोहनात पहला ऐसा गांव है, जिसमें देश आजाद होने के बाद भी ध्वजारोहण ही नहीं किया गया। प्रदेश सरकार ने भी इस मसले पर संज्ञान लिया और इस बार यहां तीसरी बार फिर तिरंगा फहराया गया।

हमारे लिए गौरव है स्वतंत्रता दिवस: आत्माराम

गांव के बुजुर्ग आत्माराम कहते हैं कि स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को ध्वजारोण का अवसर हमारे लिए गौरव की बात है। हमारे बुजुर्गों ने 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम में कुर्बानी दी। मेरे दादा स्वामी बिरहड़दास बैरागी की कुर्बानी को भुलाया नहीं जा सकता। अंग्रेजों ने तोप के आगे बांधकर उड़ा दिया था। इस स्वतंत्रता संग्राम मेंं नौंदा जाट रूपा खाती समेत अनेक ग्रामीण शहीद हो गए थे। 70 साल तक यहां तिरंगा नहीं फहराया। सबसे पहले 23 मार्च 2018 को पहली बार शहीदी दिवस पर सीएम मनोहरलाल और गांव के बुजुर्ग तालाराम नंबरदार ने ध्वजा रोहण किया था। दूसरी बार 15 अगस्त 2018 गांव की सरपंच रिनू और गांव की सबसे ज्‍यादा पढ़ी लिखी बेटी ने किया। इसके बाद 26 जनवरी 2019 और 15 अगस्त 2019 को ध्वजारोहण हुआ। इस साल 26 जनवरी  2020 के बाद अब 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर हमें ध्वजा रोहण का अवसर मिला।

रोहनात सह चुका लाखों जुल्मोंसितम

गांव रोहनात के इतिहास की बात करें तो यहां के ग्रामीणों ने 1857 में अंग्रेजों से लोहा लिया। अंग्रेजों ने ग्रामीणों पर जुल्म ढहाए और गांव को तोप से उड़ा दिया। शेष ग्रामीणों को हांसी स्थित एक सड़क पर रोड रोलर से कुचल दिया। यह आज भी लाल सड़क के नाम से प्रचलित है। गौरवशाली इतिहास की गवाही डाब जोहड़ के किनारे खड़े बरगद का पेड़ और कुआं देता है। अंग्रेजों की नीलाम की जमीन आज भी ग्रामीणों के नाम नहीं हो पाई। ग्रामीण आज भी अपने आपको गुलाम समझते हैं। 23 मार्च को शहीदी दिवस पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर गांव  पहुंचे और एक बुजुर्ग के हाथों ध्वज फहरवाया। इससे ग्रामीणों में आजादी जैसा अनुभव हुआ।

ग्रामीणों ने अंग्रेजों से लिया था लोहा

सरपंच रीनू बूरा बताती हैं कि 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में गांव रोहनात के ग्रामीणों ने अंग्रेजों से जमकर लोहा लिया। बड़ी बहादुरी से अंग्रेजों से लड़े। इसके चलते अंग्रेजों ने जरनल कोर्टलैंड की अगुवाई में गांव रोहनात पर तोप के गोले दाग कर गांव को तहस-नहस कर दिया। इसके बाद शेष ग्रामीणों को अंग्रेज पकड़कर हांसी ले गए और उन्हें रोड रोलर से कुचल दिया। महिलाओं पर भी जुल्म ढहाए। महिलाओं ने डाब जोहड़ के किनारे कुएं में कूदकर इज्जत बचाई। ग्रामीणों ने बचे ग्रामीणों को बरगद के पेड़ पर फांसी से लटका दिया। बदला लेने के लिए ग्रामीणों की कृषि योग्य भूमि भी नीलाम करा दी। जमीन वापसी की शर्त माफी मांगना था, जिसे ग्रामीणों ने अस्वीकार कर दिया।

अब भी गुलाम समझते रहे ग्रामीण

ग्रामीणों के जमीन नाम नहीं होने और अन्य हकों से भी वंचित होने के कारण ग्रामीण अपने को गुलाम समझते रहे। इसके चलते ग्रामीणों ने कभी गांव में आजादी का पर्व नहीं मनाया। 23 मार्च 2018 को मुख्यमंत्री मनोहरलाल गांव में आए और उन्होंने यहां  आजादी का जश्न मनाने की शुरुआत की। गांव को उनके हक दिलाने का वादा किया और गांव में अनेक घोषणाएं भी कीं।

------प्रदेश सरकार ने गांव रोहनात की प्रेरणादायक वीरगाथा को आगामी शैक्षणिक पाठ्यक्रम में शामिल करके गांव को नई पहचान दी है। गांव के लिए यह गौरव की बात है। प्रदेश के मुख्यमंत्री की ओर से की गई अनेक घोषणाओं पर काम हुआ है।

-रीनू बूरा, सरपंच, गांव रोहनात

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