कोरोना काल से पहले 40 हजार में चीन पहुंचते थे भारतीय छात्र, अब लग रहे तीन लाख रुपये
भारत लौटने वाले छात्रों को चीन वापस जाने के लिए नित नई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। चीन विश्वविद्यालयों से बुलावा आने पर छात्रों ने वापस जाने के लिए वीजा तो तैयार करवा लिए। लेकिन अब तक सीधे चीन जाने वाली भारतीय और चीनी फ्लाइट्स शुरु नहीं है
By Subhash ChanderEdited By: Manoj KumarUpdated: Tue, 27 Sep 2022 05:00 PM (IST)
जागरण संवाददाता, हिसार: चीन से कोरोना काल में भारत लौटने वाले छात्रों को चीन वापस जाने के लिए नित नई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। चीन विश्वविद्यालयों से बुलावा आने पर छात्रों ने वापिस जाने के लिए वीजा तो तैयार करवा लिए है। लेकिन अब तक सीधे चीन जाने वाली भारतीय और चीनी फ्लाइट्स शुरु नहीं हो पाई है। जिस कारण विद्यार्थी वापिस नहीं लौट पा रहे है। छात्रों का कहना है कि उन्हें उनके कालेजों की तरफ से बुलावे के लिए मैसेज तो आ गए है।
लेकिन अब जो फ्लाइट मिल रही है, वे हांगकांग, दक्षिण कोरिया और श्रीलंका से होकर जा रही है। साथ ही उन्हें वहां पहुंचकर 10 दिन के लिए क्वारंटाइन भी होना पड़ेगा। चीन जाने का कुल खर्च करीब तीन लाख रुपये आएगा जबकि कोरोना काल से पहले सिर्फ 40 हजार रुपये में चीन पहुंच जाते थे। इस कारण छात्र बुलावा आने पर भी वापिस नहीं लौट रहे है। छात्र फिलहाल चीन के लिए सीधे फ्लाइट शुरु होने के इंतजार में है।
2015 से 2017 के बैच के छात्रों के वीजा तैयार करवाए
चीन के अलग-अलग विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले भारतीय छात्र जिनकी कोरोना काल में इंटर्नशिप बीच में रुक गई थी, सबसे पहले उन छात्रों को चीन बुलाया गया है। विश्वविद्यालयों ने वर्ष 2015 से 2017 के बैच के छात्रों को सबसे पहले बुलाया है। इनके वहां जाने के बाद 10 दिन के क्वारंटाइन का समय पूरा होने पर कक्षाएं शुरु कर दी जाएगी। विश्वविद्यालयों ने इनके वीजा भी तैयार करवा दिए है।
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चीन के वेफांग मेडिकल यूनिवर्सिटी से लौटे हिसार के पटेल नगर में रहने वाले पार्षद डा. महेंद्र जूनेजा के बेटे अखिल जूनेजा और चीन की ही वेनझोऊ यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले जींद के पटियाला चौक निवासी आकाश परूथी, महाराष्ट्र के नासिक से तेजस, जींद में रोहतक रोड स्थित लक्ष्मी नगर के रहने वाले तुषार सैनी और अंबाला से राघव भारद्वाज ने बताया कि उनके पूरे बैच के वीजा तीन दिन पहले ही लग चुके है। लेकिन उन्हें चीन पहुंचने के लिए फ्लाइट के साथ क्वारंटाइन का खर्च भी खुद ही भुगतना होगा।
पहले चीन में क्वारंटाइन का खर्च खुद सरकार ही उठाती थी, लेकिन इस बार क्वारंटाइन का खर्च उन्हें ही उठाना होगा। इन्होंने बताया कि भारत से सीधे चीन की बजाय फ्लाइट्स हांगकांग, श्री लंका और दक्षिण काेरिया में सिओल से होकर जा रही है। लेकिन चीन में पहुंचने के बाद वहां एक सप्ताह तक होटलों में क्वारंटाइन होना पड़ेगा और कुल दस दिनों तक क्वारंटाइन रहना होगा। क्वारंटाइन के लिए भी डेढ़ लाख का खर्च आएगा। वहीं चीन जाने के लिए एक श्री लंकन एयर फ्लाइट का खर्च ही एक लाख 19 हजार रुपये आ रहा है। इसके अलावा जिस शहर में पहुंचेंगे, वहां क्वारंटाइन रहने के बाद तीन दिन तक किसी होटल में क्वारंटाइन होना होगा।
इसके लिए भी खुद ही खर्च उठाना होगा। छात्रों ने बताया कि पहले भारत से फ्लाइट हांगकांग होकर सीधे चीन के ग्वांगझोऊ शहर में उतरती थी। लेकिन अब जो फ्लाइट जा रही है, वह श्री लंकन एयरलाइंस जा रही है, जो चीन के शंघाई शहर से हाेते हुए ग्वांगझोऊ शहर में उतरती है। वहीं काेरोना काल से पहले चाइना सदर्न एयरलाइंस दिल्ली से ग्वांगझोऊ जाती थी, लेकिन अब यह फ्लाइट भी बंद है। यह दिल्ली एयरपोर्ट से सीधे आठ घंटे में पहुंचा देती थी। तुषार सैनी ने बताया कि उन्हें चीन लौटने के लिए एक्स-वन वीजा दिए गए है, जो तीन महीने के लिए वैध हाेते है, इसके बाद इसे एक सात के लिए रिन्यू करवाना पड़ता है।
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