International Everest Day: 16 की उम्र में हिसार की शिवांगी पाठक ने एवरेस्ट पर फहराया तिरंगा
हिसार की शिवांगी मात्र 16 की उम्र में एवरेस्ट फतेह कर चुकी हैं। कहती हैं कि एवरेस्ट फतेह करने के लिए संघर्ष और सकारात्मक सोच की जरूरत है। ताउते तूफान के कारण विश्व की चौथी सबसे ऊंची चोटी माउंट ल्होत्से के सफर को बीच में छोड़ना पड़ा।
By Umesh KdhyaniEdited By: Updated: Sat, 29 May 2021 11:25 AM (IST)
हिसार [पवन सिरोवा]। 16 मई 2018 मेरी जिंदगी की एक अहम तारीख है। यह वही दिन है जब दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट पर मैंने भारतीय तिरंगा लहराकर अपने सपने को साकार किया था। यह दिन जिंदगी में एक अमिट छाप छोड़ गया। इस दिन को जब भी मैं याद करती हूं तो दुनिया के विभिन्न देशों की पर्वतों की चोटियों को छूने की मेरी हिम्मत और हौसला बढ़ता जाता है। यह कहना है विश्व की युवा पर्वतारोही शिवांगी पाठक का।
शुक्रवार को शिवांगी ताउते तूफान के कारण विश्व की चौथी सबसे ऊंची चोटी माउंट ल्होत्से (ऊंचाई 8516 मीटर) की चढ़ाई को बीच में छोड़कर हरियाणा वापस पहुंची। शिवांगी को तूफान के कारण 6100 फीट की ऊंचाई से वापिस आना पड़ा। नेपाल की तरफ से माउंट एवरेस्ट को फतेह करने वाली सबसे युवा पर्वतारोही शिवांगी पाठक ने दैनिक जागरण संवाददाता से माउंट एवरेस्ट को फतेह करने के अपने सपने को हकीकत में बदलने के सफर की यादों को साझा किया।
...लगा दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं
हिसार के राजदरबार स्पेस (ग्लोबल स्पेस) निवासी शिवांगी पाठक ने कहा 16 मई 2018 को सुबह 8 बजकर 21 मिनट पर जब मैंने तिरंगा माउंट एवरेस्ट पर लहराया तो मुझे लगा दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है। केवल लक्ष्य के प्रति आपका प्रेम के साथ साथ लक्ष्य को पाने के लिए साहस, दृढ़ संकल्प और जुनून होना चाहिए। दुनिया की सबसे ऊंची 8848 मीटर की चोटी के शीर्ष पर पहुंचने के बाद मेरा हौसला ओर बढ़ गया। वह दिल छू लेने वाला पल था। मेरी मां आरती पाठक ने सबसे ज्यादा मेरा हौंसला बढ़ाया।
सकारात्मक और संघर्ष सिखाता है जीतना
16 साल की उम्र में जब मैं माउंट एवरेस्ट को फतेह करने के लक्ष्य की ओर बढ़ रही थी तो उस दौरान वहां कई पर्वतारोही बीमार होने के कारण वापस जाते देखे। कई के शव देखे। छोटी सी उम्र में जब शव देखे तो दुख तो हुआ लेकिन मेरी सकारात्मक सोच और संघर्ष ने मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। संघर्ष व सकारात्मक सोच ने मुझे जीतना सिखाया। मैंने अपने लक्ष्य से प्रेम किया। कड़ी मेहनत की। अपनी दिनचर्या को ऐसा बनाया जिससे मुझमें सकारात्मक ऊर्जा का विकास हुआ और मैं शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत हुई। प्रतिदिन योग, दौड़ और स्विमिंग का ही नतीजा है कि मैं माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई के दौरान लोगों के शव देखकर घबराई नहीं। जब चढ़ाई के दौरान मुश्किल वक्त आया तो याेग के कारण सकारात्मक ऊर्जा मिली और मैं आगे बढ़ती चली गई।
प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने शिवांगी को किया सम्मानित16 साल की उम्र में माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराकर विश्व रिकॉर्ड कायम करने वाली शिवांगी पाठक के बारे में मन की बात कार्यक्रम में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी तारीफ की। साल 2019 में राष्ट्रपति ने बाल शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया। 16 साल की उम्र में एवरेस्ट फतेह कर लिम्का बुक में युवा पर्वतारोही का रिकार्ड दर्ज करवा सम्मान हासिल किया।
पूजा पाठ करके मनाती हूं इंटरनेशनल एवरेस्ट डेमझे पहाड़ों से प्रेम है। मैं पहाड़ों की पूजा करती हूं। इंटरनेशनल एवरेस्ट डे को भी पहाड़ की पूजा करके मनाती हूं। मेरा मानना है कि सभी पर्वतारोही को ऐसे दिवस मनाने चाहिए जो हममें सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाते है और हमें अंदर से हिम्मत प्रदान करते है। साथ ही उस दिन हमें अपनी सफलता के उन पलों को भी याद करना चाहिए जो दिल छू लेने वाले थे।
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