सिरसा के इतिहास का साक्षी है यह पेड़, यहां शाहजहां के बेटे को मिला था जीवनदान
सिरसा के डेरा सरसाईनाथ में यह जाल वृक्ष लगा है। इस डेरे की स्थापना बाबा सरसाईनाथ ने की थी। उसी सम से यह वृक्ष है। इतिहास के साथ यह पेड़ लोगों की आस्था का भी केंद्र है। डेरा प्रबंधन इस पेड़ का उतना ही ख्याल रखता है जितना मंदिर का।
जागरण संवाददाता, सिरसा। सिरसा का विख्यात डेरा बाबा सरसाई नाथ आस्था का केंद्र है। डेरा के इतिहास के साथ-साथ ही डेरा का जाल का वृक्ष भी उतना ही ऐतिहासिक है जितना डेरा। डेरा प्रबंधन इस वृक्ष का भी उतना ही ख्याल रखता है जितना मंदिर परिसर का। जाल का वृक्ष अद्भुत है।
शहर के बीचों-बीच डेरा बाबा सरसाई नाथ स्थापित है। यहां हर वर्ष नवसंवत पर विख्यात मेला आयोजित किया जाता है। डेरा परिसर में ही प्राचीन जाल का वृक्ष है। इस वृक्ष का इतिहास भी पुराना है। पेड़ के संरक्षण के लिए डेरा प्रबंधन प्रयास करता है। कभी भी इसे नुकसान नहीं होने दिया जाता। वृक्ष की समय-समय पर छंटाई भी करवाई जाती है। डेरा के प्रबंधकों के विशेष आदेश हैं कि इस वृक्ष से कोई भी छेड़छाड़ नहीं करेगा और न ही कोई नुकसान पहुंचाएगा। इसीलिए प्रबंधकों ने बाकायदा वृक्ष पर बोर्ड भी चस्पा किया है जिस पर लिखवाया गया कि प्राचीन वृक्ष है।
यह है वृक्ष और डेरे का इतिहास
नगर के पूर्व में बना डेरा बाबा सरसाई नाथ मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र आकर्षण भी है। गुरु गोरखनाथ के शिष्य सिद्धपुरुष बाबा सरसाईनाथ ने ही नववर्ष प्रतिपदा के दिन सिरसा नगरी की नींव रखी थी। इसलिए सिरसा को सरसाईनाथ नगरी के नाम से भी जाना जाना है। बताया जाता है कि डेरे में आकर कोई भी सच्चे मन से मुराद मांगता है तो पूरी अवश्य होती है। यहां शाहजहां के बेटे को भी जीवनदान मिला। इसके बाद शाहजहां ने यहां एक लाल पत्थर का गुम्बज बनाया। ये गुम्बज मुगल कला का जीता-जागता उदाहरण भी है।
डेरे जितना पुराना है वृक्ष का इतिहास: बाबा सुंदराई नाथ
डेरा बाबा सरसाई नाथ के महंत बाबा सुंदराई नाथ का कहना है कि डेरा बाबा सरसाई नाथ का इतिहास बहुत पुराना है। जितना पुराना इतिहास मंदिर का है उतना ही पुराना इतिहास इस वृक्ष का भी है। हम इस वृक्ष का संरक्षण करते हैं और नुकसान नहीं होने देते। वृक्षों से ही जीवन है और इन्हें बचाना हमारा कर्तव्य भी है।
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