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इनेलो के ‘चश्मा’ के साथ छिन सकती है जजपा की 'चाबी', चुनाव परिणाम के बाद चाचा-भतीजे को सता रहा डर?

हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणाम हो चुके हैं। जहां एक ओर बीजेपी हरियाणा में पूर्ण बहुमत के साथ वापस लौटी। वहीं इस चुनाव में इनेलो और जजपा को झटका लग है। इनेलो जहां दो सीटों पर ही सिमट कर रही गई। वहीं बीजेपी को इस चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली। ऐसे में दोनों पार्टियों के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है।

By Jagran News Edited By: Prince Sharma Updated: Thu, 10 Oct 2024 10:32 AM (IST)
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क्षेत्रीय दल की मान्यता बरकरार रखने के लिए जरूरी वोट इनेलो नहीं जुटा सका है।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। विधानसभा चुनाव में दो सीट जीतने के बावजूद इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) की क्षेत्रीय दल की मान्यता और चुनाव चिह्न ‘चश्मा’ छिनने का खतरा है। कारण यह कि क्षेत्रीय दल की मान्यता बरकरार रखने के लिए जरूरी वोट इनेलो नहीं जुटा सका है।

इनेलो को केवल 4.14 वोट

इनेलो को विधानसभा चुनाव में 4.14 प्रतिशत और जननायक जनता पार्टी (जजपा) को 0.90 प्रतिशत वोट मिले हैं। इनेलो को पांच लाख 75 हजार 192 व जजपा को एक लाख 25 हजार 22 वोट मिले हैं। इससे पहले 18वीं लोकसभा के चुनाव में इनेलो का वोट शेयर 1.74 प्रतिशत और जजपा का 0.87 प्रतिशत था।

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार के अनुसार किसी भी राजनीतिक पार्टी को मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय दल का दर्जा प्राप्त करने और कायम रखने के लिए विधानसभा चुनाव में न्यूनतम छह प्रतिशत वोट और कम से कम दो सीटें जीतना आवश्यक है। अथवा विधानसभा की कुल सीटों की संख्या की न्यूनतम तीन प्रतिशत सीटें या तीन सीटें, जो भी अधिक हों, जीतनी जरूरी होती हैं। 

लोकसभा चुनाव में छह फीसदी वोट पाना आवश्यक

इसके अलावा लोकसभा चुनाव में कम से कम छह प्रतिशत वोट और न्यूनतम एक सीट जीतना आवश्यक है। कोई सीट न जीतकर भी पार्टी विधानसभा या लोकसभा चुनाव में कुल वैध वोटों का आठ प्रतिशत हासिल करने पर भी क्षेत्रीय दल के रूप में मान्यता कायम रख सकती है। इनेलो को 26 वर्ष पूर्व 1998 के लोकसभा चुनाव में चार सीटें जीतने के बाद क्षेत्रीय दलका दर्जा मिला था जो आज तक चल रहा है।

साढ़े पांच वर्ष पूर्व मई 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में इनेलो को केवल 1.9 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए थे जबकि कोई प्रत्याशी सांसद नहीं बन पाया। अक्टूबर 2019 के विधानसभा चुनाव में इनेलो को 2.44 प्रतिशत वोट मिले और इकलौते विधायक अभय सिंह चौटाला जीते।

चूंकि मौजूदा चुनाव में इनेलो निर्धारित वोट प्रतिशत प्राप्त करने में असफल रहा है, इसलिए क्षेत्रीय दल का दर्जा और आरक्षित चुनाव चिन्ह चुनाव आयोग द्वारा छीना जा सकता है। अगर किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल को एक आम चुनाव में न्यूनतम वोट/सीटें प्राप्त नहीं होती तो उसकी मान्यता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

पिछले चुनाव में जजपा ने जीती थीं 10 सीटें

ऐसे में जजपा को अभी कोई खतरा नहीं है। जजपा को वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में 10 सीटें जीतने और करीब 15 प्रतिशत वोट शेयर प्राप्त करने कारण यह दर्जा दिया गया है। इसलिए मौजूदा चुनाव में न्यूनतम छह प्रतिशत वोट और दो सीटें जीतने के बावजूद अगले विधानसभा चुनाव तक कोई खतरा नहीं है।

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