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रेत के टीलों पर लगा दिए कीन्‍नू के बाग, मालामाल हुआ किसान, सालाना कमा रहा लाखों

भिवानी के गांव खरकड़ी बावनवाली के किसान सतवीर सिंह ने बालू के टीले होने के बावजूद किसान सतवीर ने 5 वर्ष पूर्व में 3 एकड़ भूमि में कीन्‍नू और मौसमी का बाग लगाया। इससे उन्‍होंने परंपरागत खेती के साथ कमाई करना शुरू किया और उनकी जिंदगी बदल गई।

By Manoj KumarEdited By: Updated: Thu, 10 Dec 2020 11:39 AM (IST)
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किन्‍नू के बाग में खरकड़ी बावनवाली के किसान सतवीर सिंह
ढिगावा मंडी [मदन श्योराण] नहरी पानी की कमी। बारिश समय पर न होना। फसलों में विभिन्न प्रकार की बीमारियां व अन्य प्राकृतिक आपदाओं से किसानों परेशान हैं। परंपरागत खेती से आमदनी कम होने लगी और आर्थिक स्थिति डामाडोल होने लगी पर एक किसान से हौसला नहीं छोड़ा। भिवानी के गांव खरकड़ी बावनवाली के किसान सतवीर सिंह ने हिम्‍मत हारने की बजाए कमाई का जरिया खोजा।

बालू के टीले होने के बावजूद किसान सतवीर ने अपने घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाए रखने के लिए 5 वर्ष पूर्व में 3 एकड़ भूमि में कीन्‍नू और मौसमी का बाग लगाया। इससे परंपरागत कृषि के साथ अतिरिक्त आमदन शुरू हो गई। लीक से हटकर कुछ करने के जज्बे ने किसान सतवीर को हरियाणा के साथ-साथ निकटवर्ती राजस्थान के आस- पास के गांवों में अलग पहचान भी दिलवाई।

सतवीर सिंह ने बताया कि रेतीली जमीन व नहरी पानी की हमेशा कमी के कारण परंपरागत खेती में अच्छी बारिश होने पर तो बचत हो जाती वरना घाटा ही लगता। 5 वर्ष पहले स्कीम के बारे में विभाग से जानकारी व प्रेरणा लेकर 3 एकड़ जमीन में कीन्‍नू व मौसमी का बाग लगाया।

कीन्‍नू और मौसमी के पौधों में जल्दी सिंचाई की जरूरत नहीं होती। किसान सतवीर सिंह ने बताया कि अब इस जमीन में कीन्‍नू मौसमी के पौधों के साथ-साथ मौसमी फसलें गेहूं, सरसों, ग्वार बाजरा व कपास नरमे की खेती भी करता है। कीन्‍नू और मौसमी के बाग से उसे पहले 2 से 2.5 लाख रुपये सालाना अतिरिक्त आमदनी होने लगी है। जब भी सिंचाई की जरूरत होती है तभी कीन्‍नू और मौसमी के पौधों व फसलों मे सिंचाई कर लेता है।

वह सिंचाई ड्रिप सिस्टम द्वारा की जाती है, जिससे पानी व खाद व दवाई सीधे पौधों को मिल जाती है तथा पानी बेकार नहीं जाता। किसान ने बताया कि उसके बाग को देखकर गांव के कई किसानों ने भी कीन्‍नू और मौसमी के बाग लगाकर कमाई शुरू कर दी है। पास लगते दर्जनभर गांवों के किसान कीनू व मौसमी का बाग देखने के लिए आते हैं और परंपरागत खेती के साथ अतिरिक्त कमाई का जरिया देखकर खुश होते हैं। किसान ने बताया कि वह सब्जियां अपने खेत में ही उगाता है, कभी भी बाजार से नहीं लाता।

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