Kisan andolan: पहले जो किसान नेता कोरोना को हलके में ले रहे थे, अब वही बचने के लिए दे रहे टिप्स
किसान आंदोलन में भी कोरोना महामारी को लेकर जागरूकता दिख रही है। किसान नेता पहले कोरोना को सरकार का षड्यंत्र बता रहे थे। तीसरी लहर के खतरे के बीच अब वे मंच से जागरूकता फैला रहे हैं। टीकरी बॉर्डर पर कोरोना सं बंगाल की युवती की मौत भी हुई थी।
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़। कोरोना महामारी की दूसरी लहर खत्म होने के बाद अब तीसरी लहर को लेकर भी चिंता हर जगह होने लगी है। सरकार व प्रशासन तीसरी लहर से लोगों को बचाने की तैयारियों में जुट गया है। ऐसे में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन में भी कोरोना महामारी को लेकर जागरूकता बढ़ाई जा रही है।
कोरोना की दूसरी लहर से पहले अमूमन किसान नेता हर जगह यह कहते नहीं थक रहे थे कि यह बीमारी ही कुछ नहीं है। सरकार पर धड़ाधड़ आरोप लगाए जा रहे थे कि सरकार कोरोना की आड़ में उनका आंदोलन खत्म करवाना चाह रही है। मगर कोरोना की दूसरी लहर में भाकियू एकता उगराहा के प्रदेशाध्यक्ष जोगेंद्र सिंह उगराहा संक्रमित हुए। बंगाल से आई एक युवती की मौत कोरोना से हुई। उसके संपर्क में आए कई किसान नेता व नेत्री भी कोरोना संक्रमित हुए। ऐसे में अब तीसरी लहर का हवाला दिया जा रहा है तो आंदोलन के मंच से भी इस महामारी से बचने की अपील आंदोलनकारियों से की जा रही है। इस महामारी से बचने के उपाय बताए जा रहे हैं।
एहतियाती कदम उठाने की जरूरत
आंदोलन में आए न्यूरोलोजिस्ट डॉ. हरबाग सिंह पटियाला ने कहा कि पिछले दस महीनों से कृषि कानूनों के खिलाफ संघर्ष कर रहे किसानों का संघर्ष देश के इतिहास में अब तक का सबसे लंबा ऐतिहासिक आंदोलन है। उन्होंने किसानों से कहा कि संघर्ष के दौरान अपने स्वास्थ्य का भी वे पूरा ध्यान रखें। कोरोना महामारी को एक साल से अधिक समय हो गया है। महामारी दो चरणों से गुजर चुकी है। पहले चरण में मरीजों की संख्या अन्य देशों की तुलना में कम थी, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के आने से इस बीमारी से होने वाली मौतों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। इसलिए हमें इस बीमारी के खिलाफ कुछ एहतियाती कदम उठाने की जरूरत है। जैसे सैनिटाइजर और मास्क का उपयोग करना। एक दूसरे से शारीरिक दूरी बनाए रखना। बार-बार साबुन से हाथ धोना और साफ-सफाई का ध्यान रखना।
मौसम की मार झेल रहे किसान : जोगेंद्र
किसान नेता जोगेंद्र सिंह उगराहा ने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन में किसान मौसम की मार झेल रहे हैं। पहले ठंड, फिर बारिश व तूफान और गर्मी की मार किसान झेल रहे हैं। कड़ी धूप में जब दोपहर का समय होता है तो टेंटों में रहना काफी मुश्किल है। कम से कम आधा घंटा प्रतीक्षा करने के लिए साधारण तंबू में शाम को बैठा जा रहा है। गर्मी इतनी है कि अगर तंबू में बर्फ का टुकड़ा रखा जाए तो वह पंद्रह मिनट में पिघल जाएगा। इन टेंटों में आंदोलनकारी किसान भीषण गर्मी के कारण काफी परेशान हैं। ऐसे में सरकार को तीनों कानून वापस लेकर किसानों की मांग को पूरा करना चाहिए।
आंदोलन में आए पंजाब के किसान की मौत
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : टीकरी बार्डर पर आंदोलन में आए पंजाब के 74 वर्षीय किसान की मौत हो गई। इसकी वजह हार्ट अटैक बताई जा रही है। पुलिस ने घटना को लेकर रिपोर्ट दर्ज कर ली है। पोस्टमार्टम शनिवार को होगा। मृतक किसान की पहचान पंजाब के मोगा जिले के गांव बुधसिंह वाला के रहने वाले बलबीर सिंह के रूप में हुई। पुलिस ने पूछताछ के हवाले से बताया है कि बलबीर सिंह बाईपास पर नए बस स्टैंड के नजदीक रुका हुआ था। रात को खाना खाकर सोया हुआ था। जब अन्य किसानाें ने उसे संभाला तो वह चारपाई पर अचेत अवस्था में औंधे मुंह मिला। उसे आंदोलनकारी सिविल अस्पताल में लेकर आए। यहां पर चिकित्सकों ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया गया। बाद में मृतक के स्वजनों को सूचना दी। वे शुक्रवार की शाम को यहां पहुंचे। उनके बयान दर्ज किए गए। उन्होंने बताया कि वैसे तो बलबीर सिंह आंदोलन में शुरूआत से ही सक्रिय था। बीच-बीच में वह घर पर भी जा रहा था। अभी 10 जून को घर से आंदोलन में आया था। तब से यहीं पर था।
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