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चंडीगढ़ की सुखना लेक की तर्ज पर राखीगढ़ी में बन रही झील

ढाई करोड़ रुपये की लागत से दो तालाबों पर किया जा रहा काम

By JagranEdited By: Updated: Thu, 16 Sep 2021 06:50 AM (IST)
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चंडीगढ़ की सुखना लेक की तर्ज पर राखीगढ़ी में बन रही झील

-ढाई करोड़ रुपये की लागत से दो तालाबों पर किया जा रहा काम

-पंचायती राज विभाग के एसई, एक्सईएन सहित अन्य अधिकारियों ने किया निरीक्षण फोटो : 17 सुनील मान, नारनौंद

हड़प्पा सभ्यता को लेकर राखीगढ़ी गांव को विश्व हैरिटेज स्थापित करने के लिए सरकार कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही। यहां आने वाले पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए चंडीगढ़ की सुखना झील की तर्ज पर गांव में करीब ढाई करोड़ रुपये की लागत से दो तालाबों पर काम किया जा रहा है। इसको लेकर पंचायती राज विभाग के एसई, एक्सईएन ने साइट का निरीक्षण किया और जरूरी दिशा-निर्देश दिए।

राखीगढ़ी को विश्व हैरिटेज विकसित करने के लिए सरकार अनेक कदम उठाए हुए हैं। इसी कड़ी में गांव के तालाबों को झील रूप दिया जा रहा है और खाली जगह पर पार्क बनाया जाएगा। तालाब की खोदाई कर उसमें पुराने समय के बुर्जी वाला स्टेप घाट व पशुओं के लिए घाट तैयार कर झील का रूप दिया जा चुका है। तालाब के चारों तरफ घूमने के लिए सड़क बनाई जाएगी और उसके साथ फूलदार व छायादार पौधे भी लगाए जाएंगे। जबकि दूसरा तालाब पानी से भरा हुआ है और उसके पानी निकासी में काफी दिक्कत आ रही थी। जिसके कारण काम बंद हो गया था। इसको लेकर पंचायती राज के एसई, एक्सईएन पीएल शर्मा, एसडीओ जिले सिंह, जेई विकास मलिक, अशोक ढ़ाडा तालाब पर पहुंचे और निरीक्षण किया। इसके अलावा तालाब नंबर तीन से पानी निकासी करने पर ग्रामीणों से चर्चा की गई और पानी निकासी को लेकर जरूरी दिशा-निर्देश दिए। ग्रामीण जगदीश, दिनेश, मुकेश, राजेंद्र इत्यादि ने बताया कि पशुओं को पानी पिलाने में दिक्कत होती है। इसलिए पहले कुछ साफ पानी तालाब दो में भरा जाए और तालाब तीन का पानी कुछ तालाब दो में और कुछ दूसरे तालाब में डाला जा सकता है। बारिश होने के कारण खेतों में पानी की जरूरत नहीं है। एसई यशवीर पंवार ने बताया कि ग्रामीण व बाहर से आने वाले पर्यटक यहां पर ही झील व पार्क का आनंद ले सकें। इसलिए गांव में सुखना लेक की तर्ज पर झील बनाई जा रही है। कार्य को तेज गति देने के लिए साईट का निरीक्षण किया गया है। काम अच्छा किया जा रहा है। एक तालाब से पानी निकासी को लेकर दिक्कत थी। उसको ग्रामीणों से रूबरू होने पर हल हो गई। क्योंकि टेंडर में पानी निकासी व भरने का कोई प्रविधान नहीं है।

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