Hisar Lok Sabha Seat: लाल घरानों की किलेबंदी व पक्ष-विपक्ष की हवा में पलकर गढ़ी हिसार में प्रगति, क्या रहा है इतिहास
Lok Sabha Election 2024 हरियाणा के भजन लाल और देवीलाल ने हिसार को राजनीतिक जमीन बनाने के लिए इसकी किलाबंदी की। लोकसभा चुनाव में इस सीट के कई मायने हैं। साल 1966 में हरियाणा के अलग अस्तित्व में आने के पश्चात केंद्र और राज्य में कभी पक्ष की हवा थी तो कभी विपक्ष की। इन्हीं घटनाक्रमों में हिसार की राजनीति पली बढ़ी
हिसार, अमित धवन। किला शब्द से गढ़ा मैं हिसार हूं। शाब्दिक और राजनीति से संदर्भित-दोनों मायनों में मुझे किला ही माना गया। कारण कि अधिकांशत: हरियाणा के दो लाल घरानों (भजन लाल, देवीलाल) ने मेरी राजनीतिक जमीन अपनाने की किलाबंदी की। कभी किसी ने अपने परिवार को चुनावी मैदान में उतारकर तो कभी अपनी पार्टी के सिपहसलारों के बल पर मोर्चाबंदी कर अपनाया।
हरियाणा में हमेशा रही पक्ष-विपक्ष की हवा
इन लाल परिवारों से इतर भी मनीराम बागड़ी, मनीराम गोदारा और जयप्रकाश उर्फ जेपी ने भी मुझे गले लगाया। कुछ इस कदर कि संयुक्त पंजाब से अलग होते ही मैं विकास के पथ पर चल पड़ा। 1966 में हरियाणा के अलग अस्तित्व में आने के पश्चात केंद्र और राज्य में कभी पक्ष की हवा थी तो कभी विपक्ष की। लेकिन यह भी सच है कि राजनीतिक जमीन ने यहां से चुने गए सांसदों को नई ऊंचाई दी। अब अगले सांसद से कुछ खास अपेक्षाएं भी हैं। आशा करता हूं कि पूरी होंगी।
जेपी की जय का तीन बार फैला क्षेत्र में प्रकाश
पूर्व सांसद एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जय प्रकाश हिसार लोकसभा सीट से सबसे ज्यादा बार जीतने वाले सांसद हैं। यहां से तीन बार सांसद बने। उनकी यह जीत तीनों बार अलग-अलग पार्टी से रही। जय प्रकाश 1989 में जनता दल, 1996 में हरियाणा विकास पार्टी और फिर 2004 में कांग्रेस से जीते। उसके बाद वह जीत नहीं पाए।
कुल का दीपक बनकर रोशन हुए कुलदीप
हिसार लोकसभा सीट पर आजतक एक बार उपचुनाव हुआ है। 2009 में भजनलाल ने हजकां से चुनाव लड़ा। भजनलाल ने 6983 वोट से संपत्ति सिंह को हराया था। 2011 में भजनलाल के निधन के बाद हुए उप चुनाव में उनके बेटे कुलदीप बिश्नोई ने जीत हासिल की।यह भी पढ़ें- लोकसभा चुनाव से पहले क्यों बिखर गया BJP-JJP गठबंधन, इन पांच कारणों से जानिए सरकार टूटने की वजह
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