Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Navratra 2024: 3 अक्टूबर से नवरात्र शुरू, इस बार पालकी पर सवार होकर आ रहीं मां दुर्गा, जानें महत्व और पूजा विधि

इस साल नवरात्रि 10 दिन मनाई जाएगी क्योंकि तृतीया तिथि में वृद्धि हुई है। शारदीय नवरात्रि आश्विन मास शुक्ल पक्ष हस्त नक्षत्र और इंद्र योग में मनाए जाएंगे। जानिए नवरात्रि के महत्व पूजा विधि और मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों के बारे में। नवरात्रों में शक्ति की अधिष्ठात्री मां दुर्गा आदि शक्ति के 9 स्वरूपों की पूजा आराधना की जाती है।

By Kuldeep Singh Edited By: Sushil Kumar Updated: Sun, 29 Sep 2024 10:39 PM (IST)
Hero Image
Navratra 2024: 3 अक्टूबर से नवरात्र शुरू, इस बार पालकी पर सवार होकर आ रहीं मां दुर्गा।

जागरण संवाददाता, हिसार। प्रत्येक वर्ष अश्विन मास शुक्ल पक्ष में शारदीय नवरात्रे पूरे 9 दिन मनाए जाते हैं, लेकिन अबकी बार ऐसा नहीं है। तृतीया तिथि की वृद्धि होने के कारण अबकी बार पूरे 10 दिन मनाए जाएंगे। शारदीय नवरात्र शारदीय नवरात्रे आश्विन मास शुक्ल पक्ष हस्त नक्षत्र और इंद्र योग में मनाए जाएंगे।

यह कहना है ऋषि नगर स्थित विश्वकर्मा मंदिर के पुजारी एवं राष्ट्रीय ब्राह्मण माहा संस्था के पूर्व प्रधान आचार्य राममेहर शास्त्री का। 3 अक्टूबर को प्रारंभ होंगे और 12 अक्टूबर दिन शनिवार को समापन होगा। नवरात्रों में शक्ति की अधिष्ठात्री मां दुर्गा आदि शक्ति के 9 स्वरूपों की पूजा आराधना की जाती है।

पहले 3 दिन हम दुर्गा देवी का ध्यान करते हैं, जो पराक्रम स्वालंबन और आत्मविश्वास की प्रतिमूर्ति है। अगले तीन दिन हम मां लक्ष्मी का ध्यान करते हैं, जो शुभताऔर धन्यता की प्रतिमूर्ति है। अगले तीन दिन मां सरस्वती का ध्यान करते हैं, जो वाणी और ज्ञान की देवी है।

शास्त्री ने बताया कि पंचांग के अनुसार वीरवार देव बृहस्पति का दिन माना गया है और बृहस्पति देवताओं का गुरु है। अबकी बार मां दुर्गा डोली यानी के पालकी पर सवार होकर आ रही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां दुर्गा का डोली पर सवार होकर आना शुभ संकेत नहीं है। देवी पुराण के अनुसार मां दुर्गा का पालकी में सवार होकर आना देश में आर्थिक मंदी आ सकती है।

प्रकृति अपने रूद्र रूप में जान माल का नुकसान कर सकती है। इस बार मां दुर्गा चरणायुद् पर सवार होकर वापस जाएगी। बड़े पंजे वाले मुर्गे को चरणायुद् कहते हैं। मां दुर्गा का मुर्गा पर सवार होकर जाना अशुभ माना गया है। सबसे पहले रेती में जौ बिजकर कलश के ऊपर आम के पत्ते लगाएं, कलश के कंठ पर मौली का धागा बांधे फिर उसके ऊपर लाल कपड़े में लपेटकर पानी वाला नारियल रखें सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें।

लोकल न्यूज़ का भरोसेमंद साथी!जागरण लोकल ऐपडाउनलोड करें