नई किस्म कलौंजी-12 इजाद: शुगर-अस्थमा सहित कई बीमारियों को दूर करने की एक दवा, किसानों की बढ़ेगी जबरदस्त आय
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने कलौंजी की एक नई किस्म कलौंजी-12 विकसित की है। यह किस्म पिछले वर्ष अखिल भारतीय समन्वित मसाला अनुसंधान परियोजना की तरफ से बैंगलुरु की बैठक में सिफारिश की गई थी। कलौंजी-12 किसानों को 15 प्रतिशत तक अधिक पैदावार देगी और यह बीमारियों से भी मुक्त रहेगी। किसानों को लाभ पहुंचने के लिए हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की तरफ से नई किस्म कलौंजी-12 इजाद की है।
अमित धवन, हिसार। शरीर के लिए महत्वपूर्ण मसाला कलौंजी। शुगर से लेकर दर्द, सूजन, अस्थमा सहित कई बीमारियों को दूर करने की एक दवा। इस कलौंजी की फसल को बढ़ाने और किसानों को लाभ पहुंचने के लिए हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की तरफ से नई किस्म कलौंजी-12 इजाद की है।
यह किस्म पिछले वर्ष अखिल भारतीय समन्वित मसाला अनुसंधान परियोजना की तरफ से बैंगलुरु की बैठक में सिफारिश की गई थी। अब इसको उगाने के लिए बीज अगले वर्ष तक किसानों को उपलब्ध करवा दिया जाएगा। इस नई किस्म से 15 प्रतिशत तक अधिक पैदावार मिलेगी। हरियाणा में कलौंजी की खेती नई है।
इन इलाकों में होती है कलौंजी की खेती
यह अभी यमुनानगर, अंबाला, करनाल आदि कुछ जिलों में हो रही हैं। इसके अलावा उत्तर और उत्तर पश्चिमी में कलौंजी की खेती काफी होती हैं। देश में हरियाणा के अलावा कलौंजी की खेती पंजाब, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिमी बंगाल, आसाम आदि प्रदेश में होती हैं। इसकी पिछली नई किस्म अजमेर के सेंटर ने किसानों के लिए उपलब्ध करवाई थी।केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा नोटिफिकेशन
उन पुरानी किस्म को ही किसान देश में अभी उगा रहे हैं। मगर कलौंजी की पैदावार को बढ़ाने और बीमारियों से बचाना विज्ञानियों के समक्ष एक बड़ी चुनौती थी। इस पर हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की टीम ने काम किया और उनकी नई किस्म किसानों के लिए उपलब्ध होने के लिए तैयार है।
इसको किसानों तक पहुंचने के लिए केंद्र सरकार के पास नोटिफिकेशन भेजा जाएगा। वहां से मंजूरी मिलने के बाद इसको किसानों तक पहुंचाया जाएगा। हकृवि के डायरेक्टर रिसर्च डा. राजबीर गर्ग के निर्देशन में सब्जी विज्ञान विभाग से डा. एसके तेहलान और डा. टीपी मलिक ने इस रिसर्च पर काम किया है।
सामान्य मिट्टी में भी हो सकती है कलौंजी
कलौंजी की फसल के लिए किसान को कोई खास मिट्टी की जरूरत नहीं है। सामान्य खेत की मिट्टी में इसे उगाया जा सकता है। इसको उगाने के बाद तीन से चार बार पानी लगाने की जरूरत पड़ेगी।
अक्टूबर के अंत में इसको लगाया जाएगा। शुरूआत में न्यूनतम तापमान 15 से 20 डिग्री तो अधिकतम तापमान 30 से 32 डिग्री तक रहेगा। यह फसल शून्य डिग्री पर भी खराब नहीं होगी।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।इस किस्म में नहीं लगेगी बीमारी
विज्ञानियों की मानें तो अभी कलौंजी की फसल से किसान प्रति हेक्टेयर 8 क्विंटल तक फसल ले पाता हैं। उनकी तरफ से तैयार की कलौंजी-12 नई किस्म से 12 से 14 क्विंटल प्रति हैक्टेयर फसल ले सकेगा। प्रोडक्शन बढ़ने से किसान को काफी ज्यादा लाभ होगा। इस फसल का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसमें कोई बीमारी नहीं लगेगी। मौजूदा समय में चेपा रोग से कलौंजी की फसल प्रभावित हो रही है। इसको लेकर फील्ड में ट्रायल हो चुका हैं। अब ऊपर से मंजूरी मिलने का इंतजार रहेगा।विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज के नेतृत्व में कलौंजी की नई किस्म तैयार की है। यह किस्म बैंगलुरु में हुई बैठक में रिकमंड कर दी गई थी। अगले वर्ष तक किसानों को इसका बीज उपलब्ध करवा देंगे। यह बीमारियों से लड़ने के साथ अधिक पैदावार देगी।
- डा. एसके तेहलान, विभागाध्यक्ष, सब्जी विज्ञान विभाग, हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार।