जैविक उत्पाद तो बढ़ रहे पर जैविक खेती के प्रति किसानों का रुझान कम, किसानों को प्रेरित करने की जरुरत
हिसार में हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बीआर कांबोज ने कहा कि दिनों दिन जैविक उत्पादों की तरफ आम आदमी का रूझान बढ़ रहा है लेकिन जैविक खेती की ओर अभी भी कम किसान आगे आ रहे हैं।
By Manoj KumarEdited By: Updated: Wed, 21 Jul 2021 11:59 AM (IST)
जागरण संवाददाता, हिसार: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बीआर कांबोज ने कहा कि दिनों दिन जैविक उत्पादों की तरफ आम आदमी का रूझान बढ़ रहा है, लेकिन जैविक खेती की ओर अभी भी कम किसान आगे आ रहे हैं। इसलिए भविष्य में वैज्ञानिक जैविक खेती की सभी फसलों की समग्र सिफारिशें विकसित करें और इसके लिए कम जोत वाले किसानों को भी ज्यादा से ज्यादा प्रेरित किया जाना चाहिए। वे विश्वविद्यालय के दीन दयाल उपाध्याय जैविक खेती उत्कृष्टता केंद्र केवैज्ञानिकों से समीक्षा बैठक के दौरान रूबरू हो रहे थे। उन्होंने कहा कि जैविक उत्पदों की गुणवत्ता बनाए रखने पर जोर दिया जाना चाहिए और इस प्रकार के शोध कार्यों को बढ़ावा दें जो प्रत्येक किसान की पहुंच में हो सके। साथ ही प्रत्येक किसान अपने खेत में उसका प्रयोग करने में समर्थ हो।
कुलपति ने कहा कि एचएयू उत्तर भारत का अपने आप में एक अनुठा विश्वविद्यालय है जहां जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना की गई है। इसलिए वैज्ञानिकों का कर्तव्य बनता है कि इस केंद्र के माध्यम से अधिक से अधिक किसानों को जैविक खेती के प्रति प्रेरित व जागरूक किया जाए। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दशकों में हमारे देश व प्रदेश में जैविक खेती के प्रति किसानों, कृषि वैज्ञानिकों व आम उपभोक्ताओं का रूझान बढ़ा है। जैविक उत्पादों को स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होने के साथ-साथ पौष्टिक, स्वादिष्ट व रसायानों से मुक्त होते हैं।
अनुसंधान पूरे पैकेज में करें
उन्होंने वैज्ञानिकों से आह्वान करते हुए कहा कि अपने शोध प्रयोगों को इस तरह से आगे बढ़ाएं जिसमें आवश्यक सभी विषयों का समन्वय हो ताकि उपभोक्ताओं तक इसकी गुणवत्ता पहुंच सके। इसके अलावा अनुसंधान पहलुओं को टुकड़ों की बजाय एक पूरा पैकेज खोजा जाए जिसमें पैदावार, गुणवत्ता व प्रोसेसिंग शामिल हो। इस दौरान उन्होंने वैज्ञानिकों को अनुसंधान प्रयोगों में सुधार और किसान हितैषी बनाने के लिए कई सुझाव भी दिए। फल वाले पौधों के बीच सब्जी व अन्य फसलों का हो अंतकरण अनुसंधान निदेशक डा. एसके सहरावत ने जैविक खेती के लिए सूक्ष्म सिंचाई विधि से फर्टीगेशन करने पर ड्रीपर बंद होने की संभावना का समाधान ढूंढने, फल वाले पौधों के बीच सब्जी व अन्य फसलों का अंतकरण व विभिन्न फसलों का पूरे साल का फसल चक्र विकसित करने के लिए अनुसंधानों पर ध्यान देने पर जोर डाला।
एचएयू 150 एकड़ में कर रहा जैविक खेती
दीन दयाल उपाध्याय जैविक खेती उत्कृष्टता केंद्र के निदेशक डॉ. अनिल कुमार ने कें्रद में चल रहे विभिन्न प्रोजेक्ट के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह केंद्र करीब 150 एकड़ में फैला हुआ है और इसमें बागवानी, सब्जियों के साथ-साथ अन्य फसलों को भी जैविक रूप से तैयार किया जाता है। यह प्रदेश के किसानों को ऑर्गेनिक फल और सब्जियों को उगाने के प्रति प्रेरित करने में अहम भूमिका निभा रहा है। दरअसल, किसानों को ऑर्गेनिक खेती के प्रति प्रेरित करने के उद्देश्य से ही इस केंद्र की स्थापना वर्ष 2017 में की गई थी। वर्तमान में एचएयू में विभिन्न प्रकार के फलों, सब्जियों व अनाजों को बिना रसायनिक पदार्थों का प्रयोग किए खेती की जा रही हैं। जैविक खेती से किसान उत्पादन में वृद्धि व आय में बढ़ोतरी कर सकते हैं। इससे मिट्टी के जैविक गुण और उपजाऊपन को बढ़ाया जा सकता है। किसान जैविक खाद और जैविक इंसेक्टिसाइट का उपयोग करके एक बेहतर फसल ले सकते हैं। इससे पर्यावरण को नुकसान नहीं होता और खेत में सूक्ष्म जीव और वनस्पतियों को प्रोत्साहित करने में भी सहायक होते हैं व मिट्टी की संरचना में सुधार होता है। इस बैठक में आगामी वर्ष 2021-22 की रूपरेखा भी तैयार की गई। इस अवसर पर अतिरिक्त अनुसंधान निदेशक डॉ. नीरज कुमार, परियोजना निदेशक डॉ. सतीश खोखर सहित विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष व वैज्ञानिक भी मौजूद रहे।
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