प्रेग-डीएम किट बताएगी 'मिथुन' की प्रजनन अवस्था, पूर्वोत्तर राज्यों के किसानों को मिलेगा लाभ; ऐसे होगा टेस्ट
पहाड़ी व जनजातीय क्षेत्रों से मांग पर तैयार प्रेग-डीएम किट 30 दिन बाद 30 मिनट में ही बता देगी कि मिथुन प्रेग्नेंट है या नहीं। यह किट करीब तीन लाख मिथुन के पालक किसानों के लिए लाभकारी होगी। बता दें कि गोजातीय प्रजाति के मिथुन की उत्पत्ति 8000 साल से भी पहले हुई थी। मांस के अलावा मिथुन को बलि प्रयोजनों या वस्तु विनिमय व्यापार के लिए पाला जाता है।
By Jagran NewsEdited By: Rajat MouryaUpdated: Wed, 27 Sep 2023 02:59 PM (IST)
हिसार, अमित धवन। अरुणाचल प्रदेश का राजकीय तो देश के पूर्वोत्तर राज्यों के पहाड़ी क्षेत्रों का प्रमुख पशु है गोजातीय प्रजाति का मिथुन। हजारों वर्षों का इतिहास समेटे इस पशु के पालकों में प्रजनन संबंधी दुविधा दूर करने के लिए केंद्रीय भैंस अनुसंधान केंद्र (सीआईआरबी) की हिसार इकाई ने नई किट तैयार की है। इसे प्रेग-डीएम किट का नाम दिया गया है। यह किट पहाड़ों का मवेशी कहे जाने वाले मिथुन के गर्भ ठहरने अथवा नहीं ठहरने की जानकारी देगी।
पहाड़ी व जनजातीय क्षेत्रों से मांग पर तैयार प्रेग-डीएम किट 30 दिन बाद 30 मिनट में ही बता देगी कि मिथुन प्रेग्नेंट है या नहीं। यह किट करीब तीन लाख मिथुन के पालक किसानों के लिए लाभकारी होगी। दरअसल, पूर्वोत्तर के राज्यों में पशुपालकों के लिए संसाधनों की कमी है। वहां पशुचिकित्सकों की सेवाओं का सर्वथा अभाव माना गया है। इसलिए ऐसी किसी व्यवस्था की मांग थी जो मिथुन के प्रजनन संबंधी समस्याओं को दूर कर सके। नगालैंड के राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र ने हिसार के केंद्रीय भैंस अनुसंधान केंद्र (सीआइआरबी) से इस दिशा में सहयोग की मांग की थी। सीआइआरबी ने किट मांग पूरी की और नगालैंड के केंद्र को आत्मनिर्भरता भी दी।
ऐसे करते हैं टेस्ट
केंद्रीय भैंस अनुसंधान केंद्र हिसार के पशु शरीर क्रिया एवं प्रजनन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सज्जन सिंह और विज्ञानी डॉ. अशोक कुमार बल्हारा के अनुसार किट में तीन केमिकल की शीशी होती हैं। गर्भावस्था की जांच के लिए पहली शीशी से तीन और दूसरी शीशी से छह ड्राप केमिकल लेते है। उसमें दो एमएल मिथुन का शौच मिलाया जाएगा। 20 मिनट तक 90 डिग्री सेल्सियस तक गर्म करना होगा। तीसरे केमिकल को मिलाने के बाद गाढ़ा भूरा रंग होता है तो गर्भ ठहरा है।ये भी पढ़ें- I.N.D.I.A गठबंधन पर अभय चौटाला ने उठाए सवाल, राष्ट्रीय पार्टियों पर लगाया क्षेत्रीय दलों की अनदेखी का आरोप
सींग से नगालैंड में म्यूजिक यंत्र भी बनाया जाता है
मिथुन बहुपयोगी पशु है। यह एक समय में तीन से चार लीटर तक दूध देता है। व्यस्क पशु से 600 किलो तक मांस मिलता है। इसका चमड़ा भी प्रयोग होता है साथ ही सींग से नगालैंड में म्यूजिक यंत्र भी बनाया जाता है।8000 साल पहले उत्पत्ति
ऐसा माना जाता है कि मिथुन की उत्पत्ति 8000 साल से भी पहले हुई थी। मांस के अलावा, मिथुन को बलि प्रयोजनों या वस्तु विनिमय व्यापार के लिए पाला जाता है। यह अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर और मिजोरम के उष्णकटिबंधीय वर्षा वनों में पाया जाता है।
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