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राखीगढ़ी में टीलों के 20 फीट नीचे पक्की दीवार और नालियां मिलीं, हड़प्पाकालीन रहस्यों से उठ सकेगा पर्दा

आइकानिक साइट राखीगढ़ी में इन दिनों भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण दिल्ली की तरफ से पूरी टीम खोदाई की कार्य में युद्ध स्तर पर लगी हुई है। खोदाई में काफी ऐसे अवशेष मिल चुके हैं जिनसे की पुरातत्व के जगत में काफी चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं।

By Naveen DalalEdited By: Updated: Sat, 07 May 2022 10:43 AM (IST)
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राखीगढ़ी में खोदाई करती भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण दिल्ली की टीम। जागरण
नारनौंद (हिसार), सुनील मान। विश्व के मानचित्र पर अंकित राखीगढ़ी में इन दिनों टीलों पर खोदाई का कार्य किया जा रहा है। अब तक काफी ऐसे अवशेष निकल चुके हैं जो कि हड़प्पाकालीन सभ्यता की कहानी को बयां करते हैं। वही टीले नंबर एक पर करीब 20 फीट तक गहरी खोदाई की गई है। इस खोदाई से हड़प्पाकालीन रहस्यों से पर्दा उठ सकेगा। खोदाई में एक विशेष प्रकार का मटका भी मिला है और खुदाई के दौरान कुछ सील भी मिली है। यह काफी महत्वपूर्ण है।

खुदाई से होंगे चौंकाने वाले खुलासे

आइकानिक साइट राखीगढ़ी में इन दिनों भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण दिल्ली की तरफ से पूरी टीम खोदाई की कार्य में युद्ध स्तर पर लगी हुई है। खोदाई में काफी ऐसे अवशेष मिल चुके हैं, जिनसे की पुरातत्व के जगत में काफी चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं। टीले नंबर एक पर ही करीब 20 फीट नीचे तक की खोदाई की जा चुकी है और भी नीचे तक यह खोदाई की जाएगी। इस जगह पर काफी बड़ी-बड़ी दीवारें मिल चुकी हैं।

दीवार के साथ पक्की ईंटों की नाली मिली

टीम के सदस्य यह जानना चाह रहे है कि दीवारों के साथ में कोई सड़क भी होगी उस समय किस प्रकार की सड़क होती थी। इसको लेकर बड़ी बारीकी से यह खोदाई की जा रही है। वही टीलें नंबर तीन पर खोदाई के दौरान पक्की ईंटों की दीवार मिल चुकी है और दीवार के साथ में ही नीचे एक पक्की ईंटों की नाली भी मिल गई है। ऐसी नाली पहली बार मिली है। जो नाली का आकार है। वह बिल्कुल सीधा है। आज के समय में जिस तरीके से नालियां बनाई जा रही है। पहले भी वही तरीका अपनाया जाता था।

टीला नंबर एक पर सील मिली

टीले नंबर एक पर कुछ सील भी मिली हैं। इन सीलों पर शेर और मछली के चित्र हैं। इनका प्रयोग वो लोग व्यापार करने के लिए करते थे। इससे साबित होता है कि उसमें भी देश विदेशों में बड़े स्तर पर व्यापार होता था।

आजकल की नालियों जैसी हैं

इस संबंध में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण दिल्ली के संयुक्त महानिदेशक डा. संजय मंजूल ने बताया कि खोदाई के दौरान जो नाली निकली है। वह बिल्कुल आज की तरह जो नालियां बनाई जाती हैं वैसी ही हैं।

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