राजपूत सभा ने मनाई महाराणा प्रताप की 482वीं जयंती
राष्ट्रीय महानायक सम्मान सभा भारत व राजपूत सभा द्वारा संयुक्त रूप से मेवाड़ मुकुटमणि महाराणा प्रताप की 482वीं जयंती महंत सागरनाथ के सान्निध्य में गोसाई गेट स्थित प्राचीन पंचमुखी हनुमान मंदिर के प्रांगण में बड़े धूमधाम से मनाई गई।
संवाद सहयोगी, हांसी : राष्ट्रीय महानायक सम्मान सभा भारत व राजपूत सभा द्वारा संयुक्त रूप से मेवाड़ मुकुटमणि महाराणा प्रताप की 482वीं जयंती महंत सागरनाथ के सान्निध्य में गोसाई गेट स्थित प्राचीन पंचमुखी हनुमान मंदिर के प्रांगण में बड़े धूमधाम से मनाई गई। राजपूत सभा के प्रधान कर्ण सिंह राठौर की अध्यक्षता में समारोह का शुभारंभ किया गया। महंत सागरनाथ ने महाराणा प्रताप के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इतिहास में हिदुत्व की उज्ज्वल ध्वजा की रक्षा कर ऊंचा रखने वाले वीर सपूत महाराणा प्रताप का नाम वीरता और ²ढ़ प्रण के लिए अमर हैं। सर कटा सकते है लेकिन सर झुका सकते नहीं यह एकलिग नाथ शिव भक्त महाराणा की ²ढ़ प्रतिज्ञा थी। वे प्रथम अमर सेनानी युगों-युगांतरों तक अमर रहेंगे। उन्होंने कहा कि यदि तत्कालीन समय में संपूर्ण हिदुस्तान महाराणा प्रताप का समर्थन करते तो आज वर्तमान में मंदिर मस्जिद का कोई विवाद ही पैदा नहीं होता। प्रधान कर्ण सिंह राठौर व भूपेन्द्र सिंह राठौर बजरंग दल ने कहा कि आज के युवाओं को महाराणा की वीरता से प्रेरणा लेते हुए हिन्दू धर्म के रक्षक बनकर देशहित में कार्य करने चाहिए। उन्होंने कहा कि हिदू धर्म की रक्षा के लिए हमारे पूर्वजों ने जो कुर्बानियां दी है उन्हें कदापि नहीं भूलना चाहिए। आज हिन्दुस्तान की युवावस्था में भटकती हुई नौजवान पीढ़ी के लिए महाराणा प्रताप का इतिहास पढ़ना व जानना अति आवश्यक है। इस अवसर पर सचिव सूबे सिंह तंवर, भूपेन्द्र राठौर, राजकुमार शेखावत, मानसिंह शेखावत, तन्नु शेखावतओ. नक्श राठौर, सूरज तंवर, पवन कुमार तंवर, पी. मुंजाल, हैड. गोपीचन्द सैनी, प्रो. कवल सलूजा, रमेश भूटानी, किशोरी लाल नागपाल, गोपाल, उमेश गुर्जर, जगन्नाथ वधवा, राकेश सागर व शहर के अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।