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Raju Punjabi Death: यारों के यार थे राजू, स्‍टूडियो में खेलते थे लूडो और क्रिकेट; जानें कैसे पड़ा पंजाबी सरनेम

Raju Punjabi Death राजू पंजाबी दुनिया को अलविदा कह गए हैं। उनका नाम उनके फैंस और दोस्‍तों के दिलों में जिंदा है। यह चमकता सितारा अपनी रियल लाइफ में बेहद दिल खुश इंसान था। राजू के घनिष्‍ठ मित्र केडी ने उनके बचपन की कहानी साझा की है। उन्‍होंने बताया कि कैसे वें दिन भर मस्‍ती करते थे। परिवार में रहते हुए वह कभी किसी को मायूस नहीं होने देते थे।

By Jagran NewsEdited By: Himani SharmaUpdated: Wed, 23 Aug 2023 04:56 PM (IST)
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यारों के यार थे राजू, स्‍टूडियो में खेलते थे लूडो; जानें कैसे पड़ा पंजाबी सरनेम
हिसार, जागरण संवाददाता। Raju Punjabi Death: हरियाणा की जानी-मानी हस्तियों में शुमार राजू पंजाबी (Raju Punjabi) अपने आप में एक अलग पहचान रखते थे। यह चमकता सितारा अपनी रियल लाइफ में बेहद दिल खुश इंसान था। यारों के यार, हमेशा अपनी मस्‍ती में रहते थे। दोस्‍त स्‍टूडियो आते तो राजू उनके साथ लूडो और क्रिकेट खेलते थे। जानते हैं उनकी बचपन की कहानी।

राजू के नाम से कैसे जुड़ा 'पंजाबी'

हरियाणवी कलाकार (Haryanvi Singer) बचपन में जब अपनी बहन के पास रहने गए तो वहां उन्‍होंने गुरुद्वारे और जागरण में गाया। राजू ने पंजाबी भी सीखी। राजस्थान में हनुमानगढ़ जिले के रावतसर खेड़ा अपने गांव पहुंचे तो ग्रामीणों ने उनकी पंजाबी सुनी तो उनको राजू पंजाबी बुलाने लगे।

उसके बाद वह नाम ऐसा चढ़ा कि हर हरियाणवी से लेकर राजस्थान और पंजाब के सिंगर के था लाखों लोगों के दिलों में बस गया। गांव रावतसर खेड़ा निवासी राजू पंजाबी गांव छोड़ कर हिसार में आकर रहने लगे थे। पहले वह कैमरी रोड तो अब आजाद नगर में निवास बनाया हुआ था।

केडी बोले- यह होली रहेगी खास यादगार, राजू को मरवाए थे कोड़े

हरियाणवी सिंगर केडी उर्फ कुलदीप दनौदा राजू पंजाबी के खास दोस्तों में से एक थे। कहीं भी जाना हो वह साथ ही जाते थे। पारिवारिक रिश्ते ऐसे बने की इस बार सभी दोस्त मिलकर राजू पंजाबी के खास दोस्त सोनीपत निवासी गोबिंद के यहां होली मनाने गए थे। केडी ने बताया कि वह होली उनकी यादगार होली रही। राजू को पकड़-पकड़ कर भाभी से कोरड़े मरवाएं।

परिवार में रहते हुए वह कभी किसी को मायूस नहीं होने देते थे। हंसी मजाक करना, लूडो और क्रिकेट खेलना पसंद था। उन्होंने बताया कि कलाकारों में चार दोस्तों का ग्रुप था। उसमें विनू गौड़, राजू पंजाबी, खासा और वह स्वयं। जब भी कहीं जाना होता सभी एक दूसरे को बुला लेते। जब मन होता तो हारमोनियम और तबले पर ताल मिला लेते थे।

केडी ने बताया कि राजू का अपनी छोटी बेटी से ज्यादा लगाव था। जुलाई में 22 दिन के उनको कनाडा शो करने चलने के लिए कहा तो वह बेटी के कारण मना कर गए। उनको किसी तरह मनाया कि वह एक स्टेज शो करके लौट आए तो वह माने। केडी ने कहा कि उन्होंने अपनी एक अच्छा दोस्त खो दिया साथ ही इंडस्ट्री ने एक अच्छा कलाकार।

हारमोनियम-ढोलक बजाना पसंद था

खास दोस्त एवं सिंगर विनू गौड़ ने बताया कि राजू पंजाबी व उनके सभी दोस्त हर समय साथ रहते थे। परिवार का घर आना जाना था। वह अलग नहीं रह सकते थे। राजू जब भी स्टूडियो में बैठे होते तो हारमोनियम, तबला, ढोलक पर ताल छेड़ते रहते थे। हर समय उनके दिमाग में नई धुन चलती थी।

विनू ने बताया कि राजू मूल से राजस्थान से तो बागड़ी भाषा काफी बार बोलते थे। लेकिन हरियाणवी गाने लिखते और गाते हुए ठेठ हरियाणवी शब्द का ही प्रयोग करते थे। विनू ने बताया कि राजू ने हमेशा कि हरियाणवी विश्व में अलग दिखना चाहिए। विनू ने बताया कि दोस्त जब भी उनको बुलाते उसी समय आ जाते थे।

चार भाई में दूसरे नंबर थे राजू पंजाबी

गांव रावतसर खेड़ा के रहने वाले राजू पंजाबी चार भाई थे। वह दूसरे नंबर के भाई थे। उनका परिवार संगीत से ही जुड़ा हुआ था। गांव में राजाराम जी से राजू ने सिखा था। उनके दादा काफी अच्छा तबला बजाते थे। उनके माता-पिता का निधन हो चुका है। उनकी पत्नी ममता घर पर ही रहती थी और राजू की दो बेटियां है।

गांव में जाते थे कलाकार

राजू पंजाबी के टीम में काम करने वाले सीपी ने बताया कि पहले हरियाणा के कलाकार काफी बार रावतसर में काम करवाने के लिए जाते थे। यह देखकर राजू पंजाबी ने हिसार में अपनी स्टूडियो बनाया और कला को आगे बढ़ाया। हिसार में काफी पुराना कलाकार थे तो उनको जुड़ाव भी काफी ज्यादा था।

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