Shardiya Navratri 2022: कल से शारदीय नवरात्र शुरू, पहली बार स्वर्ण मंदिर पहाड़ी माता के दर्शन करेंगे श्रद्धालु
प्रसिद्ध पहाड़ी माता मंदिर को खूब सजाया जा रहा है। पिछले 2 साल सें कोरोना महामारी के चलते बंद रहे पहाड़ी माता मंदिर के कपाट अब पूरी तरह से खुल गए हैं। लेकिन अबकी बार श्रद्धालुओं के लिए कुछ अलग ही देखने को मिलेगा
By JagranEdited By: Manoj KumarUpdated: Sun, 25 Sep 2022 01:20 PM (IST)
ढिगावा मंडी मदन श्योराण। कल से शारदीय नवरात्र शुरू हो रहे हैं, नवरात्रों को लेकर प्रसिद्ध पहाड़ी माता मंदिर को खूब सजाया जा रहा है यह तो हर साल होता है लेकिन पिछले 2 साल सें कोरोना महामारी के चलते बंद रहे पहाड़ी माता मंदिर के कपाट अब पूरी तरह से खुल गए हैं। लेकिन अबकी बार पहाड़ी माता मंदिर पर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के लिए कुछ अलग ही देखने को मिलेगा। पहाड़ी माता मंदिर पर सोने की परत चढ़ाने का कार्य लगभग पूर्ण हो गया है तो इस बार श्रद्धालु सोने से चमक रहा प्रसिद्ध पहाड़ी माता मंदिर में स्वर्णिम आभा के बीच माता के दर्शन करेंगे।
आपको बताते चलें कि धरातल से 400 फीट ऊंची पहाड़ी पर बना है प्राचीन पहाड़ी माता मंदिर पहाड़ी के प्रति गहरी आस्था ने गांव पहाड़ी को देशभर ही नहीं विदेशों में भी पहचान पाई है। गांव पहाड़ी की ऊंची पहाड़ी पर स्थित पहाड़ी माता का मंदिर श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बना रहता है।प्रदेश का बना पहला स्वर्ण मंदिर
भिवानी जिले के पहाड़ी गांव के पहाड़ पर स्थित करीब 850 वर्ष पुराना पहाड़ी माता मंदिर पर अब सेठ लोगों द्वारा सोने की परत चढ़ाई गई है। सोने की परत लगते ही पहाड़ी माता मंदिर की सुंदरता में चार चांद और लग गए हैं इसी के साथ अब यह मंदिर प्रदेश का पहला स्वर्ण मंदिर बन गया है।
पहाड़ी माता मंदिर की मान्यता
प्रसिद्ध पहाड़ी माता मंदिर की मान्यता इस कदर है कि नवरात्रों के दौरान देश विदेश से श्रद्धालु आते हैं। लाखों श्रद्धालु प्रत्येक वर्ष नवरात्रों के समय अलग-अलग राज्यों से पैदल जत्थे के रूप में पहाड़ी माता पहुंचते हैं वहीं श्रद्धालु कोलकाता, दिल्ली, आसाम, सिलीगुड़ी, गोवा, बैंगलुरू से छपारिया, काजड़िया, नकीपुरिया परिवारों के भक्तजन माता दर्शन को पहुंचते हैं। खास बात यह है कि माता के चरणों में सबसे अधिक धोक लगाने नवविवाहित जोड़े आते हैं। बच्चों के प्रथम मुंडन के लिए भी भीड़ उमड़ती है। राजस्थान की सीमा से सटे लोहारू आसपास के क्षेत्र के गांवों में कुलदेवी के रूप में पहाड़ी माता की मान्यता है।
मंदिर में यह सुविधा उपलब्ध है पहाड़ी माता मंदिर परिसर में ही बाहर से आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए सभी सुख-सुविधाओं से युक्त करीब 45 धर्मशालाएं बनी हुई हैं। जहां पर चाय, पानी, नहाने, धोने, खाने, पीने के लिए सेठ लोगों ने व्यवस्था कर रखी हैं सभी सुविधाएं श्रद्धालुओं को निशुल्क मुहैया कराई जाती है।महंत योगी केशव नाथ महाराज ने बताया कि नवरात्र के अवसर पर प्रतिवर्ष लाखों लोग देशभर से यहां माता के चरणों में शीश नवाने के लिए आते हैं। गांव में स्थित 400 फीट ऊंची पहाड़ी पर माता की भव्य प्रतिमा, मंदिर पर लगाया गया सोने की चमक भक्तों को अपनी ओर आकर्षित कर लेती है। ऐसी मान्यता है कि जो श्रद्धालु माता के मन्दिर में मनोकामनाएं लेकर आते हैं, उनकी मनोकामनाएं माता के दर्शन से पूरी हो जाती हैं। दिल्ली के तोमर वंश के राजा पहाड़ी माता की पूजा व आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यहां आते थे। पांडव भी अपने अज्ञातवास के दौरान यहां से निकलते समय माता के दर्शनों के लिए ठहरे थे।
नवरात्र में बन रहे हैं दो दुर्लभ संयोगपहाड़ी माता मंदिर के पुजारी विशंभर शर्मा ने बताया कि इस साल शरदीय नवरात्र में नक्षत्रों का बहुत ही दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस नवरात्र का आरंभ शुक्ल और ब्रह्म योग से हो रहा है। हिन्दू पांचांग के अनुसार नवरात्र से एक दिन पहले यानी 25 सितंबर को सुबह 9.06 बजे से अगले दिन पहले नवरात्र यानी 26 सितंबर को सुबह 8.06 बजे तक शुक्ल योग बन रहा है, जबकि 26 सितंबर को सुबह 8.06 बजे से अगले दिन यानी 27 सितंबर को सुबह 6.44 बजे तक ब्रह्म योग के बना रहेगा।
----पहाड़ी माता सेवा ट्रस्ट द्वारा नवरात्रों के दौरान व मेले में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए रहना, चाय, पानी, खाना, नहाने धोने से लेकर साफ सफाई की व्यवस्था की जा रही है, पीने के पानी की टंकियों का निर्माण, गलियों में स्ट्रीट लाइट , समय-समय पर रक्तदान शिविर, निशुल्क स्वास्थ्य मेडिकल कैंप, गली का निर्माण आदि कार्य कर रहा है।
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