Haryana News: पूर्व विधायक रणजीत चौटाला का स्पीकर ने किया इस्तीफा मंजूर, बने रहेंगे मंत्री
भाजपा में शामिल हुए रानियां से पूर्व निर्दलीय विधायक और हिसार सीट से बीजेपी के लोकसभा उम्मीदवार रणजीत सिंह चौटाला आज वेरीफिकेशन के लिए विधानसभा पहुंचे थे। इस बात की पुष्टि स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने की है। उन्होंने सत्यापन किया है कि इस्तीफा मैंने भेजा है और किसी दवाब या लालच में नहीं भेजा। स्पीकर बोले 24 मार्च से इस्तीफा मंजूर कर लिया गया।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। (Haryana Politics Hindi News) हरियाणा के सिरसा जिले की रानियां विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव जीते बिजली व जेल मंत्री रणजीत चौटाला का विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा मंजूर हो गया है। रणजीत चौटाला ने बिजली व जेल मंत्री के पद से इस्तीफा नहीं दिया है। इसलिए वह विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने की तारीख 24 मार्च से अगले छह माह के लिए बिजली व जेल मंत्री बने रहेंगे।
रणजीत चौटाला ने आज विधानसभा पहुंच स्पीकर से की मुलाकात
रानियां से विधायक के रूप में उनका इस्तीफा 24 मार्च से ही मंजूर हुआ है, क्योंकि उन्होंने उसी दिन से यह इस्तीफा दिया था। रणजीत चौटाला (Ranjit Singh Chautala) ने किसी संदेशवाहक के माध्यम से अपना इस्तीफा विधानसभा स्पीकर के पास भिजवाया था। विधानसभा स्पीकर ने रणजीत चौटाला के इस्तीफे की पुष्टि के लिए उन्हें विधानसभा में बुलवाया था।
पिछली बार रणजीत चौटाला विधानसभा नहीं पहुंच सके थे, लेकिन मंगलवार को वे चंडीगढ़ पहुंचे और स्पीकर डा. ज्ञानचंद गुप्ता (Speaker Gyanchand Gupta) से मिलकर इस बात की पुष्टि की कि इस्तीफे पर उन्हीं के हस्ताक्षर हैं। रणजीत चौटाला हिसार संसदीय क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। लोकसभा चुनाव लड़ने के कारण ही उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया है।
विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा 24 मार्च से मंजूर
रणजीत चौटाला पर दल-बदल कानून लागू होता है। वह रानियां से निर्दलीय विधायक थे और टिकट की घोषणा होने से पहले भाजपा में शामिल हो गए थे, इसलिए उनका विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देना जरूरी था। विधानसभा स्पीकर डा. ज्ञानचंद गुप्ता ने रणजीत चौटाला से बातचीत के बाद कहा कि उनका विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा 24 मार्च से मंजूर माना जाएगा।
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उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि तकनीकी तौर पर छह माह तक रणजीत चौटाला मंत्री बने रह सकते हैं, क्योंकि उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया है तो इसलिए उन्हें मंत्री बने रहने के लिए दोबारा शपथ ग्रहण करने की जरूरत नहीं है।
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