Tokyo Olympics: हरियाणा की बेटी से जगी ओलंपिक में पदक की उम्मीद, टूटकर भी नहीं बिखरी थी बॉक्सर पूजा
मुक्केबाज पूजा बोहरा ने ओलंपिक में पहला मैच जीता है। उन्होंने अपना पहला मुकाबला 5-0 की बढ़त से जीता है। अभी तक जहां हरियाणा के प्लेयर ओलंपिक में कुछ खास नहीं कर पाए थे वहीं पूजा बोहरा ने क्वार्टर फाइनल में प्रवेश कर पदक की उम्मीद पक्की कर दी है।
जागरण संवाददाता, भिवानी। हरियाण के भिवानी की मुक्केबाज पूजा बोहरा ने ओलंपिक में पहला मैच जीतकर पदक की उम्मीद जगा दी है। उन्होंने अपना पहला मुकाबला 5 : 0 की बढ़त से जीता है। अभी तक जहां हरियाणा के प्लेयर ओलंपिक में कुछ खास नहीं कर पाए थे वहीं पूजा बोहरा ने क्वार्टर फाइनल में प्रवेश कर पदक की उम्मीद पक्की कर दी है। पूजा ने देश को बड़ा तोहफा दिया है। पूजा बोहरा मेरी काम के बाद दूसरी ऐसी महिला मुक्केबाज हैं जिन्हें ओलंपिक में खेलने का टिकट मिला था। पूजा की कामयाबी की राह में ऐसा समय भी आया जब उन्हें 2 साल के लिए मुक्केबाजी से दूर रहना पड़ा, दरअसल साल 2015 के दौरान दिवाली के दिन उनका हाथ जल गया था। लेकिन वे फिर से रिंग में उतरीं और कामयाबी के नए कीर्तिमान स्थापित किए। पूजा टूटकर भी नहीं बिखरी और संघर्ष को जारी रखा।
पूजा के मैच जीतने पर मिठाई बांट खुशी का इजहार करता हुआ परिवार
अब तक के मुक्केबाजी के इतिहास में ओलंपिक कोटा हासिल करने वाली वह देश की पहली मुक्केबाज भी बनी हैं। इससे पहले मैरीकाम को वर्ष 2012 में लंदन ओलंपिक के लिए अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक एसोसिएशन से वाइल्ड कार्ड एंट्री मिली थी। जापान के टोक्यो ओलंपिक 2020 का में पहला मैच जीतने से परिवार और खेल प्रेमियों खुशी की लहर है। पूजा का मैच देखने के लिए एक घंटा पहले ही पूरा परिवार टीवी के आगे बैठ गया, मैच खत्म होने तक वहीं बैठे रहे और रोमांच देखने लायक था।
टोक्यो ओलिंपिक में पूजा की जीत से खेल प्रेमियों में खुशी की लहर दौड़ गई। परिवार के सदस्यों की मुंह से निकला वाह बेटी। यह जीत गोल्डन पंच लगाने तक बरकरार रहेगी। खेल प्रशिक्षकों को जैसे पहले से ही भरोसा था। उनकी जुबान पर था पूजा यह मैच 100 फीसदी जीतेगी। वही हुआ पूजा ने तीनों राउंड क्लीन स्वीप कर लिए। प्रतिद्वंद्वी अलजीारियाई मुक्केबाज को पांच-शून्य से रिंग से बाहर कर दिया। पूजा पूरे आत्मविश्वास के साथ टोक्यों की बाक्सिंग रिंग में उतरी और मैच खत्म होने तक उनका आत्मविश्वास बरकरार रहा। इसी का परिणाम रहा कि पूजा ने अपना पहला मुकाबला बहुत ही आसानी से जीत लिया। अब वह क्वार्टर फाइनल में पहुंच गई हैं। क्वार्टर फाइनल में उनकी जीत पदक पक्का करेगी।
पूजा के कोच संजय श्योराण की अकादमी में मैच देखते हुए खिलाड़ी
पहली जीत के साथ ही लहराने लगा तिरंगा
खेल प्रेमी और खिलाड़ी जहां पर रहे मुक्केबाज पूजा का मुकाबला देख रहे थे। खिलाड़ियों का कहना था कि पूजा आरंभ से ही मुकाबले में बढ़त बनाए रही। पूजा के एक-एक पंच पर तिरंगे लहराते रहे। अंत तक उसने प्रतिद्वंद्वी मुक्केबाज को हावी नहीं होने दिया। इसका परिणाम यह रहा कि पूजा ने अपना पहला मैच पांच-शून्य से जीत लिया। अब अगले मुकाबले भी वह शानदार ढंग से जीतेगी।
नेटबॉल से खेल के मैदान में रखा था कदम
वर्ष 2007-08 में आदर्श महिला महाविद्यालय में पढ़ रही पूजा बोहरा फिजिकल लेक्चरर मुकेश रानी के संपर्क में आई। पूजा ने नेटबॉल खेलना शुरू किया। इसमें अंतर महाविद्यालय खेल प्रतियोगिता में उसने बेहतरीन प्रदर्शन भी किया। एक बार पूजा को कालेज के मुक्केबाजी मुकाबलों में रिंग में उतारा गया। इसमें उसने बेस्ट परफोरमेंस दी। इसके बाद तो अपनी अध्यापिका से उनका लगाव ज्यादा बढ़ गया और वह उनके घर आने जाने लगी। मुकेश रानी के पति भीम अवार्डी संजय श्योराण कैप्टन हवासिंह बॉक्सिंग अकादमी चलाते हैं। वर्ष 2009 आते-आते पूजा पूरी तरह से मुक्केबाजी से जुड़ गई।
---भीम अवार्डी कोच संजय श्योराण ने बताया कि पूजा मेरी पत्नी मुकेश रानी के साथ घर आती रहती थी। मैने पूजा में बॉक्सिंग टैलेंट देखा तो उस टैलेंट को निखारने की ठानी। पूजा ने ओलंपिक तक का सफर तय करने के लिए बहुत मेहनत की है। पूजा मेरी पत्नी को मां कहती है। हमने पूजा को बेटी की तरह आगे बढ़ाया है। वर्ष 2009 में वह बॉक्सिंग में पूरी तरह से उतर गई थी। इसके बाद तो उसने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय उपलब्धियां हासिल की हैं। पूजा ने शानदार खेला। हमें पूरा भरोसा था। बेटी अपने पहले मैच में शानदार प्रदर्शन करेगी। खेल प्रेमियों की उम्मीदों पर पहले मुकाबले में यह मुक्केबाज खरी उतरी। अब क्वार्टरफाइनल में भी वह बढिया प्रदर्शन करेगी और देश के लिए पदक पक्का करेगी।
----पूजा के पिता राजबीर सिंह ने कहा कि ओलंपिक कोटा हासिल कर बेटी पूजा ने इतिहास रचा था। इसके बाद ओलंपिक में देश के लिए गोल्ड जीत कर अगला रिकार्ड बनाएगी। इस मुकाम तक लाने में कोच संजय श्योराण और पूजा की मां दमयंती ने भी बेटी के लिए बहुत काम किया है। मुझे उम्मीद है वो पदक जरूर जीतेगी।
ओलंपियन पूजा बोहरा 75 किलो भार वर्ग की मुख्य उपलब्धियां
* वर्ष 2009 में खेलना शुरू किया था।
* वर्ष 2012 में मंगोलिया में हुई एशियन चैंपियनशिप में रजत पदक जीता।
* वर्ष 2014 में कोरिया में हुए एशियन गेम्स में कांस्य पदक जीता।
* वर्ष 2019 में कर्नाटक में हुए एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड जीता।
* वर्ष 2021 में दुबई में हुए एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड
* पूजा बोहरा पांच बार की नेशनल चैंपियन हैं।