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कोराेना काल में बंद हुई ट्रेनें हुई बहाल, न्यूनतम किराया पहले से ज्‍यादा, दैनिक यात्री परेशान

कोरोना काल से पहले के मुकाबले फिलहाल दिल्ली-रोहतक रेलमार्ग पर रोजाना रेलवे को 25 प्रतिशत तक यात्री कम मिल रहे हैं। स्टेशनों पर पहले की तरह भीड़ नहीं होती। दैनिक आवागमन के लिए दूसरे विकल्प भी जुटा लिए थे उसका भी कहीं न कहीं असर पड़ा है।

By Naveen DalalEdited By: Updated: Fri, 16 Sep 2022 04:26 PM (IST)
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दैनिक यात्री समिति की ओर से न्यूनतम किराया के लिए कई बार लिखा जा चुका है पत्र।
बहादुरगढ़, जागरण संवाददाता। कोरोना काल से पहले की ट्रेनें तो ट्रैक पर लौट आई हैं, लेकिन रेलवे के दिन अभी वापस नहीं लौटे हैं। एक्सप्रेस रेलगाड़ियों के अलावा पैसेंजर ट्रेन भी चलाई जा रही हैं, लेकिन न्यूनतम किराया पहले जितना न होने से यात्री अभी पहले जितने नहीं लौट रहे।

नतीजतन रेलवे स्टेशनों पर कोरोना काल से पहले जैसी रंगत नहीं है। अभी भी पैसेंजर ट्रेन का न्यूनतम किराया 30 रुपये है। यही वजह है कि कोरोना काल से पहले के मुकाबले फिलहाल दिल्ली-रोहतक रेलमार्ग पर रोजाना रेलवे को 25 प्रतिशत तक यात्री कम मिल रहे हैं। स्टेशनों पर पहले की तरह भीड़ नहीं होती।

हालांकि दैनिक यात्रियों के लिए किराया पहले जितना ही है, लेकिन बाकी यात्रियों को तो अभी ज्यादा किराया ही देना पड़ रहा है। ऐसे में यात्री ट्रेन की बजाय दूसरे वाहनों में सफर को ही तवज्जो दे रहे हैं। कोरोना काल में यात्रियों ने दैनिक आवागमन के लिए दूसरे विकल्प भी जुटा लिए थे, उसका भी कहीं न कहीं असर पड़ा है।

किराया सामान्य होने और सभी ट्रेनें बहाल होने का है इंतजार

माना जा रहा था कि जब रेलवे की ओर से पैसेंजर ट्रेनों का न्यूनतम किराया पहले जितना किया जाएगा और सभी ट्रेनें बहाल कर दी जाएंगी, उसके बाद ही कोरोना काल से पहले जैसा नजारा दिख सकता है। अब ट्रेनें तो लगभग सभी बहाल हो चुकी हैं, लेकिन किराया न्यूनतम पहले जितना न होने से सभी यात्री वापस नहीं लौटे हैं।

दैनिक रेल यात्री समिति के प्रवक्ता सतपाल हाडा का कहना है कि कई बार रेलवे अधिकारियों काे पत्र लिखा जा चुका है। मगर स्पेशल ट्रेनें ही चलाई जा रही हैं। इससे यात्रियों को राहत नहीं मिल रही। इसी महीने दिल्ली-रोहतक रेलमार्ग पर कुछ और ट्रेनों का संचालन शुरू किया गया।

कुछ ट्रेन ऐसी भी हैं जिनका बहादुरगढ़ में ठहराव नहीं दिया गया। काेरोना काल से पहले बहादुरगढ़ से लगभग 30 हजार यात्री रोजाना सफर करते रहे हैं। ऐसे में रेलवे की ओर से यहां से गुजरने वाली ट्रेनों का ठहराव दिया जाए और कोरोना काल से पहले की तरह पैसेंजर ट्रेन का न्यूनतम किराया 10 रुपये किया जाए तो उससे रेलवे को भी फायदा हो सकता है।

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