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आर्थराइटिस की दवा से होगा कोरोना के मरीज का इलाज, PGI में शुरू हुआ ट्रायल

अब कोरोना मरीजों का इलाज आर्थराइटिस की दवा से करने की तैयारी है। राेहतक पीजीआइ में इसका 10 मरीजाें पर ट्रायल होगा। यह ट्रायल शुरू हो चुका है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Tue, 09 Jun 2020 01:23 PM (IST)
आर्थराइटिस की दवा से होगा कोरोना के मरीज का इलाज, PGI में शुरू हुआ ट्रायल
रोहतक, [पुनीत शर्मा]।  अब कोरोना मरीजों का इलाज आर्थराइटिस की दवा से किए जाने की तैयारी की जा रही है। इसका ट्रायल राहतक पीजीआइ में शुरू हो गया है। 10 मरीजों पर इसका ट्रायल होगा। कोरोना की काट ढूंढने के लिए पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (पीजीआइएमएस) के चिकित्सकों को भी रिसर्च की अनुमति मिली है।

आइसीएमआर से मिली राेहतक पीजीआइ के डॉक्‍टरों को रिसर्च की अनुमति

आइसीएमआर (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) के निर्देश पर चिकित्सकों ने कोविड के गंभीर स्थिति वाले मरीजों को टॉसिलीजुमाब (एक्टरमा) देने के लिए करीब 10 लाख रुपये की दवा मंगा लिए हैं। अभी तक गुरुग्राम के केवल एक मरीज को ही उक्त वैक्सीन दिया गया है, जिसकी करीब दो सप्ताह पहले मौत हो चुकी है।

अब कोरोना के गंभीर मरीजों को इस दवा की डाेज देने के बाद सामने आने वाले परिणाम के आधार पर आगे का कदम उठाया जाएगा। चिकित्सकों के मुताबिक टॉसिलीजुमाब एक डिसीज मोडिफाइंग एंटी रुमेटिड ड्रग (डीएमएआरडी) है जिसका आमतौर पर इम्युनिटी बढ़ाने के लिए प्रयोग किया जाता है। इंजेक्शन के 400 मिली ग्राम डोज की कीमत 50-60 हजार के बीच है। जिस मरीज को वैक्सीन दी जानी है उसका विशेष ध्यान रखा जाता है। किसी अन्य इंफेक्शन वाले मरीज को यह इंजेक्शन नहीं दिया जाता है।

रूमेटाइज आर्थराइटिस में भी की जाती है प्रयोग

पीजीआइ के स्पोट्र्स मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डा. राजेश रोहिल्ला के मुताबिक टॉसिलीजुमाब दवाई का प्रयोग रूमेटाइज आर्थराइटिस में भी किया जाता है, क्योंकि यह दवाई बीमारी को बढऩे से रोकने का काम करती है। इससे इम्युनिटी बढ़ती है तो बीमारी स्वत: समाप्त होने लगती है। रुमेटाइज आर्थराइटिस में इसका प्रयोग काफी सकारात्मक रहा है। हालांकि गंभीर स्थिति होने पर ही मरीज को यह इंजेक्शन दिया जाता है, क्योंकि यह काफी महंगा होता है।

पीजीआइएमएस में ट्रायल के लिए सिर्फ कोरोना संक्रमित कम से कम 10 मरीजों को इंजेक्शन दिया जाएगा। पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. मंजुनाथ ने बताया कि मरीजों को टीबी, पेट संबंधी व अन्य प्रकार के इंफेक्शन नहीं होने चाहिए, क्योंकि ऐसी स्थिति में इसका प्रयोग खतरनाक साबित हो सकता है। सिर्फ कोविड संक्रमित मरीज को इंजेक्शन देने के बाद चिकित्सक उसे अपनी देखरेख में रखेंगे, क्योंकि इसके साइड इफेक्ट भी हैं।

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'' करीब दस लाख रुपये के इंजेक्शन ट्रायल के लिए मंगा लिए गए हैं। एक मरीज को इंजेक्शन दिया गया था, जिसकी मौत हो चुकी है। इंजेक्शन देने के लिए मरीज को केवल कोविड संक्रमित होना जरूरी है। अधिक से अधिक मरीजों पर ट्रायल करने के बाद प्राप्त रिजल्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

                                                                - डा. ध्रुव चौधरी, स्टेट नोडल ऑफिसर, कोविड ट्रीटमेंट सेंटर।

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