विश्व मधुमक्खी दिवस : हरियाणा के उत्तरपूर्वी जिलों में खूब फल फूल रहा मधुमक्खी पालन, 80 फीसद उत्पादक यहीं से
हरियाणा में उत्तर पूर्वी जिलों (करनाल यमुनानगर कुरूक्षेत्र अम्बाला) में यह व्यवसाय पूर्णतया विकसित है जहां प्रदेश के लगभग 80 फीसद मधुमक्खी पालक हैं। इसके अतिरिक्त कैथल सोनीपत पानीपत रोहतक रेवाड़ी महेन्द्रगढ़ हिसार भिवानी सिरसा व फतेहबाद जिलों में भी यह व्यवसाय विकासशील है।
हिसार, जेएनएन। लॉकडाउन के कारण कई लोग ऐसे हैं जो बेरोजगार हो गए हैं या बेरोजगार युवा जो कुछ काम करना चाहते हैं। ऐसे युवा मधुुमक्खी पालन को अपनाकर रोजगार कमा सकते हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि हरियाणा मधुमक्खी पालन के हिसाब से सर्वोत्तम प्रान्त है। इसके उत्तर पूर्वी जिलों (करनाल, यमुनानगर, कुरूक्षेत्र, अम्बाला) में यह व्यवसाय पूर्णतया विकसित है जहां प्रदेश के लगभग 80 फीसद मधुमक्खी पालक हैं। इसके अतिरिक्त कैथल, सोनीपत, पानीपत, रोहतक, रेवाड़ी, महेन्द्रगढ़, हिसार, भिवानी, सिरसा व फतेहबाद जिलों में भी यह व्यवसाय विकासशील है व इसके और विकसित होने की प्रबल संभावनाएं हैं।
दरअसल चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में सायना नेहवाल कृषि प्रौद्योगिकी प्रशिक्षण एवं शिक्षण संस्थान व कीट विज्ञान विभाग द्वारा विश्व मधुमक्खी दिवस के उपलक्ष्य में मधुमक्खी पालन में अवसर और चुनौतियां विषय पर एक ऑनलाइन वेबिनार आयोजित हुआ। जिसमें कुलपति प्रो बीआर कांबोज ने बतौर मुख्य अतिथि युवाओं को मधुमक्खी पालन में हाथा आजमाने को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि खेती किसानी के साथ यह काम किया जा सकता है। इसमें अधिक निवेश की आवश्यकता भी नहीं है।
हरियाणा की फसलें मधुमक्खियों को 9 माह तक उपलब्ध कराती हैं भोजन
हरियाणा फसल उत्पादन व उत्पादकता में श्रेष्ठ है। कुलपति बताते हैं कि राज्य के विभिन्न जिलों में ऐसे लम्बे भू-भाग हैं। जहां सरसों, सफेदा, सूरजमुखी, बरसीम, कपास, बाजरा, अरहर, खैर, फल व सब्जियां, आदि फसलें उगाई जाती हैं जो मधुमक्खियों को प्रचुर मात्रा में लगभग 9 माह तक भोजन उपलब्ध करवाती हैं।
महामारी के समय इम्युनिटी बूस्टर का काम करेगा शहद
वैश्विक कोरोना महामारी ने हमें मानव शरीर की प्रतिरोधी क्षमता (इम्यूनिटी) को बढ़ाने की आवश्यकता का एहसास करा दिया है। प्राकृतिक शहद तथा अन्य माध्वी पदार्थ विशेषत: प्रोपोलिस और पराग मनुष्य की प्रतिरोधी क्षमता (इम्यूनिटी) बढ़ाने की क्षमता वाले खाद्य पदार्थ माने गए हैं।
परागकण क्रिया द्वारा फसल की पैदावार बढ़ाने में भी है सहायक
प्रदेश के छोटे व सीमांत किसान व भूमिहीन व बेरोजगार मधुमक्खी पालन को एक वैकल्पिक व्यवसाय के तौर पर अपना सकते हैं। मधुमक्खी परागकण क्रिया द्वारा फसल की पैदावार व गुणवत्ता बढ़ाने में भी सहायक होती है। तिलहनी फसलों मुख्यत: राया व सरसों में अच्छी परागण क्रिया से पैदावार में 20-25 प्रतिशत बढ़ोतरी होती है। कई अन्य फसलें जैसे अरहर, बेल वाली सब्जियां, प्याज, गोभी, गाजर, मूली की बीज वाली, अमरूद, नीबू, नाशपती आदि में मधुमक्खियों द्वारा पर परागण से पैदावार बढ़ती है। मधुमक्खी पालन से शहद के अतिरिक्त भी अन्य पदार्थ जैसे मोम, प्रोपोलिस पराग, रायल जैली इत्यादि मिलते है, जिससे किसान अधिक लाभ कमा सकता है। दुनियाभर में मधुमक्खी पालन ग्रामीण समुदायों के लिए कम लागत वाला व्यवसाय है।