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अब हरियाणा व पंजाब के कैंसर मरीजों को नहीं पड़ेगा भटकना, झज्‍जर में एम्‍स का अस्‍पताल शुरू

हरियाणा के बाढ़सा में देश का सबसे बड़ा कैंसर अस्पताल नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट (एनसीआइ) शुरू हो गया है। अभी ओपीडी (आउट पेशेंट डिपार्टमेंट) सेवाएं शुरू हुई हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Wed, 19 Dec 2018 01:37 PM (IST)
अब हरियाणा व पंजाब के कैंसर मरीजों को नहीं पड़ेगा भटकना, झज्‍जर में एम्‍स का अस्‍पताल शुरू
झज्जर, जेएनएन। जिले के बाढ़सा में देश के सबसे बड़ा कैंसर अस्पताल नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट (एनसीआइ) शुरू हो गया है। इसमें अभी ओपीडी (आउट पेशेंट डिपार्टमेंट) सेवाएं शुरू की गई हैं। एम्‍स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान) के इस अस्‍पताल में बुनियादी उपकरण इंस्टॉल किए जा चुके हैं। करीब 2035 करोड़ रुपये से तैयार यह अस्पताल पिछले कई दशकों में देश का सबसे बड़ा पब्लिक फंड से बना हॉस्पिटल प्रोजेक्ट है। इससे हरियाणा, पंजाब, दिल्‍ली व राजस्‍थान सहित कई राज्‍यों के कैंसर मरीजों को भटकना नहीं पड़ेगा और मुंबई जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

बाढ़सा स्थित नेशनल कैंसर इंस्टीटयूट में ओपीडी शुरू, पहले दिन चेकअप कराने आए 12 मरीज

एम्‍स नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के हेड प्रोफेसर जीके रथ और अन्य विशेषज्ञ चिकित्सकों की मौजूदगी में  मरीजों का चेकअप करते हुए ओपीडी सेवा का शुभारंभ किया गया। पहले दिन 12 से ज्यादा मरीजों आए और आधे घंटे में पांच विशेषज्ञ चिकित्सकों से चेकअप कराकर चले गए। वर्ष 2020 तक पूरी तरह से संचालित होने पर एनसीआइ पूरे देश में कैंसर केयर के लिए एक नोडल संस्थान के रूप में काम करेगा।

तीन चरणों में हाेगा कैंसर संस्‍थान का विकास, दिसंबर 2020 तक पूर्ण क्षमता के साथ 710 बेड होंगे

पूरी तरह से कंप्यूटराइज्ड सिस्टम से लैस यह संस्थान सीधे दिल्ली स्थित संस्थान के मुख्‍यालय से जुड़ा रहेगा। आने वाले समय में नए मरीजों के साथ-साथ रेफर किए गए मरीज भी यहां इलाज करा सकेंगे। जीके रथ ने बताया कि बाढ़सा एनसीआइ को तीन चरणों में विकसित किया जाएगा। दिल्ली में चल रहे अस्पताल में मात्र 182 बेड की सुविधा है। यहां वर्ष 2020 तक 710 बेड की सुविधा मिलेगी। तीन चरणों में यहां सभी सुविधाएं मिलने लगेंगी।

कुछ इस तरह से होगा कार्य

एनसीआइ तीन चरणों में शुरू होगा। मंगलवार से यहां ट्रायल के आधार पर ओपीडी शुरू कर दी गई है। 14 जनवरी से पहले चरण के तहत मरीजों को भर्ती करने की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी। मार्च 2019 तक यहां रेडिएशन ओनकोलॉजी तथा न्यूकलीयर मेडीसीन की सुविधा भी मिलने के साथ ओपीडी और 250 बेड भी मरीजों के लिए उपलब्ध होंगे।

उसके बाद दिसंबर 2019 में मरीजों को भर्ती करने के लिए बेडों की संख्‍या 500 तक कर दी जाएगी। इसके एक साल के बाद संस्‍थान 2020 में 710 बेडों के साथ पूरी तरह से संचालित होने लगेगा। अधिकारियों ने बताया है कि पहले चरण के लिए 634 डॉक्टर, नर्स और टेक्नीशयन चाहिए। इनमें से 110 को नियुक्त कर लिया गया है। शेष की नियुक्ति की प्रक्रिया भी तेजी से चल रही है।

वर्ष 2020 तक मुख्य रूप से यहां पहुंचेंगे मरीज

प्रोफेसर जीके रथ ने बताया कि एनसीआइ एम्स के कैंसर अस्पताल का बोझ बांटने का काम करेगा। एम्स में औसतन प्रतिदिन 1300 मरीज पहुंचते हैं। वहां चिकित्सकों एवं आधारभूत सुविधाओं के अभाव में 600 मरीजों का ही चेकअप और इलाज हीहो पाता है। ऐसे में सभी मरीजों को समयानुसार सस्ता और बेहतर इलाज मुहैया कराने के लिए बाढ़सा में यह संस्‍थान स्‍थापित किया गया है।

उन्‍होंने कहा कि संस्‍थान के दिल्‍ली और बाढ़सा दोनों परिसरों के बीच सेवाओं का समन्वय करने के लिए तकनीक का इस्तेमाल करने के साथ-साथ अन्य योजना भी तैयार किए जा रहे हैं। दोनों परिसरों की कनेक्टिविटी होने के साथ-साथ मरीजों को यूनिक आइडी भी मुहैया कराई जाएगी।

तकनीक के मामले में सबसे बेहतर होगा संस्थान

उन्‍होंने कहा कि कैंसर रोगियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। लोग कैंसर के नाम से डरने लगते हैं, जबकि इसका इलाज और बचाव दोनों ही मौजूद है। जरूरत है तो जागरूक होने की। ऐसे में यहां पर मरीजों को बेहतर इलाज मुहैया कराने के साथ-साथ कैंसर की रोक को ध्यान में रखते हुए रिसर्च का कार्य भी शुरू किया जाना है। इसके लिए हर स्तर पर तैयारियां व्यापक स्तर पर की जा रही है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, सर्वाधिक कैंसर तंबाकू के इस्तेमाल से ही होता है। मुख्य स्थानों पर पाबंदी की घोषणा के बाद भी इसे धड़ल्ले से बेचा जा रहा है। ऐसे में जब तक नियम-कानून का सही कार्यान्वयन नहीं होता कैंसर के खिलाफ जंग आसान नहीं हो सकती।

रिसर्च कार्य से बढ़ेगा एनसीआइ का महत्व, मिलेंगी सभी सुविधाएं

इस संस्‍थान में कैंसर के इलाज को लेकर रिसर्च भी होंगे। यहां कैंसर के इलाज की सभी अत्‍याधुनिक सुविधाएं और उपकरण मौजूद रहेंगे। यहां ये उपकरण व सुविधाएं होंगी-

25 अत्याधुनिक ओटी, 5 लीनियर एक्सीलेटर, 20 बेडिड न्यूक्‍लीयर मेडीसीन, एशिया की पहली आटोमेटिड कोरलैब, 60 इंसेटिव केयर बेड्स, 40 बेडिड पेलीएटिव केयर यूनिट, देश के किसी पब्लिक सेक्टर अस्पताल में पहली प्रोटोन सुविधा, ओनकलोजी आपातकालीन सेवाएं, चार पीईटी स्कैनर, दो एमआरई स्कैनर।

यह हैं लक्ष्‍य

- संस्‍थान में एक साल में पांच लाख मरीजों का इलाज का लक्ष्‍य है।

- 2020 तक मिलेंगी मुख्य सेवाएं।

- 14 जनवरी 2019 से मरीजों के लिए उपलब्ध हो जाएंगे बेड।

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