चुनावी किस्सा: 'बंसीलाल का भाषण भी सोनिया गांधी से लिखवाकर लाए थे', रामबिलास बोले-अगले से पाछला भला, खसम भला लटूरा
चुनावी किस्सा 24 जुलाई 1999 को ओपी चौटाला हविपा के बागी विधायकों के समर्थन और भाजपा के सहयोग से सूबे के चौथी बार मुख्यमंत्री बने। सदन में विश्वास मत को हासिल करने की प्रक्रिया पर भाजपा नेता रामबिलास शर्मा ने जब बोलना शुरू किया तो पूर्व सीएम बंसीलाल से लेकर कांग्रेसी विधायकों पर जमकर तंज कसे। पढ़िए 27 जुलाई 1999 के सत्र का किस्सा...
अमित पोपली, झज्जर। केंद्र की अटल सरकार में हुई उठापटक का प्रदेश की राजनीति पर भी व्यापक असर देखने को मिला था। हविपा से गठबंधन टूटने के बाद भाजपा इनेलो के पक्ष में जा खड़ी हुईं। बीरेंद्र सिंह सहित सदन में कांग्रेसी विधायकों ने जमकर भाजपा को निशाने पर रखा।
सरकार की ओर से रामबिलास शर्मा के बोलने की बारी आई तो वाकपटुता का परिचय देते हुए उन्होंने सदन में सभी की बोलती बंद कर दी। गांव के किस्सों से लेकर सूबे की राजनीति पर वे कांग्रेसियों पर निशाना साधते हुए बोले, चौधरी बंसी लाल जी का भाषण भी यह सोनिया जी से लिखवाकर लाए थे। उस समय इस सदन में भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी को बड़ी मोटी-मोटी गालियां दी गई।
तीन साल सखा धर्म निभाया
आज चौधरी बंसी लाल जी सदन में उपस्थित नहीं हैं। वे इस कुर्सी पर बैठकर तो सदस्यों को जलील कर सकते हैं, परंतु उधर बैठने की उन में हिम्मत नहीं है। हविपा की तरफ इशारा करते हुए कहा - तीन साल हमने इनके साथ सखा धर्म निभाया तथा जब इनको चौधरी बीरेंद्र सिंह जी की इच्छा के विरूद्ध कांग्रेस से समर्थन मिल गया या आर्थिक कारणों से मिल गया, फिर इन्होंने बाजपेयी जी को व रामबिलास को क्या-क्या कहा, यह सदन उसका चश्मदीद गवाह है।यह भी पढ़ें- Chunavi किस्सा: एक राजा जिसने गद्दी संभाली और लगातार तीन बार जीता चुनाव, फिर क्यों मंत्री बनने से कर दिया इनकार, वजह जान हो जाएंगे हैरान
सुनाया गांव का गजब किस्सा
कांग्रेस की ऐसी भूमिका पर मिसाल सुनाकर बोले, मैं गांव का आदमी हूं। गांव में बुजुर्ग बात सुनाया करते हैं। एक औरत थी। उसका एक पति था। जिसका नाम लटूरा था। वह उसको छोड़कर चली गई। फिर उसे एक अमरा नाम का व्यक्ति मिला, जिसके साथ उसने अपना घर बसा लिया। फिर अमरा मर गया। औरत ने फिर सूरा नाम के एक आदमी से शादी कर ली। वह सूरा भी उसको छोड़कर भाग गया।कांग्रेस के मित्रों के साथ भी 25 जून से 22 जुलाई तक इन 20-25 दिनों में ऐसा ही हुआ। कुल मिलाकर, कांग्रेस पार्टी का हाल हो यह गया कि अमरा हमने मरता देख्या, भागता देख्या सूरा, अगले से पाछला भला, खसम भला लटूरा (फालतू व्यक्ति)।
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