Mobile Addiction in Children:अगर आपके बच्चों में भी है ज्यादा मोबाइल चलाने की लत तो अब ये तरीका अपनाकर उसे करिए दूर
Children Addicted Mobile Phones आजकल हर माता पिता की ये शिकायत होती है कि उनका बच्चा दिनभर मोबाइल से चिपका रहता है। बच्चों को कई माता-पिता कम उम्र में ही मोबाइल हाथ में पकड़ा देते हैं और बाद में वह उसकी आदत बन जाती है। ऑनलाइन गेमिंग और बढ़ता स्क्रीन टाइम युवाओं के साथ बच्चों के मानसिक स्तर की क्षमता को भी प्रभावित कर रहा है।
जागरण संवाददाता, झज्जर। प्राय: देखने में आता है कि हर माता पिता की ये शिकायत होती है कि उनका बच्चा दिन भर मोबाइल से चिपका रहता है। यही नहीं, बच्चों को कई माता पिता कम उम्र में ही मोबाइल हाथ में पकड़ा देते हैं और बाद में जब बच्चों की इसकी आदत लग जाती है तो वे छुड़ाने के लिए सख्ती करने लगते हैं।
ऐसे में घर का माहौल तो खराब होता ही है, बच्चे छिपछिप कर मोबाइल का प्रयोग करने लगते हैं। मनोचिकित्सक, डा ब्रह्मदीप सिंह (सीएमओ) ने बताया कि लॉकडाउन के बाद से ही बच्चों में मोबाइल चलाने की आदत बढ़ी है। इससे पहले मोबाइल चलाने की बच्चों में आदत उतनी अधिक नहीं थी। अब जब बच्चों को मोबाइल नहीं मिलता है तो वह माता-पिता से ही बहस बाजी तक करने लग जाते हैं। ऐसे में मां बाप भी काफी परेशान रहते हैं।
ऑनलाइन गेमिंग और बढ़ता स्क्रीन टाइम मुख्य कारण
ऑनलाइन गेमिंग और बढ़ता स्क्रीन टाइम युवाओं के साथ बच्चों के मानसिक स्तर की क्षमता को भी प्रभावित कर रहा है। बच्चे ऑनलाइन गेमिंग की जद में आकर कई अपराधिक कदम उठाते हैं। साथ ही उनमें कुछ हटकर और एडवेंचर करने की प्रवृत्ति अधिक होती जा रही है। इससे कभी-कभी वे खुद को नुकसान पहुंचाते हैं तो कभी आवेश में आकर दूसरों के लिए परेशानी का सबब बनते हैं।यह भी पढ़ें: Hisar News: आचार संहिता से पहले लगेगी विकास कार्यों की झड़ी, निकायमंत्री ने नए प्रोजेक्टों को शुरू करवाने पर की चर्चा
बच्चों के दैनिक कार्यों पर नजर रखने की खास जरूरत
सीएमओ ने बताया कि अभिभावकों को किशोरों और युवाओं के आस पास रहकर उनके दैनिक कार्यों पर नजर बनाए रखने की आवश्यकता होती है। आजकल एकल परिवार के चलते बच्चों को माता-पिता का समय नहीं मिल पाता। इससे वह आभासी दुनिया को ही अपनी असली दुनिया समझते हैं। साथ ही माता पिता से जुड़ाव भी खत्म होने लगता है।लॉकडाउन के दिनों में बच्चों ने जरूरत से ज्यादा किया मोबाइल का प्रयोग
दरअसल, इंटरनेट मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्मों से बच्चों और किशोरों का मानसिक विकास नहीं हो पा रहा है। लॉकडाउन के दिनों में बच्चों ने मोबाइल का जरूरत से ज्यादा उपयोग किया है। नये अध्ययनों में चौंकाने वाले परिणाम आए हैं। बच्चों की ब्रेन मैपिंग में पाया गया कि साल दर साल बच्चे के दिमाग पर इसका असर पड़ रहा है। जो टीनएज या बच्चे अपने सोशल मीडिया अकाउंट को बार बार चेक करते हैं, उनके ब्रेन का आकार छोटा रहता है।
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