Haryana News: बारिश से खिले अन्नदाताओं के चेहरे, किसान भाइयों ने राहत के साथ शुरू की धान की रोपाई
बरसात के मौसम में किसानों के चेहरे खिल गए हैं। किसान लंबे समय से बारिश का इंतजार कर रहे थे। अब वर्षा होने से अन्नदाताओं को काफी राहत मिली है। झज्जर के जिन-जिन क्षेत्रों में अच्छी बारिश हुई है वहां के किसानों ने धान की रोपाई शुरू भी कर दी है। किसान अपने खेतों को धान की फसल की खेती के लिए तैयार करने में व्यस्त हैं।
जागरण संवाददाता, झज्जर। वैसे तो जिले में 20 जून से धान की रोपाई शुरू हो चुकी है। लेकिन फिर भी किसानों को बरसात का इंतजार था ताकि प्यासी धरती को राहत मिले। साथ ही बूंदों से खेत में मिट्टी नरम हो जाए।
बरसात के बाद धान लगाने में किसान को आसानी होती है। शुक्रवार सुबह से रुक रुक कर हुई बूंदाबांदी से किसान काफी खुश नजर आ रहे हैं।
लेकिन किसान तेज बरसात के आने का इंतजार कर रहे है, ताकि उनके द्वारा धान के तैयार किए गए पौधे में पानी जमा हो सके। और फिर धान की रोपाई की जा सके।
वैसे झज्जर के जिन-जिन क्षेत्रों में अच्छी बारिश हुई है, वहां के किसानों ने धान की रोपाई शुरू भी कर दी है। किसान अपने खेतों को धान की फसल की खेती के लिए तैयार करने में व्यस्त हैं।
किसानों ने मई में शुरू किया धान की पौध लगाना
दरअसल, धान की पौधे को तैयार होने में एक माह का समय लगता है, लेकिन इस बार जिले का अधिकतम तापमान 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था।
किसानों ने मई माह के मध्य में ही धान की पौध तैयार करनी शुरू कर दी थी, लेकिन तापमान में बढ़ोतरी और तेज अंधड़ से पौधे के पत्ते मुरझा कर नष्ट हो गए।
इससे धान की पौध तैयार होने में पांच से सात दिन का ज्यादा समय लगा है। किसान प्रवीन, राकेश, उमेद आदि ने बताया कि पिछले एक माह से तापमान में बढ़ोतरी होने के कारण धान की पौध व ज्वार की फसलों को नुकसान पहुंचा है। लेकिन मानसून शुरू होने के बाद से किसानों को काफी हद तक राहत मिली है।
विशेषज्ञों ने धान की बिजाई बढ़ने की संभावना जताई
बरसात से किसान के समय व पैसे दोनों की बचत हुई है। पिछली दफा जिले में डेढ़ लाख एकड़ एरिया में धान की बिजाई की गई थी।
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार इस बार धान की बिजाई बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। एक एकड़ में धान की रोपाई का खर्च धान की फसल की खेती महंगी फसलों की खेती में शामिल हैं।
एक एकड़ में धान की फसल में तीन मरले के क्षेत्रफल में लगी धान की पौध की जरूरत होती है। इसका प्रति मरले एक हजार रुपये का खर्च आता है।
इस हिसाब से तीन हजार रुपये पौध का खर्च है और चार हजार रुपये प्रति एकड़ धान की रोपाई में मजदूरी का खर्च है।
पंद्रह हजार रुपए प्रति एकड़ आता है खर्च
वहीं, खेत तैयार करने में तीन से चार बार बुवाई करनी पड़ती है और खाद का खर्च भी अलग से लगता है। किसानों का मानना है कि धान की फसल को उगाने में ही पंद्रह हजार रुपये प्रति एकड़ का खर्च आता है।
जिले में शुरू हुई धान की रोपाई बहादुरगढ़ ब्लॉक के काफी गांवों में धान की रोपाई शुरू हो चुकी है, लेकिन झज्जर क्षेत्र में हल्की बूंदाबांदी से अभी पौध में पानी जमा नहीं हुआ है।
तेज बरसात के आगमन के बाद ही धान की पौध में पानी एकत्रित होगा। जिले के गांवों में किसानों ने अपने खेतों में धान की रोपाई का काम शुरू कर दिया है।
किसानों के अनुसार मानसून की बारिश से पहले वह धान की रोपाई का काम पूरा करने चाहते हैं। इस बार मौसम विभाग के अनुसार मानसून की अच्छी बारिश होने की संभावना है। इसलिए झज्जर क्षेत्र में धान की रोपाई का रकबा भी बढ़ने की संभावना भी है।