Move to Jagran APP

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस : उष्ट्रासन से दूर होते हैं ²ष्टि दोष, हृदय श्वसन विकारों में भी है लाभकारी

जिला आयुर्वेदिक अधिकारी डा. मुकेश गोस्वामी ने जानकारी देते हुए ब

By JagranEdited By: Updated: Mon, 20 Jun 2022 07:03 PM (IST)
Hero Image
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस : उष्ट्रासन से दूर होते हैं ²ष्टि दोष, हृदय श्वसन विकारों में भी है लाभकारी

जागरण संवाददाता, झज्जर : जिला आयुर्वेदिक अधिकारी डा. मुकेश गोस्वामी ने जानकारी देते हुए बताया कि इस आसन में शारीरिक स्थिति ऊंट के समान होती है। इसलिए इसे उष्ट्रासन कहा जाता है। उष्ट्रासन से पाचन क्रिया व हृदय श्वसन संबंधी विकारों से मुक्ति मिलती है। साथ ही इस आसन के लगातार अभ्यास से ²ष्टि दोष से भी छुटकारा पाया जा सकता है। इसे अलावा उष्ट्रासन करने से पीठ और गले के दर्द में भी आराम मिलता है और यह उदर व नितंब की चर्बी को कम करने में भी सहायक है। ऐसे किया जाता है उष्ट्रासन : आयुष विभाग के एएमओ डा. पवन कुमार देशवाल ने उष्ट्रासन करने की विधि की जानकारी देते हुए बताया कि सबसे पहले वज्रासन में बैठना होता है और फिर घुटनों व पैरों के बीच कुछ दूरी रखते हुए घुटनों के बल खड़े होकर सांस लेते हुए पीछे की ओर झुकना पड़ता है। इसके बाद सांस छोड़ते हुए दाएं हाथ से दाईं एड़ी और बाएं हाथ से बाईं एड़ी को पकड़ने की कोशिश का जाती है। जांघ को जमीन से लंबवत रखते हुए सिर को हल्का से पीछे खींचा जाता है। इस दौरान पूरे शरीर का भार बराबर रूप से पैरों व हाथों पर होना चाहिए। लगभग 10 से 30 सेकेंड तक इसी अवस्था में रहते हुए सामान्य तौर पर सांस लिया जाता है। सांस लेते हुए वापस वज्रासन में बैठें। ध्यान रहे कि आसन करने के दौरान गर्दन को झटका ना लगे। हृदय और हर्निया के रोगी को यह आसन नहीं करना चाहिए।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।