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फुटपाथ हमारा है : फुटपाथ चलने का नहीं, अतिक्रमण का बना ठिकाना, व्यवस्था मौन

- अतिक्रमण बना आफत बाजार बना अतिक्रमण का अड्डा - जनता को आने-जाने को भी नहीं मिल रहा फुटपाथ - प्रशासन नहीं दे रहा फुटपाथ मुक्त करवाने की तरफ ध्यान

By JagranEdited By: Updated: Sun, 24 Apr 2022 06:05 PM (IST)
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फुटपाथ हमारा है : फुटपाथ चलने का नहीं, अतिक्रमण का बना ठिकाना, व्यवस्था मौन

जागरण संवाददाता, झज्जर : शहर में फुटपाथ हो या नाले, अतिक्रमण कारियों के लिए होकर रह गया है। मामला प्रशासन के संज्ञान में भी आते ही समस्या से निजात दिलाने का बयान दिया जाता है। लेकिन, साल दर साल यह समस्या दिनों-दिन गहराती जा रही है। अब आमजन भी पूछने लगा है कि अधिकारियों के संज्ञान में समस्या आएगी कैसे। कुल मिलाकर, अतिक्रमण शहर के लिए एक बड़ी समस्या है। शहर में लोगों को पैदल चलने के लिए फुटपाथ का निर्माण कराया जाता है, जो कि किसी भी सूरत में इस्तेमाल नहीं हो पा रहा। पहले अतिक्रमण, बाद में गाड़ियों की लाइन :

शहर के भगत सिंह चौक से पुराना बस स्टैंड रोड की बात करें तो यहां पर प्राय: मिस्त्री एवं हाथ के कामगारों की मार्केट है। एक साइड में अतिक्रमण की स्थिति यह है कि दिन के समय में अक्सर जाम लगा रहता है। कारण कि नालों पर दुकान का सामान रहता है और बाहर के हिस्से में वे अपनी गाड़ियां खड़ी रखते हैं। जिसकी वजह से सड़क का बहुत बड़ा हिस्सा अतिक्रमण की भेंट चढ़ रहा है। क्योंकि, सड़क की जगह हर किसी के हिस्से कुछ ना कुछ आ रही है, इसीलिए, पड़ौसी भी विरोध नहीं करते। व्यवस्था के नाम पर धरातल पर सभी कुछ उलट :

देखा जाए तो फुटपाथ जिसका कोई मतलब नहीं रह गया है इस शहर में। भले ही स्वच्छ, सुंदर सड़क और व्यवस्थित शहर की परिकल्पना ले विकास की परिभाषा गढ़ी गई हो, लेकिन इस शहर में सबकुछ उलट है। एक तो शहर के मुख्य सड़कों में भी कहीं फुटपाथ का ख्याल नहीं रखा गया है। अब मुख्य मार्ग और बाजारों को फुटपाथ की तलाश है। साथ ही जिन विशेष दिनों में नाले या नालियां साफ करनी होती है, उन दिनों में भी अक्सर हालात बद से बदत्तर ही रहते है। हद तो यह कि शहर के बाहरी हिस्सों में सड़क भले ही चौड़ी हो, लेकिन अस्थाई अतिक्रमण से सड़कें सिकुड़कर रह जाती हैं। इनमें हाथ ठेले, बेतरतीब खड़े वाहन और दायरे से बाहर आई दुकानें प्रमुख रूप से शामिल हैं। इसका खामियाजा आमजन को अव्यवस्थित यातायात और जाम के रूप में भुगतना पड़ता है। फुटपाथ पर सजी दुकानों को किसकी मान्यता : गौर करने की बात यह भी है कि फुटपाथ पर सजी दुकानों को किसने मान्यता दे रखी है। क्योंकि, जहां तहां सड़कों पर ही दुकान सज जाती है। शाम के वक्त तो अमूमन सड़कों पर आने-जाने के लिए भी रास्ता तलाशना पड़ता है। शहर के अस्पताल रोड एवं पुराना तहसील रोड पर सड़क के दोनों ओर नालियों पर सजी दुकानें बरबस लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। दुकानदार जैसे नालियों पर दुकान सजाना अपना अधिकार मानते हैं। दुकान की आधी चीजें नाली के उपर रखे प्लेटफार्म पर रख कर ही बेची जाती है। नतीजा होता है कि कूड़ा-कचरा नाली के इर्द-गिर्द या फिर नाली में जमा होता है और गिरता है।

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