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Vegetables Price in Haryana: मौसम की मार से सब्जियों के बढ़े भाव, प्याज-टमाटर ही नहीं आलू भी कर रहा जेब ढीली

मानसून का आगमन हो चुका है ऐसे में प्यार-टमाटर समेत कई सब्जियों के भाव आसमान छू रहे हैं। मंडी से लेकर खुदरा बाजार तक के दाम में बड़ा असर देखने को मिल रहा है। इस महंगाई की रेस में आलू भी पीछे नहीं है। आलू का दाम 32 से 35 पहुंच गया है। बारिश के कारण किसानों की फसल प्रभावित हुई है।

By Amit Popli Edited By: Prince Sharma Published: Wed, 03 Jul 2024 01:50 PM (IST)Updated: Wed, 03 Jul 2024 01:50 PM (IST)
झज्जर में सब्जियों के भाव बढ़ गए हैं (जागरण फाइल फोटो)

जागरण संवाददाता, झज्जर। मानसून का दौर चल रहा है। खेती-किसानी वाले क्षेत्रों में हो रही झमाझम बरसात के बीच आलू, टमाटर और प्याज के भाव आसमान छूने लगे हैं, जिससे आम लोगों के घर का बजट तक बिगड़ने लगा है।

मंडी से लेकर खुदरा बाजार तक के दाम में बड़ा असर देखने को मिला है। खुदरा बाजार में टमाटर शतक लगा चुका है। जबकि, प्याज 50 और आलू 32 से 35 रुपए पर पहुंच गया।

आलू-प्याज के थोक व्यापारी संजय मक्कड़ बताते है कि बरसात की वजह से स्थानीय क्षेत्र में भी किसान की फसल प्रभावित हुई है।

पानी लगने की वजह से प्याज अब दागी हो रहा है। जिससे किसानों को ट्रालियां तक यूं ही फैंकनी पड़ रही है। दूसरी ओर, आलू की बात करें तो अब की दफा पैदावार कम हुई है।

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जिसके चलते दाम बढ़ रहे हैं। दूसरी ओर मंडी में की जाने वाली खरीद और खुदरा बाजार के दाम में भी अंतर होने के कारण आमजन काफी प्रभावित है।

एक किलो आलू-प्याज बेच कर 10 से 15 रुपए कमा रहे खुदरा सब्जी विक्रेता

अगर खुदरा बाजार और मंडी के थोक बाजार की कीमत की तुलना करें तो मुनाफाखोरी में खुदरा दुकानदार थोक रेट से काफी जयादा की वसूली कर रहे हैं। जिस पर नियंत्रण रखा जाना चाहिए। जिसका सिलसिला सुबह मंडी से ही शुरु हो जाता है।

आढ़ती के यहां से सामान को खरीदने वाले मासाखोर, फिर मासाखोर से खुदरा कारोबार के लिए खरीद करने वाले छोटे व्यापारी, दोनों के दाम में काफी अंतर रहता है। जिस पर किसी का नियंत्रण नहीं होने की वजह से जनता परेशान हैं।

क्या कहते हैं खुदरा सब्जी विक्रेता 

आलू-प्याज की थोक मंडी में दाम काफी कम होने के बावजूद खुदरा बाजार में ज्यादा कीमत पर आलू-प्याज बेचने को लेकर दुकानदार सुनील का कहना है कि हम लोग थोक बाजार से आलू प्याज नहीं खरीदते हैं बल्कि बीच का व्यापारी से खरीद कर बेचते हैं।

इसलिए उनका दाम बढ़ जाता है, हम लोग छोटे दुकानदार हैं, थोड़ा खरीदने के साथ ही अपने घर की गुजर बसर चला रहे हैं।

दरअसल, बदले हुए मौसम की वजह से सिर्फ टमाटर, आलू प्याज ही महंगा नहीं बिक रहा है अन्य सब्जियों की कीमत आसमान छूने लगी है। ऐसे में मंडी में खरीद के लिए पहुंचने वाले लोग दाम पूछने के बाद खरीद से पीछे हट रहे हैं। क्योंकि, व्यवस्था के स्तर पर खरीद की प्रक्रिया बजट से बाहर हो रही है।

ज्यादा बरसात से भी पड़ेगा प्रतिकूल असर

कारोबारी प्रवीण चुघ के मुताबिक अत्यधिक गर्मी से फसल की पैदावार पर असर पड़ता है, जिससे आपूर्ति में कमी आती है। मई-जून की गर्मी की वजह से सभी जगह पैदावार में कमी देख रहे हैं। वैसे तो आने वाला बरसात का मौसम फसलों के अगले चक्र को सहारा देगा, जिससे कीमतों में कुछ गिरावट आ सकती है। लेकिन अत्यधिक बरसात या खेतों में पानी भरने से खड़ी फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, जिससे मांग और आपूर्ति के बीच का अंतर और बढ़ सकता है।

सब्जी मंडी में दाम प्रति किलो 

सब्जी प्रति किलो
मटर   100
शिमला मिर्च  100
टिंडा  60
घीया  50
भिंडी  60

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