Jind News: हादसों को दावत! सुरक्षा मानकों पर खरा नहीं उतर रहे 600 बहुमंजिला कोचिंग संस्थान, दिखी कई खामियां
जींद में सैकड़ों ऐसे भवन हैं जो सुरक्षा मानकों में खरे नहीं उतर रहे हैं। हुडा मार्केट पुराने बस अड्डे के पास नियमों को ताक पर रखकर बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। इन कॉम्प्लेक्स में रोजाना 10 हजार से ज्यादा बच्चे पढ़ने आते हैं। वहीं जागरण की पड़ताल में पाया गया कि जिला प्रशासन और फायर सेफ्टी विभाग को नोटिस भेजकर खानापूर्ति कर दी जाती है।
जागरण संवाददाता, जींद। जिले में 600 बहुमंजिला कोचिंग संस्थान, 100 से ज्यादा होटल-ढाबे, करीब 20 शोरूम तथा कुछ निजी बैंक भवन सुरक्षा मानकों पर खरा नहीं उतर रहे हैं। इन संस्थानों ने फायर सेफ्टी विभाग से एनओसी नहीं ली है और इनमें फायर सेफ्टी उपकरण भी अधूरे हैं। इस कारण कभी भी यहां आने वाले लोगों की जान जोखिम में पड़ सकती है।
डीआरडीए के सामने की हुडा मार्केट, कोर्ट के सामने हुडा कॉम्प्लेक्स में हर रोज 10 हजार से ज्यादा लड़के-लड़कियां कोचिंग लेने के लिए आते हैं तो कई बड़े शोरूम बाजार में बीच में हैं, जो कभी भी आग का गोला बन सकते हैं। इनमें अग्रिशमन समेत सभी नियमों को ताक पर रखा जा रहा है। जब भी कहीं पर दुर्घटना होती है तो जिला प्रशासन और फायर सेफ्टी विभाग द्वारा नोटिस भेजकर खानापूर्ति कर दी जाती है।
एनओसी लेना जरूरी
शहर में कहीं पर भी व्यवसाय के उद्देश्य से बहुमंजिला इमारत या कोई बड़ा संस्थान बनाया जाता है तो उसे फायर सेफ्टी विभाग से एनओसी (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) लेना जरूरी होता है। नेशनल बिल्डिंग कोड के मुताबिक कड़ी हिदायत हैं कि यदि व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर फायर एनओसी नहीं है तो ऐसी इमारतों पर सख्त कार्रवाई का प्रावधान है। भवन और क्षेत्र के हिसाब से सुरक्षा मानक तय किए गए हैं।सुरक्षा मानकों में फेल कई भवन
शहर में सैकड़ों ऐसे भवन हैं, जिनका व्यवसायिक रूप से प्रयोग किया जा रहा है लेकिन इनमें सुरक्षा मानकों को लेकर कोई कदम नहीं उठाया जाता। जब किसी बड़े शहर में आगजनी की घटना होती है तो एक बार फायर सेफ्टी विभाग द्वारा नोटिस जारी कर एनओसी लेने के लिए कहा जाता है, उसके बाद कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पाती और मामला शांत पड़ जाता है।
तीसरी मंजिल पर स्प्रिंकल नहीं, बेसमेंट में स्मॉग डिटेक्टर नहीं
डीआरडीए के सामने की हुडा मार्केट, कोर्ट काम्पलैक्स के सामने हुडा काम्पलैक्स, पटियाला चौक के अलावा सफीदों, नरवाना और उचाना में 600 से ज्यादा कोचिंग संस्थान चल रहे हैं। पिंजरेनुमा बनाए गए इन कोचिंग संस्थानों के भवन तीन से चार मंजिला बने हुए हैं। इनमें चढ़ने और उतरने के लिए एक ही सीढ़ी हैं और वह भी मात्र दो से तीन फुट चौड़ी। ग्राउंड फ्लोर पर फायर सेफ्टी उपकरण नहीं हैं। बेसमेंट में स्मॉग डिटेक्टर नहीं हैं, दूसरी और तीसरी मंजिल पर पानी और स्प्रिंकलर की सुविधा नहीं है। रोशनदान बंद पड़े हैं। बाहर आने और जाने के लिए एक ही दरवाजा है।ये भी पढ़ें: Sirsa Crime: राजस्थान से पंजाब लाई जा रही थी नशीले पदार्थों की खेप, नारकोटिक्स टीम ने की छापेमारी; महिला सहित दो गिरफ्तार
ऐसे में अगर कोई हादसा होता है तो जानमाल की हानि ज्यादा हो सकती है। सभी कमरों में क्षमता से ज्यादा बच्चे बैठाए जाते हैं। कुछ कोचिंग संस्थानों में फाइबर और शीशा लगा होने के कारण धुआं तक क्रास नहीं होता, इंटों की जगह दीवारों पर फाइबर लगाने से शार्ट सर्किट होने पर आग जल्दी फैलती है। धुआं की क्रॉसिंग नहीं होने से दम घुटने पर मौत भी हो सकती है।
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- कोचिंग सेंटर को नगर परिषद या नगर पालिका से ट्रेड लाइसेंस होना चाहिए।
- भवन का व्यवसायिक नक्शा पास होना चाहिए।
- भवन के बेसमेंट में स्प्रिंकलर सिस्टम व स्माग डिटेक्टर होना चाहिए।
- भवन में दो सीढियां और रैंप होने चाहिए।
- सभी कमरों में दो दरवाजे होनें चाहिएं, जो बाहर की तरफ खुलते हों। रोशनदान बंद नहीं होने चाहिएं।
- ग्राउंड फ्लोर पर फायर सिस्टम होना चाहिए।
- दूसरी मंजिल पर बड़ा पानी का टैंक होना चाहिए।
- तीसरी मंजिल पर भवनों पर स्प्रिंकलर सिस्टम, पानी की मोटर और जनरेटर का प्रबंध होना चाहिए।