बीरेंद्र पहले अपने गिरेबां में झांकें, फिर मेरी जांच कराएं : हुड्डा
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि मेरे खिलाफ जांच की मांग करने वाले केंद्रीया मंत्री बीरेंद्र सिंह को पहले अपने गिरबान ने झांकना चाहिए। दूसरों पर कीचड़ उछालना जितना आसान है, खुद का दामन पाक साफ रखना उतना ही मुश्किल है।
जागरण संवाददाता, जींद। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि मेरे खिलाफ जांच की मांग करने वाले केंद्रीया मंत्री बीरेंद्र सिंह को पहले अपने गिरबान ने झांकना चाहिए। दूसरों पर कीचड़ उछालना जितना आसान है, खुद का दामन पाक साफ रखना उतना ही मुश्किल है। हरियाणा सरकार मेरे खिलाफ झूठे मामले दर्ज कर जनहित के लिए उठाई जा रही आवाज को नहीं दबा सकती।
उन्होंने रविवार को यहां कहा, मेरे सत्ता में आने से पहले भी सीएलयू होते थे, अब भी हो रहे हैं। किसी भी क्षेत्र के विकास के लिए सीएलयू जरूरी है। जो लोग सीएलयू का मतलब ही नहीं समझते, वहीं खुद को सुर्खियों में रखने के लिए बार-बार यह मुद्दा उछाल रहे हैं। सीएलयू सहित मेरे कार्यकाल के सभी मामलों की जांच करवाने से पहले बीरेंद्र सिंह को अपने गिरेबान में झांक कर देखना चाहिए। इससे उन्हें पता चल जाएगा कि खुद कहां खड़े हुए हैं।
हुड्डा ने कहा, मैंने मुख्यमंत्री रहते हुए कोई गलत काम नहीं किया, ऐसे में झूठे मामले दर्ज कर सरकार जनहित के लिए उठने वाली मेरी आवाज को दबा नहीं सकती। बिजली को सरप्लस बताते हुए प्रदेश सरकार द्वारा करीब 800 यूनिट बिजली सरेंडर करने को जनविरोधी करार देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार आज बिजली सरेंडर कर रही है, हो सकता है कल चंडीगढ़ को सरेंडर कर दे। कांग्रेस ऐसे किसी भी जनविरोधी फैसले को बर्दाश्त नहीं करेगी।
प्रधानमंत्री मोदी की पाकिस्तान यात्रा को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इस मामले में पार्टी अपना रुख स्पष्ट कर चुकी है तथा उनका भी वही रुख है। पार्टी ने जिस प्रकार से पंजाब में सही समय पर संगठन में फेरबदल का फैसला लिया है, सही समय पर हरियाणा में भी उसी प्रकार का फैसला किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि अपने शासनकाल में केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह को उचाना में कालेज के लिए सरकारी वेयरहाउस की जमीन कालेज के लिए दिए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि बीरेंद्र खुद अपनी जांच कराएं तो उन्हें पता चल जाएगा कि वह कितने पानी में हैं।
पानी का हक मिलने के बाद ही हो पंजाब से बातचीत
उन्होंने कहा कि पंजाब के साथ पानी, राजधानी व क्षेत्र तीन मामलों को लेकर हरियाणा का गतिरोध है। हरियाणा किसान बहुल प्रदेश है तथा किसान की जीवनरेखा पानी होता है। जब तक पंजाब हरियाणा को उसके हिस्से का पानी नहीं दे देता, तब तक किसी भी मुद्दे पर उसके साथ बातचीत को आगे नहीं बढ़ाया जाना चाहिए। अपने हक का पानी मिलने के बाद हरियाणा को पंजाब के साथ राजधानी का मुद्दा सुलझाना चाहिये तथा अंत में क्षेत्र के मामले को लिया जाना चाहिए। सत्ता में रहते हुए भी हमारी यही प्राथमिकता रही थी और आज भी है।