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Haryana Election 2024: दुष्यंत की अग्निपरीक्षा, उचाना में 5 साल सत्ता में रहे धुरंधरों के बीच तिकड़ी मुकाबला

Haryana Election 2024 हरियाणा की उचाना कलां विधानसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला होगा। इस सीट से जजपा से दुष्यंत चौटाला कांग्रेस से बृजेंद्र सिंह और भाजपा से देवेंद्र अत्री चुनाव लड़ रहे हैं। खास बात है कि सभी दिग्गज नेता हैं और तीनों ही सरकार का हिस्सा रहे हैं। ऐसे में इस सीट को लेकर जनता सबसे ज्यादा उत्साहित है।

By Jagran News Edited By: Prince Sharma Updated: Thu, 19 Sep 2024 02:25 PM (IST)
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Haryana Assembly Election 2024: उचाना में 5 साल सत्ता में रहे धुरंधरों के बीच तिकड़ी मुकाबला

धर्मवीर निडाना, जींद। Haryana Assembly Election 2024: बांगर बेल्ट का उचाना कलां विधानसभा क्षेत्र। चौटाला परिवार और बीरेंद्र सिंह परिवार के आमने-सामने रहने से हॉट सीट रहा है। जजपा से दुष्यंत चौटाला, कांग्रेस से बृजेंद्र सिंह और भाजपा से देवेंद्र अत्री चुनाव लड़ रहे हैं। पहली बार त्रिकोणीय मुकाबला होने जा रहा है।

तीनों प्रत्याशी सरकार का हिस्सा रहे हैं। सरकार पर हमला बोलने के बजाय एक-दूसरे पर शब्दबाण चलाए जा रहे हैं। परिवारवाद का मुद्दा भी उपस्थिति दर्ज करा रहा है। कांग्रेस से बागी हो चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी भी दमदार उपस्थिति में हैं।

इसलिए बनी हॉट सीट

साल 2009 के चुनाव तक उचाना कलां में बीरेंद्र सिंह का एकतरफा माहौल रहा। 1977 से 2005 तक हुए सात में से पांच चुनाव अकेले बीरेंद्र सिंह जीते हैं। 2009 में इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला ने उचाना के रण में ताल ठोकी तो उचाना कलां हाट सीट हो गई।

हालांकि इससे पहले भी बीरेंद्र सिंह दो बार लोकदल व इनेलो के प्रत्याशियों से हार चुके थे। 2009 के चुनाव में ओमप्रकाश चौटाला ने बीरेंद्र सिंह को 621 मतों से हरा दिया।

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साल 2014 में बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ी और इनेलो के दुष्यंत चौटाला को 7480 मतों से हरा दिया। हालांकि 2019 के चुनाव में दुष्यंत चौटाला ने हार का बदला लेते हुए भाजपा की प्रेमलता को हरा दिया। अब बीरेंद्र सिंह परिवार कांग्रेस में है।

यहां बीरेंद्र सिंह का प्रभाव रहा

उचाना कलां विधानसभा क्षेत्र 1977 से अस्तित्व में आया। तभी से उचाना में बीरेंद्र सिंह का ही प्रभाव रहा है। बीरेंद्र सिंह का अधिकतर राजनीतिक जीवन कांग्रेस में रहा है।

हालांकि बीरेंद्र सिंह परिवार दस साल भाजपा में रहा। इस दौरान 2014 के चुनाव में बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता भाजपा के टिकट पर जीतने में सफल रही, लेकिन 2019 के चुनाव में जजपा के दुष्यंत चौटाला विजयी हुए।

इस बार जजपा की स्थिति उचाना वैसी नहीं है। काफी कार्यकर्ता पार्टी छोड़ चुके हैं। इस बार दुष्यंत चौटाला का कई गांवों में विरोध भी हुआ। अब अपनी पुरानी टीम जोड़ने में सफल रहे हैं।

कांग्रेस के बागियों का प्रदर्शन तय करेगा परिणाम

उचाना कलां विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के बागी भी नए समीकरण बना रहे हैं। कांग्रेस से बागी होकर विरेंद्र घोघड़ियां व दिलबाग संडील निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। यह दोनों नेता परिवारवाद की राजनीति के विरोध में बीरेंद्र सिंह व दुष्यंत चौटाला के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। यह भी तय है कि चुनाव रोमांचक होगा।

व्यक्तिगत हमले अधिक, विकास गौण

उचाना में तीनों प्रमुख राजनीतिक दलों के उम्मीदवार सरकार का हिस्सा रहे हैं या हैं। ऐसे में उचाना का चुनाव राजनीतिक मुद्दों के बजाय व्यक्तिगत हमलों पर चल रहा है। सभी नेता भाजपा, कांग्रेस व जजपा पर विकास नहीं करवाने के आरोप लगा रहे हैं। इसमें विकास के मुद्दे गौण हो चले हैं।

यहां त्रिकोणीय होगा मुकाबला

लोस चुनाव में जजपा को मिले थे कम वोट

दुष्यंत चौटाला सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे। किसान आंदोलन का प्रभाव साफ दिख रहा है। उन्होंने उचाना का चुनाव पिछली बार 47452 मतों से चुनाव जीता था। वहीं लोकसभा चुनाव में उनकी मां नैना चौटाला उचाना से महज 4210 ही वोट ले पाई। दुष्यंत पिछला प्रदर्शन दोहराने का प्रयास कर रहे हैं।

बड़े चेहरों से मुकाबला

देवेंद्र अत्री ब्राह्मण समाज से आते हैं। उचाना जाट बाहुल्य क्षेत्र है। उचाना में बीरेंद्र सिंह भाजपा के साथ रहे, ऐसे में अलग से पार्टी का संगठन नहीं खड़ा हो पाया। उनका मुकाबला दो बड़े चेहरों से हो रहा है। बांगर की जमीन पर मजबूत पकड़ बनाना उनके लिए चुनौती है। हालांकि यहां भाजपा गैर जाट मतदाताओं को साधने में लगी हुई है।

लोगों के निशाने पर रहे पूर्व सांसद

बृजेंद्र सिंह की राजनीतिक पैठ उचाना में गहरी है। हालांकि उनके पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह पांच बार उचाना से विधायक बन चुके हैं, लेकिन इस बार बीरेंद्र सिंह को भी उचाना में काफी मेहनत करनी पड़ रही है। क्योंकि बृजेंद्र सिंह भाजपा सरकार में सांसद रहे, ऐसे में लोग कृषि कानूनों को लेकर उनको भी निशाना बना रहे हैं। उचाना में कांग्रेस के संगठन के नाम पर ही बीरेंद्र सिंह का ही संगठन रहा है।

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