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इंडस की जिला टॉपर शगुन बोली, कुछ करना है तो खुद से मोटिवेट होना पड़ेगा

हमें कोई दूसरा मोटिवेट करता है तो कभी भी मोटिवेट नहीं हो सकते। विद्यार्थी को कुछ करना है तो खुद से ही मोटिवेट होना पड़ेगा। जब तक खुद में लगन नहीं होगी तब तक अच्छे अंक नहीं आ सकते। क्लास में भी कंपीटीशन होना जरूरी है।

By JagranEdited By: Updated: Wed, 08 May 2019 06:00 AM (IST)
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इंडस की जिला टॉपर शगुन बोली, कुछ करना है तो खुद से मोटिवेट होना पड़ेगा

जागरण संवाददाता, जींद : हमें कोई दूसरा मोटिवेट करता है, तो कभी भी मोटिवेट नहीं हो सकते। विद्यार्थी को कुछ करना है, तो खुद से ही मोटिवेट होना पड़ेगा। जब तक खुद में लग्न नहीं होगी, तब तक अच्छे अंक नहीं आ सकते। क्लास में भी कंपीटीशन होना जरूरी है। आज मैं जिला टॉपर बनी हूं, तो इसका श्रेय सभी टीचर्स के साथ मेरी फ्रेंड्स को भी जाता है। क्लास में फ्रेंड के बीच कंपीटीशन का माहौल था, जिससे अच्छा करने की प्रेरणा मिली। यह कहना है सीबीएसई 10वीं में जिला टॉपर इंडस पब्लिक स्कूल की छात्रा शगुन का।

मंगलवार को दादा ईश्वर सिंह के साथ दैनिक जागरण कार्यालय पहुंची शगुन ने विशेष बातचीत में कहा कि उसने आज तक कभी ट्यूशन नहीं लिया। नीट की तैयारी के लिए कुछ समय फिजिक्स के बेसिक सीखने को ट्यूशन लगाया था। शगुन कहती हैं कि एक बार उन्होंने अब्दुल कलाम का कोट पढ़ा था, हार्ड वर्क डज नॉट गारंटी सक्सेस, बट नो सक्सेस इज एचीव विदाउट हार्ड वर्क। मैंने इसी थ्योरी पर काम किया। घर में पढ़ाई के शेड्यूल के बारे में शगुन ने बताया कि वह दिन में कभी नहीं पढ़ी। हमेशा रात को पढ़ती थी। दिन में रेस्ट करती थी। जब सभी सो जाते तो रात 12 या एक बजे तक पढ़ती थी। इसी तरह सुबह चार बजे उठकर पढ़ती थी। इन दोनों समय में पढ़ाई पर फोकस अच्छी तरह हो जाता था। शात माहौल में ही कन्सनट्रेशन यानी एकाग्र होकर पढ़ाई कर सकते हैं। शगुन एक बात पर जोर देते हुए कहती हैं कि क्लास में टीचर ने भी काम दिया, वह उसे पूरा करती थी। चाह पूरी रात जागना पड़े। कभी होम वर्क पेंडिंग नहीं छोड़ा। जो टॉपिक पूरा हो जाता, उसके सैंपल पेपर भी साथ ही सॉल्व करती थी। गेम पीडियड, टीचर के फ्री पीरियड या वीकेंड पर टीचर्स से डाउट क्लीयर करती थी। जनवरी व फरवरी में स्कूल ने डाउट क्लीयर करने के लिए स्पेशल टीचर उपलब्ध कराए थे। कभी उलझन में होती तो सीनियर ट्विंकल सिंगला से गाइडेंस लेती थी। शगुन बताती हैं कि उसके टॉपर बनने में टीचर प्रिंसिपल अरुणा शर्मा सहित टीचर अमरेंद्र मोर, सुनील रेढू, सीबी चौधरी, राजेंद्र, संजय, राजीव के अलावा हिंदी की टीचर क्लास इंचार्ज पबीता ढाडा का विशेष योगदान रहा है। हिंदी में सौ में से सौ अंक आए हैं। इनके अलावा फ्रेंड महक, खुशी, लीना, तमन्ना कृतिक व गीताशा ने काफी कोआपरेटिव किया और कंपीटीशन का माहौल बनाया।

मेडिकल क्षेत्र में रिसर्च करना लक्ष्य

शगुन ने बताया कि उसने 11वीं में चंडीगढ़ के इंस्टीट्यूट में मेडिकल स्ट्रीम में दाखिला लिया है। उसका लक्ष्य 12वीं के बाद जिप्मर का टेस्ट क्वालीफाई करना है। इसके बाद वह मेडिकल लाइन से रिसर्च में जाना चाहती हैं। शगुन ने कहा कि पापा अजय कुमार, मा रेखा देवी और छोटे भाई ने पढ़ाई में खूब सहयोग दिया।

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